अगर क्लबफुट का इलाज सही समय पर और सही तरीके से नहीं किया जाए तो इसका परिणाम आजीवन विकलांगता और असहनीय दर्द के रूप में सामने...
विश्व क्लबफुट दिवस : हजार नवजातों में से एक में पाई जाती है जोड़ों हड्डियों से संबंधित ये बीमारी
Jun 04, 2024 01:40
Jun 04, 2024 01:40
- मेरठ एलएलआरएम में केक काटकर मनाया विश्व क्लबफुट दिवस
- नवजात शिशुओं में पाई जाने वाली सबसे आम विकृति
- बिना जागरूकता के जीवन भर के लिए बच्चा हो सकता है विकलांग
जन्मों में से एक बच्चा क्लबफुट से प्रभावित
अस्थि रोग विभाग के सहायक आचार्य डॉ. कृतेश मिश्रा ने बताया कि एक रिसर्च के अनुसार, प्रत्येक 1,000 जन्मों में से एक बच्चा क्लबफुट से प्रभावित होता है। हालांकि ये संख्या अलग-अलग देशों में अलग-अलग हो सकती है। अगर क्लबफुट का इलाज सही समय पर और सही तरीके से नहीं किया जाए तो इसका परिणाम आजीवन विकलांगता और असहनीय दर्द के रूप में सामने आता है। इसके विपरीत अगर इस बीमारी का जन्म के ठीक बाद इलाज कर लिया जाए, तो इस स्थिति में सुधार के लिए सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ेगी। जागरूकता के आभाव के कारण आसानी से ठीक हो जाने वाली विकृति बहुत सारे बच्चों में स्थायी विकलांगता का कारण बन जाती है।
इस स्थिति के इलाज की प्रक्रिया में शिशु के पैर के प्रभावित हिस्से
डॉ. मिश्रा ने बताया कि इस स्थिति के इलाज की प्रक्रिया में शिशु के पैर के प्रभावित हिस्से पर साप्ताहिक प्लास्टर किया जाता है। इस प्रक्रिया को “पोंसेटि तकनीक” कहा जाता है। जन्म के 5-7 दिनों के बाद प्लास्टर शुरू करा देनी चाहिए। उचित समय पर इलाज से लगभग 95-98% प्रभावित बच्चे पूरी तरह से बिना किसी सर्जरी के ठीक हो सकते हैं। यदि गर्भावस्था के दौरान या जन्म के तुरन्त बाद क्लबफुट का निदान कर लिया जाता है, तो इस स्थिति में माता-पिता को चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है।
क्लबफुट का सही समय पर सही इलाज शीघ्र रिकवरी में सहायक
प्राचार्य प्रो. आरसी गुप्ता ने बताया कि क्लबफुट का सही समय पर सही इलाज शीघ्र रिकवरी में सहायक होता है। उपरोक्त कार्यक्रम में डॉ अरविंद कुमार, डॉ. मानवेन्द्रग़ौर, डॉ राहुल सिंह, जूनियर व सीनियर रेसिडेंट आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए प्राचार्य प्रो. आरसी गुप्ता ने अस्थि रोग विभाग को शुभकामनाएँ दी।
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