समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के शासनकाल के दौरान हुए बहुचर्चित जमीन घोटाले की जांच में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। हाल ही में पूर्व नोएडा अथॉरिटी के सीईओ और चेयरमैन मोहिंदर सिंह के ठिकानों पर छापेमारी के बाद करोड़ों की संपत्ति जब्त की गई।
जमीन घोटाले में ईडी की जांच तेज : कई रिटायर्ड आईएएस अधिकारी रडार पर, चेयरमैन मोहिंदर सिंह के बाद इन अफसरों के नाम खुले
Sep 29, 2024 14:59
Sep 29, 2024 14:59
- कई अफसरों और बिल्डरों की भूमिका की जांच कर रही ईडी
- छापेमारी के बाद करोड़ों की संपत्ति जब्त
- वर्ष 2010 से 2016 के बीच हुआ बड़ा घोटाला
वर्ष 2010 से 2016 के बीच हुआ बड़ा घोटाला
ईडी अब उन सभी अफसरों की भूमिका की गहनता से जांच कर रही है। जिन्होंने वर्ष 2010 से 2016 के बीच नोएडा अथॉरिटी में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। रिटायर्ड सीईओ मोहिंदर सिंह के बाद ईडी का ध्यान अब रमा रमण और संजीव सरन जैसे अधिकारियों की ओर मुड़ गया है। जिनके कार्यकाल के दौरान कथित रूप से कई जमीन घोटाले हुए थे।
मोहिंदर सिंह को 5 अक्टूबर को फिर पूछताछ के लिए बुलाया गया
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मोहिंदर सिंह को 5 अक्टूबर को दोबारा पूछताछ के लिए बुलाया है। इससे पहले भी ईडी ने उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया था, लेकिन वह पेश नहीं हुए थे। ईडी ने साफ कर दिया है कि अगर इस बार भी वह पेश नहीं होते हैं तो आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी। अब ईडी अन्य आरोपियों को भी नोटिस भेजकर जांच प्रक्रिया में शामिल करने की तैयारी कर रही है।
रमा रमण और संजीव सरन की जांच शुरू
पूर्व नोएडा अथॉरिटी के सीईओ रमा रमण, जिन्होंने तीन साल से अधिक समय तक इस पद का कार्यभार संभाला और संजीव सरन, जो दो बार इस पद पर तैनात रहे, अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच के केंद्र में हैं। ईडी की टीम रमा रमण के कार्यकाल में हुए कथित घोटालों के दस्तावेज़ों को एकत्रित करने में जुटी है। वहीं, संजीव सरन के खिलाफ होटल लैंड अलॉटमेंट में गड़बड़ी के संबंध में पहले से ही मामला दर्ज है, जिसे अब इस जांच में शामिल किया जा रहा है।
'लोटस 300' प्रोजेक्ट में 426 करोड़ की धोखाधड़ी की जांच
हैसिंडा प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा 'लोटस 300' प्रोजेक्ट्स के जरिए निवेशकों से 426 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का मामला भी अब जांच का हिस्सा बन गया है। इस घोटाले में शामिल संस्थाओं और प्रमोटरों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी चल रही है। ईडी अब इस प्रोजेक्ट से जुड़े कई अफसरों और बिल्डरों की भूमिका की भी जांच कर रही है।
हाईकोर्ट की कड़ी टिप्पणी
जब संजीव सरन और राकेश बहादुर को दूसरी बार नोएडा अथॉरिटी में तैनात किया गया, तो इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस पर सख्त टिप्पणी की। कोर्ट ने सवाल उठाया, "क्या इनका जन्म नोएडा में तैनात होने के लिए हुआ है?" नवंबर 2012 में कोर्ट ने दोनों अधिकारियों को उनके पदों से हटाने और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसी अन्य पद पर तैनात न करने का आदेश दिया। इसके बावजूद तत्कालीन सरकार ने इस आदेश का पालन नहीं किया, जिसके बाद कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की गई।
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