लखटकिया आम : एमपी के 'नूरजहां' को टक्कर दे रहा यूपी का 'मियाजाकी', कीमत जान कर रह जाएंगे हैरान

एमपी के 'नूरजहां' को टक्कर दे रहा यूपी का 'मियाजाकी', कीमत जान कर रह जाएंगे हैरान
UPT | 3.50 लाख रुपये किलो मिल रहा मियाजाकी

Jul 10, 2024 18:47

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में एक अनोखा आम चर्चा का विषय बन गया है। यह केवल एक फल नहीं, बल्कि एक अद्भुत कृषि उपलब्धि है, जिसकी कीमत अविश्वसनीय है। इस दुर्लभ आम की प्रजाति का नाम 'मियाजाकी' है, जो एमपी के 'नूरजहां' को टक्कर दे रहा है। यह आम अपने विशिष्ट स्वाद और गुणवत्ता के लिए जाना जाता है।

Jul 10, 2024 18:47

Lucknow News : आम के उत्पादन और विविधता के लिए विश्व प्रसिद्ध उत्तर प्रदेश एक बार फिर से अपने अनोखे और मूल्यवान आम के कारण सुर्खियों में है। इस बार, उत्तर प्रदेश का 'मियाजाकी' आम और मध्य प्रदेश का 'नूरजहां' आम विशेष रूप से चर्चा का विषय बने हुए हैं। ये दोनों आम न केवल अपने स्वाद और गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं, बल्कि इनकी अत्यधिक कीमत और विशेष देखभाल के लिए भी प्रसिद्ध हैं। यूपी की दशहरी के बाद अब यहां का 'मियाजाकी' आम खास लोगों की खास पसंद बना है। 

उत्तर प्रदेश का मियाजाकी आम 
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के बलियाखेड़ी गांव में, किसान संदीप चौधरी ने एक अद्भुत कार्य किया है। उन्होंने अपने खेत में जापान के प्रसिद्ध 'मियाजाकी' आम के दो पेड़ लगाए हैं। यह आम इतना दुर्लभ और मूल्यवान है कि इसकी कीमत प्रति किलोग्राम 2.70 लाख से 3.50 लाख रुपये तक है। यह आम न केवल अपनी कीमत के लिए, बल्कि अपने विशिष्ट स्वाद और पोषण मूल्य के लिए भी जाना जाता है।

जापान में हई 'मियाजाकी' आम की उत्पत्ति
'मियाजाकी' आम की उत्पत्ति जापान के मियाजाकी विश्वविद्यालय में हुई थी। जापानी भाषा में इसे 'टाइयो नो टमैंगो' कहा जाता है, जिसका अर्थ है 'सूर्य का अंडा'। यह नाम इसके सुनहरे रंग और गोल आकार के कारण दिया गया है। संदीप चौधरी के दो पेड़ों पर वर्तमान में केवल तीन आम लगे हुए हैं, जो इस फल की दुर्लभता को दर्शाता है।

स्वाद में अत्यंत मीठा और स्वास्थ्य के लिए लाभदायक
इस आम की विशेषता केवल इसकी कीमत नहीं है। यह स्वाद में अत्यंत मीठा होता है और स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक माना जाता है। यह एंटीऑक्सीडेंट, बीटा-कैरोटीन और फोलिक एसिड से भरपूर होता है, जो इसे कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के खिलाफ एक प्राकृतिक उपचार बनाता है।

कोलकाता से मंगाए थे पौधे
संदीप चौधरी ने बताया कि उन्होंने नौ महीने पहले कोलकाता से इस आम के दो पौधे मंगवाए थे, जिनकी कीमत 7,500 रुपये प्रति पौधा थी। उन्होंने इन पौधों को अपने ऑर्गेनिक बगीचे में लगाया है। इन पेड़ों की ऊंचाई मात्र ढाई से तीन फीट है, जो इनकी विशेषता को दर्शाता है। प्रत्येक आम का वजन 300 से 350 ग्राम तक होने की उम्मीद है।

इस तरह से की जा रही सुरक्षा
इन आमों की सुरक्षा के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। बागीचे में पीटीजेड सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं जो 360 डिग्री घूमते हैं और किसी के आने पर अलर्ट भेजते हैं। यह सिस्टम सौर ऊर्जा से संचालित होता है और आने वाले व्यक्तियों की तस्वीरें स्वचालित रूप से सेव कर लेता है।

इन्हें खिलाना चाहते हैं पहला फल 
संदीप चौधरी का कहना है कि वे इन आमों को बेचने के बजाय देश के शीर्ष नेताओं को भेंट करना चाहते हैं। उनकी योजना है कि वे पहला फल राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, दूसरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तीसरा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेंट करेंगे।

मध्य प्रदेश का नूरजहां आम
जहां उत्तर प्रदेश का मियाजाकी आम अपनी नवीनता के लिए चर्चा में है, वहीं मध्य प्रदेश का नूरजहां आम अपनी ऐतिहासिक महत्ता और विशाल आकार के लिए प्रसिद्ध है। यह आम मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जिले के कट्ठीवाड़ा क्षेत्र में पाया जाता है, जो गुजरात की सीमा से लगा हुआ है और इंदौर से लगभग 250 किलोमीटर दूर स्थित है।

नूरजहां आम का इतिहास मुगल काल तक जाता है। इसका नाम मुगल साम्राज्य की प्रभावशाली रानी नूरजहां (1577-1645) के नाम पर रखा गया है। यह माना जाता है कि इस आम की खेती सबसे पहले अफगानिस्तान में शुरू हुई थी और बाद में यह भारत लाया गया। नूरजहां आम अपने विशाल आकार के लिए जाना जाता है। एक आम का वजन चार किलोग्राम या उससे अधिक हो सकता है, जो इसे दुनिया के सबसे बड़े आमों में से एक बनाता है। इसकी कीमत भी काफी अधिक होती है, एक फल की कीमत 2,000 रुपये तक हो सकती है।
 
भारतीय आम उद्योग का महत्व 
मियाजाकी और नूरजहां जैसे विशेष आमों की उपस्थिति भारतीय कृषि क्षेत्र की विविधता और नवाचार को दर्शाती है। ये न केवल किसानों के लिए उच्च आय का स्रोत हैं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और कृषि विरासत का भी प्रतीक हैं।  इन विशेष आमों की खेती से जुड़ी चुनौतियां भी कम नहीं हैं। इनकी देखभाल के लिए विशेष कौशल और संसाधनों की आवश्यकता होती है। जलवायु परिवर्तन और कीट प्रबंधन जैसी समस्याएं इन दुर्लभ प्रजातियों के लिए विशेष चिंता का विषय हैं। इन आमों की लोकप्रियता न केवल देश में बल्कि विदेश में भी है। माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश का मियाजाकी आम वैश्विक बाजार में अपनी विशिष्ट पहचान बनाएगा।

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