साख जमा अनुपात समीक्षा बैठक : गाजियाबाद डीएम ने कहा, पीएनबी में रुपये नहीं जमा कराएं लोग

गाजियाबाद डीएम ने कहा, पीएनबी में रुपये नहीं जमा कराएं लोग
UPT | गाजियाबाद के डीएम इंद्र विक्रम सिंह ने साख जमा अनुपात की समीक्षा बैठक की

Dec 27, 2024 09:19

मुख्यमंत्री युवा रोजगार सृजन योजना के तहत 1000 ने आवेदन किया। लेकिन, इनमें से मात्र 40 प्रतिशत यानी 400 को ऋण मिल सका।

Dec 27, 2024 09:19

Short Highlights
  • डीएम इंद्र विक्रम सिंह ने ली बैंकों की बैठक 
  • पीएनबी की सीडीआर कम होने पर डीएम ने कहा
  • साख जमा अनुपात की समीक्षा बैठक में डीएम नाराज
Ghaziabad News : गाजियाबाद के डीएम इंद्र विक्रम सिंह ने साख जमा अनुपात की समीक्षा बैठक की। जिसमें उन्होंने अपील की है कि लोग पंजाब नेशनल बैंक में पैसे जमा न कराएं। गाजियाबाद डीएम ने ये अपील पीएनबी का साख-जमा अनुपात (क्रेडिट डिपोजिट रेशियो) कम हो जाने पर की है। यह जिले के बैंकों में सबसे कम 24.41 फीसदी पाई है। इसका अर्थ यह है कि बैंक के पास जमा धनराशि में से एक चौथाई ही उधार यानी ऋण के रूप में दी जा रही है।

पीएनबी ना तो जनहित में काम कर रहा ना विकास में सहयोग 
साख जमा अनुपात की समीक्षा बैठक में डीएम ने नाराजगी भरे लहजे में कहा कि पंजाब नेशनल बैंक न तो जनहित में काम कर रहा है और न गाजियाबाद जनपद के विकास में सहयोग कर रहा है। बैंक ने पिछली तिमाही (सितंबर तक) 15 हजार करोड़ जमा किए। इनमें से 3,662 करोड़ ही ऋण के रूप में दिए गए। सामान्य रूप से यह औसत 60 से 70 फीसदी होना चाहिए। इसका मतलब यह है कि अगर बैंक में 100 करोड़ जमा हैं तो 60 से 70 करोड़ ऋण में दिए जाएं।

कई और बैंकों में जमा धनराशि अनुपात से कम
कई और बैंकों में जमा धनराशि के मुकाबले दिया गया ऋण यानी साख जमा अनुपात कम पाया गया। इनमें यूनियन बैंक ऑफ इंडिया 31.64, बैंक ऑफ बड़ौदा 27.43, पंजाब एंड सिंध बैंक 35.41 प्रतिशत और इंडियन बैंक 32.39 प्रतिशत है। डीएम ने सभी बैंकों के प्रबंधकों को कारण बताओ नोटिस जारी करके सात दिन के भीतर जवाब मांगा है। बैंकों के क्षेत्रीय प्रबंधकों को इसमें सुधार लेने के निर्देश दिए। डीएम ने कहा कि ऋण के लिए जो आवेदन आ रहे हैं, उन पर त्वरित कार्रवाई की जाए। इस दौरान अग्रणी जिला प्रबंधक बुद्धराम मौजूद रहे।

मात्र 40 फीसदी युवाओं को ही मिला ऋण
गाजियाबाद में युवाओं को रोजगार के लिए ऋण मुश्किल से मिल रहा है। पिछले वित्तीय वर्ष की बात करें तो एक हजार से अधिक ने एक जिला एक उत्पाद, प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना और मुख्यमंत्री युवा रोजगार सृजन योजना के तहत 1000 ने आवेदन किया। लेकिन, इनमें से मात्र 40 प्रतिशत यानी 400 को ऋण मिल सका। तमाम ऐसे मामले हैं जिनमें जिला उद्योग केंद्र से जो फाइल ऋण के लिए बैंक के पास भेजी गई, वह महीनो तक लटकी रही। इसके बाद ऋण देने से मना करते हैं। ऋण देने से बचने की वजह से बैंकों का सीडीआर बिगड़र है।

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