चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर रेवती नक्षत्र, अमृत योग, सर्वार्थसिद्धि योग, कुमार योग, राजयोग, वैधृति योग महा पञ्चयोगों में कालयुक्त नामक नव संवत्सर 2081 प्रारम्भ...
चैत्र नवरात्र 2024 : कालयुक्त नाम का नव संवत्सर, इस बार अश्व पर माता का आगमन
Apr 05, 2024 10:34
Apr 05, 2024 10:34
- नव संवत्सर 2081 का होगा मिश्रित प्रभावी होगा
- इस बार पूरे नौ दिन के होंगे नवरात्र
- मंगलवार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नवरात्र प्रारंभ
नव संवत्सर 2081 के ग्रहों का मंत्रिमंडल
नव संवत्सर 2081 के ग्रहों का मंत्रिमंडल इस बार निम्न प्रकार से होगा। नव संवत्सर का राजा–मंगल, मंत्री–शनि, सस्येश–मंगल, धान्येश–सूर्य, मेघेश–शुक्र, रसेश–गुरु, नीरसेश–मंगल, फलेश–शुक्र, धनेश–चन्द्र, दुर्गेश–शुक्र है।
इस बार पूरे नौ दिन हैं बासन्तीय चैत्र नवरात्र
9 अप्रैल से चैत्र नवरात्र प्रारंभ तथा 17 अप्रैल तक रहेंगे 17 अप्रैल को रामनवमी मनाई जाएगी। इस बार चैत्र नवरात्र 2024 पूरे नौ दिन के होंगे। यानी देवी के भक्तों को पूरे नौ दिन देवी की अराधना और पूजा करने का अवसर मिलेगा।
कुप्रभावों से बचने के लिए नियत मुहूर्त में करें नवरात्रि कलश स्थापना
पंडित भारत ज्ञान भूषण के अनुसार कुप्रभावों से बचने के लिए इस बार नवरात्र कलश स्थापना नियत मुहूर्त में ही करें। उन्होंने बताया कि इस बार बासन्तीय नवरात्रि वैधृति योग में प्रारंभ होने के कारण प्रातः घट स्थापना सम्भव ना हो सकेगा। केवल अभिजीत मुहूर्त में कलश स्थापना करना रहेगा शुभ।
मुख्य नगरों के आसपास घट स्थापना के अभिजीत सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त
मंगलवार 9 अप्रैल 2024 को निम्न रहेंगे।
दिल्ली - दोपहर 11:56 से 12:47 तक
गाजियाबाद दोपहर 11:57 से 12:40 तक
मेरठ - दोपहर 11:54 से 12:45 तक वैधृति योग अपरान्ह 2:18 मिनट पर समाप्त होने के बाद घट स्थापना संध्या से पहले अपरान्ह शुभ योग में 3:33 से 5:08 मिनट तक भी किया जा सकता है।
इस नवरात्र विशेष
नवरात्रि में शक्ति पूजा तो रात्रि में विशेष फलदायी रहती है। लेकिन दिन छिपने के बाद कलश स्थापना निषेध व अशुभ माना जाता है। इसलिए कलश की स्थापना दिन छिपने के बाद ना करेंं। शुभ समय में कलश स्थापना का अपना महत्व होता है।
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