मेरठ से टिकट के दावेदार सपाइयों ने इन दिनों लखनऊ में डेरा डाला हुआ है और टिकट बदलाव की मांग कर रहे हैं। सपाइयों के तेवर देख ये माना जा रहा है कि इस सीट पर...
Meerut Lok sabha Election : पश्चिम की इन सीटों पर सबकी नजर- भाजपा ने नहीं खोले पत्ते, सपा में प्रत्याशी बदलाव के संकेत
Mar 19, 2024 10:55
Mar 19, 2024 10:55
- भाजपा और सपा में टिकट पाने को लेकर दावेदारों में मचा घमासान
- भाजपा में इस बार टिकट बंटवारे को लेकर बदलाव के संकेत
- सपा के पैराशूट प्रत्याशी का हो रहा मेरठ में जबरदस्त विरोध
लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा हो चुकी है। समाजवादी पार्टी प्रत्याशी घोषित कर चुकी है लेकिन भाजपा ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। भाजपा के दावेदारों में प्रत्याशी के नाम को लेकर अब बैचेनी लगातार बढ़ती जा रही है। इसके अलावा एआईएमआईएम भी अब मुस्लिम प्रत्याशी की घोषणा करने की तैयारी में है।
पिछले तीन चुनाव से भाजपा का कब्जा
मेरठ-हापुड़ लोकसभा सीट पर इस बार दूसरे चरण में चुनाव होना है। इस सीट पर पिछले तीन चुनावों से भाजपा का कब्जा होता आ रहा है। भाजपा इस सीट पर हैट्रिक लगा चुकी है। इस बार भी भाजपा लगातार चौथी बार जीतने के लिए पूरा जोर लगाएगी। जबकि सपा-कांग्रेस गठबंधन भाजपा के विजयी रथ को रोकने के लिए पूरी ताकत झोंकेगा।
मेरठ हापुड लोकसभा सीट पर 2009, 2014 और 2019 के चुनाव
बसपा ने भी मेरठ हापुड लोकसभा सीट पर देवव्रत त्यागी के रूप में मजबूत प्रत्याशी उतार दिया है। जबकि भाजपा ने अभी प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। मेरठ हापुड लोकसभा सीट पर 2009, 2014 और 2019 के चुनाव पर नजर डालें तो इस सीट पर भाजपा, सपा, बसपा और कांग्रेस ने चुनाव लड़ा है। 2009 में रालोद भाजपा के साथ थी तो 2014 में कांग्रेस—रालोद का गठबंधन था। रालोद इस बार फिर भाजपा के साथ है। जबकि सपा-कांग्रेस का गठबंधन है। जबकि बसपा अकेले चुनाव मैदान में है।
सांसद राजेंद्र अग्रवाल के टिकट पर स्थिति स्पष्ट नहीं
भाजपा की बात करें, तो इस समय सांसद राजेंद्र अग्रवाल को लेकर टिकट की स्थिति स्पष्ट नहीं है। भाजपा का एक गुट राजेंद्र अग्रवाल के टिकट कटने की चर्चा कर रहा है। वहीं समर्थकों का कहना है कि वह लगातार चौथी बार चुनाव मैदान में होंगे। बसपा का रुख साफ नजर आ गया है। बसपा ने इस बार सोशल इंजीनियरिंग कार्ड खेलते हुए त्यागी समाज से प्रत्याशी को खड़ा किया है।
2009 और 2014 में जीत का अंतर बड़ा
सपा ने प्रत्याशी की घोषणा कर दी है, लेकिन टिकट को लेकर अभी खींचतान जारी है। 2009 और 2014 में मेरठ लोकसभा सीट से भाजपा काफी अंतर से जीती थी। 2019 में भाजपा ने जीत हैट्रिक ज़रूर लगाई। लेकिन हार-जीत का अंतर 5 हज़ार से कम रहा था। एक बार तो बसपा-सपा गठबंधन के प्रत्याशी हाजी याकूब ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी थी। हालांकि बाद में जीत राजेंद्र अग्रवाल की हुई। इस बार भी चुनाव काफी रोचक होने की उम्मीद है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट, गुर्जर, ब्राह्मण, दलित और पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों
भारतीय जनता पार्टी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट, गुर्जर, ब्राह्मण, दलित और पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों के नाम घोषित कर चुकी है। भाजपा ने जो प्रत्याशी घोषित किए हैं उनमें मुजफ्फरनगर से संजीव बालियान जाट, कैराना और अमरोहा से गुर्जर और गौतमबुद्धनगर से महेश शर्मा को टिकट देकर भाजपा ने तीनों समाज का कोटा पूरा कर दिया है। दलित और पिछड़ा वर्ग का कोटा भी पूरा हो गया है। अब क्षत्रिय समाज और वैश्य समाज के उम्मीदवारों पर निर्णय होना है।
गाजियाबाद सीट पर भी स्थिति स्पष्ट नहीं
गाजियाबाद से जनरल वीके सिंह को दोबारा टिकट मिलेगा या किसी अन्य प्रत्याशी को उतारा जाएगा। इसको लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। मेरठ जैसी स्थिति गाजियाबाद की भी है। दोनों ही सीटों पर अभी सस्पेंस है। पश्चिम उत्तर प्रदेश की 14 में से 8 सीटों के प्रत्याशी घोषित हो चुके हैं। बागपत और बिजनौर लोकसभा सीट रालोद के खाते में जा चुकी है। मेरठ, गाजियाबाद, सहारनपुर और मुरादाबाद के प्रत्याशियों पर सबकी नजरें हैं।
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