Meerut News : मुर्दों पर महंगाई की मार, अर्थी का समान और चिता की लकड़ी के बढ़े दाम

मुर्दों पर महंगाई की मार, अर्थी का समान और चिता की लकड़ी के बढ़े दाम
UPT | मेरठ सूरजकुंड स्थित शमशान घाट।

Oct 28, 2024 12:51

मरने के बाद के बाद भी महंगाई पीछा नहीं छोड़ रही है। मुर्दों के लिए श्मशान घाट में लकड़ी और कफन से लेकर अन्य सामग्री तक महंगी हो गई है। चिता की सेज भी दो गुना महंगी हो गई है।

Oct 28, 2024 12:51

Short Highlights
  • तीन साल में बढ़ गए दो गुना से अधिक चिता की लकड़ी के दाम
  • श्मशान घाट पर शवों का अंतिम संस्कार का सामान भी महंगा
  • एक शव के दाह संस्कार में खर्च हो रहे 6,000 रुपये से अधिक
Meerut News : श्मशान घाट पर शवों के अंतिम संस्कार के लिए इस्तेमाल में आने वाले लकड़ी की कीमत आसमान छू रही हैंं। इतना ही नहीं अर्थी सजाने के लिए इस्तेमाल होने वाले सामानों की कीमतों में दो गुना इजाफा हुआ है। चिता जलाने के लिए उपयोग में आने वाली लकड़ी की कीमतें पिछले दो साल में काफी बढ़ गई हैं।

पहले 2500 में जलती थी चिंता अब लगते हैं 6000 हजार
मेरठ सूरजकुंड स्थित श्मशान घाट में तीन साल पहले तक एक शव जलाने के लिए 2500 रुपए की लकड़ी आती थी। लेकिन पिछले दो साल में लकड़ी की कीमत में तेजी आई है। अब एक चिता जलाने के लिए 6,000 रुपए की लकड़ी खरीदनी पड़ती है। इसके अलावा अन्य खर्चे अलग हैं। सूरज कुंड श्मशान घाट पर लकड़ी और अन्य सामग्री की मनमानी कीमतें भी वसूली की जानकारी सामने आई है। श्मशान घाट पर लकड़ी विक्रेता राज किशोर ने बताया कि श्मशान घाट पर लोग अपनी स्वेच्छा से अंतिम संस्कार की सामग्री की कीमतें देते हैं। कोई भी आने वाला व्यक्ति मोल भाव नहीं करता। 


कोई दाम तय नहीं होता
श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार कराने वाले बताते हैं कि वहां अंतिम क्रिया की वस्तुओं का कोई दाम तय नहीं है। नगर निगम की ओर से भी कोई दाम नहीं तय किया गया है। इससे गरीब लोगों को परेशानी आती है। 

मोल भाव की हालत में नहीं होते लोग
सूरज कुंड स्थित श्मशान घाट पर काम करने वाले व्यक्ति ने बताया कि यहां पर आने वाला आदमी मोल भाव की हालत में नहीं होता है। ऐसे में अंतिम संस्कार के लिए वस्तुओं की जो कीमतें मांगी जाती हैं वो उसका भुगतान कर देते हैं। 

अर्थी सजाने के लिए बांस सीढ़ी महंगी
अंतिम संस्कार के लिए इस्तेमाल होने वाली लकड़ी के दाम ही नहीं बल्कि अन्य वस्तुओं की कीमत भी बढ़ गई हैं। मिट्टी का घड़ा हो या फिर अर्थी सजाने के लिए बांस की सीढ़ी या फिर चिता जलाने में इस्तेमाल की जाने वाली रॉल, सबके दाम दो से तीन गुना तक महंगे हो गए है। 
 

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