UP News : ऊर्जा संगठनों की हड़ताल पर UPPCL को नहीं मिलेगा दूसरे विभागों के अभियंताओं का साथ, मिला करारा जवाब

ऊर्जा संगठनों की हड़ताल पर UPPCL को नहीं मिलेगा दूसरे विभागों के अभियंताओं का साथ, मिला करारा जवाब
UPT | UPPCL

Dec 03, 2024 21:14

उत्तर प्रदेश इंजीनियर्स एसोसिएशन ने स्पष्ट कर दिया है कि वह इस स्थिति में अपना सहयोग किसी सूरत में नहीं देंगे। यूपीपीसीएल प्रबंधन ने हड़ताल की स्थिति में अन्य विभागों से सहयोग के लिए पत्र लिखे गए थे। लेकिन, इंजीनियरिंग संगठनों ने इस अनुरोध को ठुकरा दिया है।

Dec 03, 2024 21:14

Lucknow News : प्रदेश में बिजली कंपनियों के निजीकरण के खिलाफ कर्मचारी और इंजीनियर संगठनों की लामबंदी तेज होती जा रही है। इस मुद्दे पर विवाद बढ़ता जा रहा है। ऊर्जा संगठन दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (DVVNL) और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (PuVVNL) के निजीकरण के विरोध में आर-पार की लड़ाई लड़ने का एलान कर चुके हैं। वह निजीकरण के मामले में पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। इस बीच उत्तर प्रदेश इंजीनियर्स एसोसिएशन ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (UPPCL)  प्रबंधन को पत्र लिखकर अवगत कराया है कि बिजली कर्मियों के हड़ताल पर जाने पर सिंचाई विभाग के इंजीनियर बिजली व्यवस्था संभालने को आगे नहीं आएंगे। 

यूपीपीसीएल को नहीं मिलेगा अन्य विभागों के अभियंताओं का साथ
उत्तर प्रदेश इंजीनियर्स एसोसिएशन ने स्पष्ट कर दिया है कि वह इस स्थिति में अपना सहयोग किसी सूरत में नहीं देंगे। यूपीपीसीएल प्रबंधन ने हड़ताल की स्थिति में अन्य विभागों से सहयोग के लिए पत्र लिखे गए थे। लेकिन, इंजीनियरिंग संगठनों ने इस अनुरोध को ठुकरा दिया है। एसोसिएशन के महामंत्री आशीष यादव ने यूपीपीसीएल के चेयरमैन को पत्र लिखा है कि बिजली निगमों में हड़ताल होने होने पर सिंचाई विभाग के अभियंता यूपीपीसीएल में काम करने नहीं आएंगे। इसके साथ ही विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक ने दावा किया है कि इसी तरह अन्य विभागों के इंजीनियर भी यूपीपीसीएल का साथ देने आगे नहीं आएंगे। यूपीपीसीएल के चेयरमैन ने नौ सरकारी महकमों को पत्र लिखकर उनसे हड़ताल होने पर अभियंताओं और कर्मचारियों की मांग की थी। लेकिन, मामला बनता नहीं नजर आ रहा है। इसके बाद यूपीपीसीएल के सामने विकल्प सीमित हो गए हैं।



51 फीसदी हिस्सेदारी होने पर निजी घरानों का होगा पूरा हस्तक्षेप
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने यूपीपीसीएल के प्रश्नोत्तरी दस्तावेज को निजीकरण का स्पष्ट प्रमाण बताया है। इस दस्तावेज में कहा गया है कि निगम की 51 फीसदी हिस्सेदारी निजी कंपनियों को सौंपी जाएगी, जिससे कर्मचारी निजी क्षेत्र के अधीन आ जाएंगे। समिति ने इसे इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 के सेक्शन 133 का उल्लंघन करार दिया है। उन्होंने दलील दी है कि ऊर्जा निगमों के कर्मचारी सरकारी निगमों के कर्मचारी हैं। इस वजह से उन्हें किसी भी सूरत में जबरन प्राइवेट संस्थान में काम करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। यह कानूनी रूप से पूरी तरह गलत है।

कर्मचारियों को जबरन निजीकरण का हिस्सा बनाने का आरोप
संघर्ष समिति का कहना है कि दस्तावेज के अनुसार, पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत निगम के कर्मचारियों को निजीकरण के बाद एक वर्ष तक निजी कंपनियों में काम करना पड़ेगा। कर्मचारियों ने इसे 'हायर एंड फायर' नीति का हिस्सा बताया है, जिसमें नौकरी की स्थिरता नहीं रहती।

उपभोक्ता परिषद ने नियामक आयोग में विरोध प्रस्ताव दाखिल कर लगाया अड़ंगा
इस बीच प्रदेश में बिजली दरों में इजाफे की कोशिश के विरोध में उपभोक्ता परिषद ने मंगलवार को नियामक आयोग में विरोध प्रस्ताव दाखिल कर दिया है। संगठन ने यूपीपीसीएल के वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) का हवाला देते हुए कहा कि इसमें दक्षिणांचल और पूर्वांचल को भी शामिल किया गया है, इस वजह से इन दोनों निगमों को अब निजी हाथों में नहीं सौंपा जा सकता। इस तरह निजीकरण की लड़ाई ने ​व्यापक रूप ले लिया है। यूपी में ऊर्जा संगठनों को अन्य समितियों का भी साथ मिल रहा है। वहीं राष्ट्रीय स्तर पर भी यूनियन इस लड़ाई को अपना समर्थन दे रही हैं। ऐसे में सरकार के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो सकती है। 

एनसीसीओईईई की लखनऊ में बैठक 11 दिसंबर को
इस बीच बिजली कर्मचारी संगठनों की राष्ट्रीय विद्युत कर्मचारी एवं इंजीनियर समन्वय समिति (NCCOEEE) के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की 11 दिसंबर को लखनऊ में अहम बैठक होगी। यह बैठक उत्तर प्रदेश और चंडीगढ़ में विद्युत निजीकरण के विरोध में आयोजित की जा रही है, इसमें आगे के आंदोलन की रणनीति तय की जाएगी।माना जा रहा है कि पदाधिकारी इसमें बड़े आंदोलन की घोषणा कर सकते है। वहीं उत्तराखंड, पंजाब और जम्मू-कश्मीर के बाद अब झारखंड, महाराष्ट्र और हरियाणा के बिजली इंजीनियर संघों ने भी उत्तर प्रदेश सरकार से निजीकरण का फैसला वापस लेने की मांग की है। इन राज्यों के संगठनों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर इस निर्णय पर अपना विरोध दर्ज कराया है। 

Also Read

बोले- जनसमस्याओं के समाधान को प्राथमिकता दें अधिकारी

4 Dec 2024 10:29 PM

लखनऊ सीएम योगी ने समीक्षा बैठक में दिए सख्त निर्देश : बोले- जनसमस्याओं के समाधान को प्राथमिकता दें अधिकारी

सीएम योगी ने कहा कि जनता की समस्याओं का समयबद्ध और प्रभावी समाधान ही अधिकारियों के प्रदर्शन का आधार होगा। उन्होंने निर्देश दिए कि राजस्व विवादों जैसे नामांतरण, पैमाइश, लैंडयूज चेंज, और वरासत जैसे मामलों का निस्तारण तय समय सीमा में होना चाहिए। और पढ़ें