नीतीश कुमार के साथ उप-मुख्यमंत्री का पदभार संभालने वाले सम्राट चौधरी बीजेपी के वहीं नेता हैं जिन्होंने नीतीश कुमार को सीएम पद की कुर्सी से हटाने के लिए प्रतिज्ञा कर ली थी...
Bihar Politics : जानिए बिहार के दो नए डिप्टी सीएम का राजनीतिक सफर
Jan 28, 2024 16:35
Jan 28, 2024 16:35
नीतीश कुमार के साथ उप-मुख्यमंत्री का पदभार संभालने वाले सम्राट चौधरी बीजेपी के वहीं नेता हैं जिन्होंने नीतीश कुमार को सीएम पद की कुर्सी से हटाने के लिए प्रतिज्ञा कर ली थी, उन्होंने सिर पर पगड़ी धारण कर सौगंध ली कि जब तक नीतीश कुमार को सीएम की कुर्सी से बेदखल नहीं करेंगे, तब तक पगड़ी नहीं उतारेंगे। विजय सिन्हा की बात करें तो इसी महागठबंधन की सरकार ने उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाकर सदन से बाहर करवा दिया था, और उसी महागठबंधन से अलग होकर एनडीए का दामन थामने वाले नीतीश की सरकार में अब सिन्हा डिप्टी सीएम होंगे।
कौन हैं सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा
सम्राट चौधरी भारतीय जनता पार्टी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष हैं। सम्राट चौधरी बिहार सरकार में 1999 में कृषि मंत्री और 2014 में शहरी विकास और आवास विभाग के मंत्री रह चुके हैं। वहीं विजय कुमार सिन्हा एक भारतीय राजनीतिज्ञ और बिहार विधान सभा में विपक्ष के नेता हैं । वह भारतीय जनता पार्टी के सदस्य हैं और 2010 से लखीसराय निर्वाचन क्षेत्र से बिहार विधान सभा के सदस्य हैं। वह 25 नवंबर 2020 से 24 अगस्त 2022 तक बिहार विधानसभा के अध्यक्ष थे, विजय सिन्हा ने वर्तमान सत्तारूढ़ महागठबंधन द्वारा उनके खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
इस जाति से रखते हैं ताल्लुक
बता दें कि विजय सिन्हा भूमिहार और सम्राट चौधरी कोइरी समाज से आते हैं। ओबीसी वोट बैंक में यादवों के बाद सबसे ज्यादा संख्या बल कुर्मी-कोइरी का है। यादवों की आबादी तकरीबन 15 फीसदी है, तो कुर्मी-कोइरी की 7 फीसदी के करीब। वहीं भूमिहारों की आबादी करीब 3 फीसदी है। इससे एक बात तो तय है कि बीजेपी बिहार में जातीय समीकरण साधने की कोशिश में लगी हुई है।
निजी जीवन
सम्राट चौधरी की उम्र करीब 54 वर्ष है। बिहार में समता पार्टी के संस्थापक शकुनी चौधरी के बेटे हैं। शकुनी चौधरी का कुशवाहा समाज में बड़ा नाम और पकड़ है। वह कई बार विधायक और सांसद रह चुके हैं।
वहीं वर्ष 1967 में जन्मे सिन्हा शुरू से ही राजनीतिक मुद्दों को लेकर एक्टिव रहे हैं। वह एएन कॉलेज में स्नातक के दौरान एबीवीपी के सक्रिय सदस्य रहे। उन्होंने बेगूसराय के पॉलिटेक्निक कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा हासिल किया। 1985 में बिहार पॉलिटेक्निक छात्र संघ के सचिव रहे। उनके पिता शारदा रमन सिंह बाढ़ के हाई स्कूल में प्रभारी प्रिंसिपल रह चुके हैं।
कैसा रहा अब तक का राजनीतिक सफर
साल 1990 से राजनीति की दुनिया में कदम रखने वाले सम्राट चौधरी ने साल 2018 में आरजेडी का दामन छोड़ भाजपा ज्वाइन किया।
फिर उन्हें एनडीए सरकार में पंचायती राज्य मंत्री बनाया गया। 1999 में राबड़ी की सरकार में कृषि मंत्री भी रहे थे। वर्ष 2000 और 2010 में परबत्ता विधानसभा से उन्हें विधायक भी चुना गया था। 2014 में नगर विकास विभाग के मंत्री बने। फिलहाल भाजपा को 2024 में बिहार में बंपर जीत दिलाने की कमान सम्राट चौधरी ही संभाल रहे हैं।
वहीं वर्ष 1967 में जन्मे सिन्हा ने 1982 में ही आरएसएस ज्वाइन कर लिया था। नीतीश कुमार से विधानसभा में अक्सर अपनी तीखी तकरार के लिए जाने, जाने वाले सिन्हा को पहली बार 2013 में भाजपा का प्रवक्ता बनाया गया। इससे पहले वर्ष 2000 में वह भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश संगठन प्रभारी भी रहे। 2004 में बीजेपी प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य बने। वह इसके बाद बीजेपी किसान मोर्चा के प्रदेश महामंत्री और बेगूसराय व खगड़िया के क्षेत्रीय प्रभारी का जिम्मा भी संभाला। वर्ष 2005 में विजय सिन्हा को पहली बार लखीसराय से विधायक चुना गया। 2010 से फिर लगातार इस सीट से विधायक हैं। 2017 में नीतीश सरकार में मंत्री रहे। वह भाजपा के समर्पित नेताओं में गिने जाते हैं।
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