प्ले स्टोर से डाउनलोड करने के बाद फर्जी एप यूजर्स से जानकारी मांगते हैं, जबकि असली एप लोन देने से पहले पूरी जानकारी देगा। वह पारदर्शिता के साथ प्रक्रियाएं पूरी कराएगा
Meerut News : डिजिटल लेनदेन में बढ़ती धोखाधड़ी, साइबर विशेषज्ञों ने दी सतर्कता की सलाह
Sep 29, 2024 23:50
Sep 29, 2024 23:50
- एसएमएस फिशिंग अटैक तो कभी केवाईसी के नाम पर ठगी
- हर रोज साइबर थाने में पहुंच रहीं ठगी की दर्जनों शिकायतें
- डिजिटल लेनदेन और बैंकिंग से जुड़े धोखाधड़ी मामले में वृद्धि
मोबाइल बैंकिंग की पहुंच सभी वर्गों तक
साइबर एक्सपर्ट्स विभु पंडित का कहना है कि कभी एसएमएस फिशिंग अटैक तो कभी केवाइसी अपडेट या आनलाइन लोन देने के नाम पर लोगों से ठगी हो रही है। मोबाइल बैंकिंग की पहुंच सभी वर्गों तक है। इसका दायरा व्यापक हो रहा है। यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआइ) से डिजिटल भुगतान में क्रांतिकारी परिवर्तन आया है। इससे आम जन को सहजता हुई है, लेकिन कुछ चुनौतियां सामने आ रही हैं।
बेटिंग एप्स भी सक्रिय
लोगों का डिजिटल के प्रति बढ़ता क्रेज देखते हुए बड़ी संख्या में माइक्रो फाइनेंसिंग एप्स आए हैं, तो वहीं कुछ बेटिंग एप्स सक्रिय हैं। इस तरह के एप्स आम लोगों के लिए मुश्किलें पैदा कर रहे हैं। ऐसे में जरूरी है कि डिजिटल तरीके से लेनदेन के दौरान हमेशा सावधानी बरती जाए।
इन स्तरों पर डिजिटल धोखाधड़ी
कई माइक्रो फाइनेंसिंग एप केवाईसी या दस्तावेजों के सत्यापन के बगैर लोन दे देते हैं। इससे सावधान रहने की जरूरत है। क्योंकि ये लोन एप पहले ग्राहकों को फंसाते हैं, फिर ब्लैकमेल करना शुरू कर देते हैं। इनसे कई स्तरों पर नुकसान हो रहा है। यही वजह है कि बीते दिनों केंद्रीय इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने मनी लांड्रिंग, डेटा चोरी, कस्टम नियमों के उल्लंघन और धोखाधड़ी आशंका को देखते हुए अनेक एप पर पाबंदी लगा दी है। इसमें 138 बेटिंग और 94 लोन एप हैं। इन एप पर कर्जदाताओं के साथ बदसलूकी करने का आरोप है।
साइबर अपराधी सक्रिय
उन्होंने बताया कि मोबाइल बैंकिंग ट्रोजन इंस्टालर्स की संख्या में तेजी से बढी है। बीते वर्ष 2022 में इनकी संख्या दो लाख से अधिक रही है, जो पूर्ववर्ती साल की तुलना में दोगुने से अधिक है। साइबर सुरक्षा फर्म कैसपर्स्काइ की मोबाइल थ्रेट रिपोर्ट, 2022 के अनुसार, मोबाइल बैंकिंग ट्रोजंस की संख्या पिछले पांच सालों में उच्चतम स्तर पर पहुंची है। विशेषज्ञों का कहना है कि साइबर अपराधी मोबाइल बैंकिंग ट्रोजन के माध्यम से वित्तीय धोखाधड़ी को अंजाम दे हैं। चूंकि मोबाइल फोन हमारी जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा बन गया है, ऐसे में हमें मोबाइल से जुड़ी इस तरह की समस्याओं को लेकर अधिक सतर्क रहने की जरूरत है। विभु का कहना है कि इसके लिए कुछ जरूरी बातों का खास ध्यान रखना होगा।
लिंक से ना करें लोन आवेदन
सस्ते लोन का दावा करने वाली कंपनियों में कुछ फर्जी होती हैं। जो लोन के लिए सबसे पहले एप पर रजिस्ट्रेशन करने के लिए कहती हैं। लिंक भेज कर कहा जाता है कि इस पर क्लिक करने पर लोन मिल जाएगा और इसके लिए सिक्योरिटी व दस्तावेजों की जरूरत नहीं होगी। फ्राड करने वाले भेजे लिंक पर क्लिक करने और प्ले स्टोर से एप डाउनलोड करने के लिए कहते हैं। ध्यान रखना चाहिए कि कोई बैंक लिंक पर क्लिक करने या फिर एप डाउनलोड करने से लोन नहीं देता। लिंक पर क्लिक करने से निजी जानकारी शेयर हो जाती है। इससे बैंक अकाउंट में सेंधमारी हो सकती है।
एप से लोन लेने से बचे
कई माइक्रो फाइनेंसिंग एप आधार कार्ड और पैन कार्ड के जरिये लोन देने का झांसा देते हैं। इस तरह के एप डाउनलोड करने से फोन में वायरस आ जाते हैं। स्कैमर्स निजी जानकारियां चुरा लेते हैं और फिर धोखाधड़ी करते हैं। हालांकि, अगर सतर्क हैं, तो फेक एप का आसानी से पता लगा सकते हैं। कोई लोन एप डाउनलोड करने से पहले उसकी रेटिंग और रिव्यू देखें। इसी के साथ उसे चलाने वाली कंपनी के बारे में जानकारी करें। यह जाचें कि क्या इसके साथ कोई बैंक जुड़ा है या नहीं। नियमों के मुताबिक किसी भी लोन एप के साथ किसी एनबीएफसी (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी) को जुड़ा होना जरूरी है।
शेयर ना करें निजी जानकारियां
प्ले स्टोर से डाउनलोड करने के बाद फर्जी एप यूजर्स से जानकारी मांगते हैं, जबकि असली एप लोन देने से पहले पूरी जानकारी देगा। वह पारदर्शिता के साथ प्रक्रियाएं पूरी कराएगा। अगर कोई एप ऐसा नहीं कर रहा है तो बचने की जरूरत है। बिना केवाईसी, बिना डाक्यूमेंट वेरिफिकेशन के लोन देने वाले एप से सावधान रहें, अन्यथा मुसीबत में फंस सकते हैं।
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