मेरठ मंडल के जिला बुलन्दशहर का एक खासा इतिहास रहा है। इस जिले का ताल्लुक महाभारतकाल से भी रहा है। अपने प्राचीन इतिहास के साथ ही यह जिला चीनी मिट्टी के बर्तन उद्योग के लिए जाना जाता है।
बरन से बन गया बुलन्दशहर : जानते हैं महाभारतकालीन इस शहर का इतिहास और खासियत
Nov 26, 2023 17:26
Nov 26, 2023 17:26
- बुलंदशहर का खास इतिहास
- बरन से बना बुलंदशहर आज रखता है खास पहचान
ऐसे बना बुलन्दशहर
जानकारी के अनुसार इस जिले का प्राचीन नाम बरन हुआ करता था। जिसका इतिहास लगभग 1200 वर्ष पुराना है। बताया जाता है कि इसकी स्थापना अहिबरन नाम के राजा ने की थी। राजा अहिबरन ने यहां बरन टॉवर की नींव रखी थी। राजा अहिबरन ने एक सुरक्षित किले का भी निर्माण कराया था, जिसे ऊपर कोट कहा जाता है। इस किले के चारों ओर सुरक्षा के लिए नहर का निर्माण भी कराया गया था। जिसमें इस ऊपर कोट के पास ही बहती हुई काली नदी के जल से इसे भरा जाता था।
इन्होंने बसाया अनूपशहर
इस जिले के एतिहासिक पन्नों पर एक नाम और भी आता है, अनूपशहर। जानकारी के अनुसार ब्रिटिश काल में राजा अहिबरन के वंशज राजा अनूपराय ने भी यहां शासन किया था और उन्होंने अनूपशहर नामक शहर बसाया था। अनूपराय की शिकारगाह आज शिकारपुर नगर के रूप में प्रसिद्ध है। वहीं मुगल काल के अंत और ब्रिटिश काल के उद्भव के समय में यहां मालागढ़ रियासत, छतारी रियासत व दानपुर रियासत की भी स्थापना हो चुकी थी। जिनके अवशेष आज भी जनपद में विद्यमान हैं। दानपुर रियासत का नबाब जलील खान था और वहीं छतारी रियासत ब्रिटिश परस्त रही। कहा जाता है कि पांडव भी बुलन्दशहर के आहार में कुछ दिन रहे थे।
महाभारतकालीन नाता
बुलन्दशहर का इतिहास बहुत पुराना माना जाता है यह क्षेत्र पांडवों की राजधानी हस्तिनापुर और इंद्रपस्थ के करीब है। उत्तर पूर्व में स्थित है यह जिला हस्तिनापुर आहार के पतन के बाद पांडवों के लिए एक महत्वपूर्ण जगह बन गया था। समय के साथ राजा पर्मा ने क्षेत्र के इस हिस्से पर एक किला बनाया और अहिबरन नाम के एक राजा ने बरन ( बुलन्दशहर ) नामक टावर की नींव रखी थी। चूंकि यह एक बड़े क्षेत्रफल पर फैला हुआ था, इसलिए इसे उच्चता के रूप में जाना जाने लगा। जिसे बुलन्दशहर के रूप में जुनून भाषा में अनुवादित किया गया और इस नाम से बुलाया जाने लगा।
जिले का प्राचीन इतिहास
यहां पाए गए प्राचीन खंडहर वीरपुर, गालिबपुर इत्यादि बुलन्दशहर की प्रचाीनता के प्रतीक हैं । जिले में कई अन्य महत्वपूर्ण स्थान हैं जहां से मध्यकालीन युग की मूर्तियों और प्राचीन मंदिरों की वस्तुओं की स्थापना की गई थी। आज भी लखनऊ राज्य संग्रहालय में सिक्के, शिलालेख इत्यादि जैसे कई ऐतिहासिक और प्राचीन वस्तुएं संरक्षित हैं। इस जिले का नाता 1857 की क्रांति से भी रहा है। एक तो यह क्रांतिधरा मेरठ के नजदीक है और यहां के लिए एक संदेश नारायण शर्मा पंडित द्वारा 10 मई 1857 को अलीगढ़ से लिया गया था।
भौगोलिक स्थिति
बुलन्दशहर जिले की भौगोलिक स्थिति पर नजर डालें तो यह जिला गंगा और यमुना नदियों के बीच स्थित उत्तर प्रदेश के मेरठ क्षेत्र में आता है। यह 28.4 डिग्री दक्षिण और 28.0 डिग्री उत्तरी अक्षांश और 77.0 डिग्री और 78.0 डिग्री रेखांश के बीच स्थित है। इस जिले की लंबाई लगभग 84 किमी और चौड़ाई 62 किमी है। जो समुद्र तल से 237.44 मीटर की ऊंचाई पर है। गंगा नदी पूर्व में इस जिला को मुरादाबाद और बदायूं जिले से अलग करती है और पश्चिम में यमुना नदी जिले को हरियाणा राज्य और दिल्ली से अलग करती है। जिले के उत्तर में गाजियाबाद और दक्षिण पूर्व में अलीगढ़ जिले की सीमाएं हैं।
यह भी जानें
बुलन्दशहर जिला दिल्ली से महज 64 किलोमीटर कि दूरी पर स्थित है। वहीं यह शहर मुख्यतः मेरठ, अलीगढ़, बदायूं, गौतम बुद्ध नगर व गाजियाबाद जनपदों से जुडा हुआ है। पूर्व में गंगा नदी व पश्चिम में यमुना नदी इसकी सीमा बनाती हैं। यहां की मुख्य फसल की बात करें तो गेहूं, चना, मक्का, जौ, ज्वार, बाजरा, कपास एव गन्ना आदि हैं। सूत कातने, कपड़े बनाने का काम जहांगीराबाद में, बरतनों का काम खुर्जा, लकड़ी का काम बुलन्दशहर व शिकारपुर में होता है। कांच से चूड़ियां, बोतलें आदि भी यहां बनती हैं। यहां करघे से कपड़ा बुना जाता है। पानी के हैंडपंप बनाने की भी कई इकाइयां हैं। खुर्जा व बुलन्दशहर नगर में कई नामी आयुर्वेदिक चिकित्सक भी रहे हैं। यहां मौजूद खुर्जा क्षेत्र चीनी मिट्टी के काम के लिए पहचाना जाता है।
आंकड़े 2011 की जनगणना के अनुसार
जनसंख्या : (2011) 3499171 लाख
जनसंख्या :(लगभग) 3703295 लाख
पुरुष जनसंख्या : (लगभग ) 1938307 लाख
महिला जनसंख्या : (लगभग ) 1764990 लाख
क्षेत्रफल : 4353 वर्ग कि०मी०
साक्षरता दर : 70.23 %
पुरुष साक्षरता दर : 82.52 %
महिला साक्षरता दर : 56.60%
जनसंख्या वृद्धि दर : 16.3 %
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