Lucknow News : उबले सिंघाड़ों से कीजिए गुलाबी ठंड का स्वागत, लाजवाब स्वाद और सेहत का खजाना

उबले सिंघाड़ों से कीजिए गुलाबी ठंड का स्वागत, लाजवाब स्वाद और सेहत का खजाना
UPT | उबले सिंघाड़ों से कीजिए गुलाबी ठंड का स्वागत।

Nov 08, 2024 12:14

डालीगंज पुल के पास ऐसे ठेलों की कतार सज जाती है। लोगों की भीड़ इन्हें घेरे रहती है। यहीं पर ठेला लगाने वाले सुरेश बताते हैं कि कुछ दिनों की कमाई है, इसका पूरा फायदा उठा लेना है। नवरात्र से लेकर फरवरी तक सीजन चलता है। इस बार थोड़ा लेट हो गया। व्रत का आटा बनाने के लिए भी सिंघाड़ों का इस्तेमाल होता है।

Nov 08, 2024 12:14

Lucknow News : गुलाबी ठंड ने दस्तक दे दी है। अब सुबह और शाम के समय लोगों को हल्की सर्दी का एहसास होने लगा है। हमारी दिनचर्या भी इस नए मौसमी निजाम के साथ सामंजस्य बिठाने लगी है। मौसम में बदलाव के साथ कुछ चीजें हमारी खाने-पीने की लिस्ट से गायब होती हैं, तो कुछ नई चीजें जगह बना लेती हैं। अगर आप लज्जत के मुरीद और साथ में लखनवी भी हैं तो आपके लिए विकल्पों के असंख्य द्वार खुले हैं। मसलन मक्खन मलाई, मूंगफली, गोभी-मूली और मेथी के पराठे। इनमें एक चीज ऐसी भी है जिसकी चर्चा तो ज्यादा नहीं होती, लेकिन इस गुलाबी दिनों को जायके से भरने में उसका भी बड़ा हाथ है। वो हैं उबले सिंघाड़े। जी हां, उबले सिंघाड़ों का नाम आते ही दाढ़ गीली होने लगती है। 

बेहद कम दिनों का सीजन
उबले सिंघाड़े का बेहद कम दिनों का सीजन होता है। यही वजह है कि इसलिए जब भी लोगों को आसपास ये बिकते दिख जाते हैं, लोग इनका स्वाद लेने के लिए खुद को रोक नहीं पाते। मुहल्लों में ठेले वाला सिंघाड़े लेकर आया नहीं कि लोग उसे घेर लेते हैं। चटनी के साथ पत्तल में उबले सिंघाड़े चट करते चटोरों को देखकर बाकी लोगों के मुंह में भी पानी आ जाता है। 



डालीगंज पुल के पास ठेलों की कतार
इन दिनों डालीगंज पुल के पास ऐसे ठेलों की कतार सज जाती है। लोगों की भीड़ इन्हें घेरे रहती है। यहीं पर ठेला लगाने वाले सुरेश बताते हैं कि कुछ दिनों की कमाई है, इसका पूरा फायदा उठा लेना है। नवरात्र से लेकर फरवरी तक सीजन चलता है। इस बार थोड़ा लेट हो गया। व्रत का आटा बनाने के लिए भी सिंघाड़ों का इस्तेमाल होता है। उबले सिंघाड़े की कीमत 40 से 50 रुपये पाव होती है। दिन भर में इस कारोबार से दो ढाई हजार की कमाई हो जाती है।

मंडियों में यहां ये आता है कच्चा माल
गोसाइगंज के बलराज निषाद भी यही काम करते हैं। वह बताते हैं कि सीतापुर रोड​ स्थित गल्ला मंडी या दुबग्गा से कच्चे सिंघाड़े लेकर आते हैं। 40 किलो की बोरी 1200 से 1500 रुपये में मिल जाती है। इन मंडियों में कच्च माल सीतापुर, मलिहाबाद, काकोरी और बाराबंकी से आता है। यही माल इन ठेले वालों के कारोबार का आधार बनता है। बलराज से पूछा कि उबले सिंघाड़े का सीजन इतने कम दिनों का होता है, बाकी पूरे साल क्या करते हैं। तो उन्होंने कहा, बाकी साल मौसमी फल बेचते हैं। लेकिन इन कुछ महीनों में उबले सिंघाड़े का कारोबार ठीक-ठाक चलता है, तो कमाई भी अच्छी हो जाती है।

पेट के लिए लाभकारी
उबले सिंघाड़े फाइबर से भरपूर होते हैं, जो पेट की सेहत के लिए अत्यंत लाभकारी हैं। इनका सेवन पाचन तंत्र को बेहतर बनाने में मदद करता है। जब आप उबले सिंघाड़े खाते हैं, तो उनका उच्च फाइबर कंटेंट पेट की समस्याओं को कम करने में मदद करता है, जैसे कि गैस, कब्ज, अपच, उल्टी-दस्त, मतली, और ब्लोटिंग (पेट में गैस की सूजन)। यह आंतों की सूजन को भी कम करने में सहायक होते हैं, जिससे आंतों की सेहत बेहतर रहती है और पाचन तंत्र ठीक तरीके से काम करता है। 

गंभीर रोगों को रखे आपसे दूर
सिंघाड़े एंटीऑक्सीडेंट्स से भी भरपूर होते हैं। जो शरीर को कई गंभीर रोगों से बचाने में मदद करते हैं। सिंघाड़ों में फेरुलिक एसिड, गैल कैटेचिन, गैलेट, और कैटेचिन गैलेट जैसे कई शक्तिशाली कंपाउंड्स पाए जाते हैं। जो फ्री-रेडिकल्स और हानिकारक कणों से लड़ते हैं। फ्री रेडिकल्स कई गंभीर रोगों के जोखिम को बढ़ाते हैं, यह शरीर में ऑक्सीडेटिव तनाव को बढ़ाते हैं और इम्यून सिस्ट को नुकसान पहुंचाते हैं। यह कैंसर, हृदय रोग, डायबिटीज,  जैसे क्रोनिक रोगों के लिए जिम्मेदार बड़े जोखिम कारकों में से एक है। 

वजन घटाने में मददगार
सिंघाड़े वजन घटाने के लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकते हैं, क्योंकि ये कैलोरी में कम, लेकिन फाइबर, प्रोटीन, और कई अन्य जरूरी पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। सिंघाड़े का सेवन पूर्ण भोजन के रूप में किया जा सकता है। इससे आप लंबे समय तक भूखा महसूस नहीं करेंगे। इस तरह आप कैलोरी का कम सेवन करेंगे। जिससे तेजी से वजन कम करने में मदद मिलेगी।

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