कंपनी पेड़ पौधों की पत्तियों, नारियल के छिलके से विजिटिंग कार्ड, डायरी, पेन, नोट बुक, पेपर फोल्डर और कैलेंडर सहित कई इको फ्रेंडली प्रोडक्ट बना रही है, जिन्हें देश के साथ-साथ विदेशों में भी काफी पसंद किया जा रहा है।
कबाड़ से बने इको-फ्रेंडली उत्पादों की बढ़ती मांग : अंकित और अतुल का अनूठा प्रयास, जानें 30,000 से करोड़ों तक का सफर
Sep 29, 2024 15:05
Sep 29, 2024 15:05
बता दें यह कंपनी पेड़ पौधों की पत्तियों, नारियल के छिलके से विजिटिंग कार्ड, डायरी,पेन, नोट बुक, पेपर फोल्डर और कैलेंडर सहित कई इको फ्रेंडली प्रोडक्ट बना रही है, जिनको देश के साथ-साथ विदेशों में भी काफी पसंद किया जा रहा है।
अंकित और अतुल का अनूठा प्रयास
दरअसल ग्रेटर नोएडा के रहने वाले अंकित और अतुल त्रिपाठी दो भाइयों ने दैनिक जीवन में सिंगल यूज प्लास्टिक से संबंधित उत्पादों को खत्म करने के लिए एक अनूठी पहल की है। जिसमें वह कबाड़ से इको फ्रेंडली प्रोडक्ट बना रहे हैं, जो दैनिक जीवन प्रयोग किए जाते है।
अंकित त्रिपाठी का कहना है कि उन्होंने दिल्ली के भलस्वा डेयरी इलाके में प्लास्टिक प्रदूषण को देखकर इस दिशा में कदम बढ़ाया। उनका उद्देश्य कबाड़ को कच्चे माल के रूप में इस्तेमाल करते हुए दैनिक जीवन के उपयोग में आने वाले इको-फ्रेंडली उत्पादों का निर्माण करना है। इन उत्पादों में विजिटिंग कार्ड, डायरी, पेन, नोटबुक और कैलेंडर शामिल हैं, जिन्हें देश और विदेश में सराहा जा रहा है।
अंकित त्रिपाठी की यूनेको
ग्रेटर नोएडा के एनआईईटी कॉलेज से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले अंकित त्रिपाठी ने अपने करियर के लिए एक अनूठा रास्ता चुना। उन्होंने अपने परिवार को बताया कि वे नौकरी नहीं करना चाहते, बल्कि ऐसा कुछ करना चाहते हैं जो पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले कबाड़ को कम करे। इस सोच के तहत, उन्होंने कबाड़ से इको-फ्रेंडली उत्पाद बनाने के लिए अपनी कंपनी UNECO की स्थापना की।
30,000 रुपये से शुरू हुआ सफर
अंकित ने 2019 में सिर्फ 30,000 रुपये से इस स्टार्टअप की शुरुआत की। आज, उनका कारोबार करोड़ों का हो चुका है और उनके उत्पाद भारत के साथ-साथ अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में भी सराहे जा रहे हैं। उनके द्वारा निर्मित उत्पादों में विजिटिंग कार्ड, डायरी, पेन, नोटबुक और कैलेंडर शामिल हैं, जिनकी गुणवत्ता और उपयोगिता ने कई प्रतिष्ठित संस्थानों, जैसे ISRO और AIIMS का ध्यान आकर्षित किया है।
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