नोएडा में साइबर ठगी का बड़ा मामला : बैंक मैनेजर को 7 दिन तक डिजिटल अरेस्ट रखा, मनी लॉन्ड्रिंग का डर दिखाकर 52 लाख रुपये ठगे

 बैंक मैनेजर को 7 दिन तक डिजिटल अरेस्ट रखा, मनी लॉन्ड्रिंग का डर दिखाकर 52 लाख रुपये ठगे
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Aug 31, 2024 15:15

साइबर अपराधियों ने नोएडा के एक निजी बैंक के प्रोजेक्ट मैनेजर को डिजिटल अरेस्ट में रखकर एक सप्ताह के भीतर 52 लाख 50 हजार रुपये की बड़ी ठगी को अंजाम दिया है।

Aug 31, 2024 15:15

Short Highlights
  • बैंक  मैनेजर को डिजिटल अरेस्ट कर किया प्रताड़ित
  • धनराशि ट्रांसफर करने के लिए मजबूर
  • परिवार को भी बनाया शिकार
Noida News : साइबर अपराधियों ने नोएडा के एक निजी बैंक के प्रोजेक्ट मैनेजर को डिजिटल अरेस्ट में रखकर एक सप्ताह के भीतर 52 लाख 50 हजार रुपये की बड़ी ठगी को अंजाम दिया है। अपराधियों ने पीड़ित को मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसाने की धमकी देकर विभिन्न बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर करवाया। पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

11 अगस्त से शुरू हुई घटना
झारखंड के निवासी 26 वर्षीय जय राज शर्मा वर्तमान में नोएडा के सेक्टर-20 में रहते हैं और सेक्टर-16 स्थित एक निजी बैंक में प्रोजेक्ट मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं। बीते 11 अगस्त को जब जय राज अपने घर पर थे, तभी उनके मोबाइल पर एक अनजान नंबर से कॉल आया। कॉलर ने खुद को टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) का कर्मचारी बताते हुए दावा किया कि उनका मोबाइल नंबर संदिग्ध गतिविधियों में शामिल पाया गया है और दो घंटे के भीतर बंद कर दिया जाएगा।

साइबर क्राइम ब्रांच का अधिकारी बनकर ठगी
कॉलर ने अधिक जानकारी के लिए मोबाइल कीपैड पर '1' दबाने के लिए कहा। जैसे ही जय राज ने निर्देश का पालन किया, उनकी बात कथित रूप से मुंबई साइबर क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी से कराई गई। इस अधिकारी ने जय राज को बताया कि वे जेट एयरवेज के मालिक नरेश गोयल के सात करोड़ रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग केस में लिप्त हैं और उनके खिलाफ कोलाबा (मुंबई) में केस दर्ज है।

डिजिटल अरेस्ट के बाद मानसिक प्रताड़ना
इसके बाद अपराधियों ने जय राज को स्काइप कॉल पर जोड़ा, जहां कथित मुंबई पुलिस अधिकारियों ने उनसे गहन पूछताछ शुरू की। उन्हें फर्जी एफआईआर और कानूनी नोटिस दिखाए गए, जिससे जय राज बेहद डरे और चिंतित हो गए। अपराधियों ने उन्हें बताया कि मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ है और इसकी सुनवाई अगले दिन सुप्रीम कोर्ट में डिजिटल माध्यम से होगी।

नकली डिजिटल कोर्ट सुनवाई
अगले दिन एक नकली डिजिटल कोर्ट सुनवाई का आयोजन किया गया, जहां जय राज से उनके बैंक खातों, स्टॉक और म्यूचुअल फंड्स से संबंधित विस्तृत जानकारी मांगी गई। फर्जी जज ने आदेश दिया कि सभी धनराशि एक सीक्रेट सुपरविजन अकाउंट में ट्रांसफर की जाए। जिससे भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) इसकी जांच कर सके। अपराधियों ने विश्वास दिलाया कि जांच पूरी होने के बाद सारी रकम वापस मूल खातों में ट्रांसफर कर दी जाएगी।

परिवार को भी बनाया शिकार
अपराधियों के दबाव में आकर जय राज ने पहले 29 लाख रुपये विभिन्न खातों में ट्रांसफर किए। जब उन्हें और धनराशि ट्रांसफर करने के लिए मजबूर किया गया, तो उन्होंने अपने पिता से भी पैसे लेकर ठगों द्वारा बताए गए खातों में जमा कर दिए। कुल मिलाकर सात दिनों के भीतर 52 लाख 50 हजार रुपये की ठगी की गई। इस दौरान जय राज को लगातार स्काइप कॉल पर ऑनलाइन रहने और अपने मोबाइल एवं लैपटॉप के जरिए अपराधियों के संपर्क में रहने के लिए मजबूर किया गया। वे अपने दैनिक कार्यों पर भी जाते रहे, लेकिन मानसिक रूप से अत्यधिक दबाव में थे।

पीड़ित ने करवाया मुकदमा दर्ज
जब ठगों की मांगें बढ़ती गईं और उन्हें और धनराशि ट्रांसफर करने के लिए कहा जाने लगा तो जय राज को संदेह हुआ। उन्होंने आगे धनराशि ट्रांसफर करने से इंकार कर दिया, जिसके बाद अपराधियों ने उनसे सभी संपर्क तोड़ दिए। वास्तविकता का अहसास होते ही जय राज ने तुरंत पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।

जांच में जुटी पुलिस
नोएडा पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल एफआईआर दर्ज की और साइबर क्राइम यूनिट को जांच सौंपी। पुलिस अधिकारी ने बताया कि अपराधियों ने अत्यंत योजनाबद्ध तरीके से इस घटना को अंजाम दिया है और संभवतः एक संगठित गिरोह का काम है। पुलिस विभिन्न बैंकों के खातों की जांच कर रही है जिनमें धनराशि ट्रांसफर की गई थी और कॉल डिटेल्स के माध्यम से अपराधियों की पहचान करने की कोशिश की जा रही है।

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