रिपोर्ट में यह सामने आया कि पूरे प्रदेश में 623 बस हादसों में कुल 411 लोगों की जान गई और 624 यात्री घायल हुए। ये हादसे रोडवेज बसों की संचालन व्यवस्था और ड्राइविंग से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर सवाल खड़े करते हैं।
UPSRTC : यूपी में लखनऊ रीजन में सबसे ज्यादा बस हादसे, यहां हुईं सर्वाधिक मौतें, रिपोर्ट में खुलासा
Jan 08, 2025 08:15
Jan 08, 2025 08:15
परिवहन निगम की रिपोर्ट के आंकड़े
परिवहन निगम की रिपोर्ट के मुताबिक, जनवरी से नवंबर 2024 के बीच लखनऊ में 62 दुर्घटनाएं हुईं, जो प्रदेश में सबसे अधिक हैं। वहीं, अलीगढ़ रीजन में बस हादसों में 53 मौतें हुईं, जो अन्य रीजन के मुकाबले सबसे ज्यादा है। घायलों के मामले में हरदोई रीजन 62 घायलों के साथ शीर्ष पर है।
प्रदेश में कुल 623 बस दुर्घटनाएं
रिपोर्ट में यह सामने आया कि पूरे प्रदेश में 623 बस हादसों में कुल 411 लोगों की जान गई और 624 यात्री घायल हुए। ये हादसे रोडवेज बसों की संचालन व्यवस्था और ड्राइविंग से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर सवाल खड़े करते हैं।
मुआवजा नीति : मृतकों और घायलों के लिए सहायता
बस हादसों में मौत या घायल होने पर परिवहन निगम की मुआवजा नीति के तहत यात्रियों के परिवारों को आर्थिक सहायता दी जाती है।
- वयस्क मृतक यात्री के आश्रितों को 7.50 लाख।
- नाबालिग मृतक पर 3.75 लाख।
- बिना टिकट वाले बच्चे की मृत्यु पर 1.57 लाख।
- गंभीर रूप से घायल यात्रियों को तत्काल 25,000 की मदद और इलाज के लिए अधिकतम 7.50 लाख तक का भुगतान किया जाता है।
परिवहन निगम ने बस दुर्घटनाओं को रोकने के लिए नई तकनीक का सहारा लिया है।
- एंटी-स्लीपिंग डिवाइस : बसों में ड्राइवरों की नींद या झपकी आने पर बीप-बीप की आवाज के जरिए अलर्ट मिलता है, जिससे हादसे रोके जा सकते हैं। यह डिवाइस अफसरों को भी अलर्ट भेजती है।
- डबल ड्राइवर : लंबी दूरी की बसों में अब दो ड्राइवरों की तैनाती की जा रही है, जिससे थकावट की समस्या कम हो।
- ओवरस्पीडिंग रोकने के उपाय : पहले से ही बसों में स्पीड मॉनिटरिंग डिवाइस लगाए जा चुके हैं। इससे तेज रफ्तार को नियंत्रित किया जा रहा है।
- लखनऊ : 62 दुर्घटनाएं, 33 मौतें, 53 घायल।
- हरदोई : 55 दुर्घटनाएं, 39 मौतें, 62 घायल।
- अलीगढ़ : 39 दुर्घटनाएं, 53 मौतें, 52 घायल।
परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक मासूम अली सरवर के अनुसार, दुर्घटनाओं को रोकने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। एंटी-स्लीपिंग डिवाइस और डबल ड्राइवर की तैनाती से सुरक्षा सुनिश्चित की जा रही है। ओवरस्पीडिंग को रोकने के लिए पहले ही डिवाइस लगाए जा चुके हैं।
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