जलसों को धार्म गुरुओं और पीएचडी स्कॉलरों द्वारा खिताब किया गया। जिसमें भारत की धर्मनिरपेक्षता को दुनिया को सबसे बड़ा लोकतंत्र बताया।
Eid Miladunnabi : भारत का धर्मनिरपेक्षता के प्रति दृष्टिकोण इसके समृद्ध, सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता को दर्शाता
Sep 13, 2024 15:07
Sep 13, 2024 15:07
- ईद मिलादुन्नबी के मौके पर आयोजित हुए जलसे और कार्यक्रम
- जलसे को पीएचडी स्कॉलरों ने किया खिताब
- भारत की धर्मनिरपेक्षता की जलसे में की तारीफ
हर धर्म को अपने पर्व अपने तरीके से मनाने की आजादी
यहां पर हर धर्म को अपने पर्व अपने तरीके से मनाने की आजादी है। पर्व और त्योहारों को मनाने में किसी प्रकार की कोई रोकटोक नहीं है। उन्होंने कहा कि यहां पर हर धर्म के लोग रहते हैं और वो अपने अनुसार अपनी परंपराओं को जीवित किए हुए हैं। यही कारण है कि देश में हर राज्य में अलग-अलग तरीके से पर्व मनाए जाते हैं। जो कि देश की एकता और अखंडता का परिचायक भी है।
सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता को दर्शाता
भारत का धर्मनिरपेक्षता के प्रति दृष्टिकोण अलग है, जो इसकी समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता को दर्शाता है। जबकि भारत में एक विविध धार्मिक परिदृश्य हो सकता है, इसका संविधान स्पष्ट रूप से एक धर्मनिरपेक्ष राज्य को अनिवार्य करता है, जो धर्म और सरकार के स्पष्ट पृथक्करण को दर्शाता है।
जुलूस-ए-अमारी निकाला गया
धर्मनिरपेक्षता के लिए भारत के अनूठे दृष्टिकोण की पेशकश करना है, जबकि यह विश्लेषण करना है कि यह अपने संबंधित समाजों के भीतर धर्म और राज्य की अंतःक्रियाओं की जटिलताओं को कैसे नेविगेट करता है। इस दौरान जुलूस-ए-अमारी निकाला गया और अजाखानों से काले अलम उतारे गए। हजरत इमाम हसन असकरी की शहादत के जिक्र के साथ जुलूस-ए-अमारी निकाला गया। इसके साथ शिया समुदाय का सोग खत्म हो गया।
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