चेतावनी दी है कि अगर जमीन का अधिग्रहण किया गया तो तीनों गांव के लोग चार नवंबर से कोल गांव मार्ग खड़खड़ी से धरना प्रदर्शन करेंगे।
Ganga Expressway Industrial Corridor : गंगा एक्सप्रेसवे औद्योगिक गलियारे पर संकट, किसानों ने जमीन देने से किया इनकार
Oct 25, 2024 09:03
Oct 25, 2024 09:03
- किसान बोले जमीन के लिए दबाव बनाया तो करेंगे आंदोलन
- पूरी जमीन उपजाऊ, जीवन यापन का सहारा यही जमीन
- प्रशासन पर जमीन का मुआवजा ठीक तरह से नहीं दिए जाने का आरोप
डीएम को दिए ज्ञापन में चेतावनी दी
गंगा एक्सप्रेसवे के किनारे औद्योगिक गलियारे के लिए जमीन देने से इनकार करने वाले किसानों ने डीएम को ज्ञापन दिया। डीएम को दिए ज्ञापन में चेतावनी दी है कि अगर किसानों की जमीन जोर जबरदस्ती कर अधिग्रहण की गई तो चार गांव के किसान 4 नवंबर से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठेंगे। किसानों का कहना है कि उनकी जमीन का जिला प्रशासन उचित मुआवजा नहीं दे रहा है। जिसके चलते किसान नाराज है और वह जमीन देने से मना कर रहे है।
खरखौदा क्षेत्र में गंगा एक्सप्रेसवे के किनारे औद्योगिक गलियारा
खरखौदा क्षेत्र में गंगा एक्सप्रेसवे के किनारे औद्योगिक गलियारा यूपीडा द्वारा बनाए जाने की तैयारी है। जिसमें किसानों की जमीन दिलाने का काम जिला प्रशासन के जिम्मे है। एसडीएम सदर कमल किशोर और तहसीलदार शैलेंद्र सिंह ने औद्योगिक गलियारे के लिए 200 हेक्टेयर जमीन खरखौदा और बिजौली के किसानों की दिलवा दी।
दोनों गांव में जमीन के सर्किल रेट 98 लाख हेक्टेयर
दोनों गांव में जमीन के सर्किल रेट 98 लाख हेक्टेयर है। सर्किल रेट से चार गुना ज्यादा पैसा प्रशासन ने किसानों को दिला दिया। यूपीडा ने 300 हेक्टेयर जमीन की मांग प्रशासन से की, जोकि गोविंदपुर, खड़खड़ी, छतरी गांव के किसानों की है। इन तीनों गांव में 38 लाख रुपये हेक्टेयर जमीन के सर्किल रेट है। किसान खरखौदा और बिजौली के किसानों से अधिक जमीन का मुआवजा मांग रहे हैं। जिसको दिलाने में जिला प्रशासन तैयार नहीं है।
प्रशासन जबरन जमीन लेना चाहता
इसको लेकर तीनों गांव के किसानों ने कलक्ट्रेट पहुंचकर हंगामा किया। किसानों ने कहा कि किसी भी हालत में जमीन नहीं देंगे। प्रशासन जबरन जमीन लेना चाहता है। चेतावनी दी है कि अगर जमीन का अधिग्रहण किया गया तो तीनों गांव के लोग चार नवंबर से कोल गांव मार्ग खड़खड़ी से धरना प्रदर्शन करेंगे।
जीवन यापन करने के लिए एकमात्र यही सहारा
किसानों का कहना कि उनकी पूरी भूमि समतल व उपजाऊ है। सभी किसानों के पास जीवन यापन करने के लिए एकमात्र यही सहारा है। किसान भूमि देने के लिए इच्छुक नहीं है। डीएम दीपक मीणा ने बताया कि किसानों से बातचीत चल रही है। सहमति से ही जमीन ली जाएगी। जबरन जमीन लेने की कोई बात ही नहीं।
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