नोएडा के सेक्टर-107 में स्थित बहुचर्चित लोटस 300 रियल एस्टेट प्रोजेक्ट में हुए कथित घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में पंजाब में बड़ी कार्रवाई की है।
नोएडा से पंजाब तक फैला लोटस 300 प्रोजेक्ट घोटाला : ईडी ने 23 करोड़ की संपत्तियों पर की बड़ी कार्रवाई, होमबायर्स के पैसों से खरीदी गई थी जमीन
Nov 01, 2024 14:14
Nov 01, 2024 14:14
कैसे हुआ लोटस 300 प्रोजेक्ट घोटाला?
लोटस 300 प्रोजेक्ट नोएडा के सेक्टर-107 में हैसिंडा प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड (एचपीपीएल) द्वारा वर्ष 2010-11 में 67,941.45 वर्ग मीटर जमीन पर शुरू किया गया था। लेकिन, इस परियोजना में बिल्डर-खरीदार समझौते का उल्लंघन कर 27,941.45 वर्ग मीटर जमीन को प्रतीक इंफ्राप्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड को 236 करोड़ रुपये में बेच दिया गया। इसी तरह, इस प्रोजेक्ट से प्राप्त 190 करोड़ रुपये की राशि थ्री सी यूनिवर्सल डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड के खाते में ट्रांसफर कर दी गई। इस हेरफेर के कारण परियोजना अधूरी रह गई, जिससे निवेशकों और नोएडा प्राधिकरण को भारी नुकसान हुआ।
मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज
लोटस 300 परियोजना में हुए इस घोटाले का खुलासा इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्देशों पर हुआ। दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा द्वारा दर्ज प्राथमिकी के आधार पर ईडी ने इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया। सितंबर माह में ईडी ने थ्री सी ग्रुप के ठिकानों पर छापेमारी की और इस दौरान 42 करोड़ रुपये की नकदी, सोने-हीरे के आभूषण और कई महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए। जांच के दौरान पता चला कि थ्री सी यूनिवर्सल डेवलपर्स ने अधिकांश धन को अपनी ही सहायक कंपनियों मूनलाइट प्रॉपबिल्ड और एल्को ग्लोबल वेंचर्स को असुरक्षित ऋण के रूप में भेज दिया था। इस राशि का उपयोग बाद में अवैध तरीकों से अर्जित धन से संपत्तियां खरीदने में किया गया।
नोएडा अथॉरिटी ने सौंपी संदिग्ध अधिकारियों की रिपोर्ट
नोएडा अथॉरिटी ने इस मामले में आठ अधिकारियों की भूमिका को संदेहास्पद बताया है और ईडी को रिपोर्ट सौंपी है। रिपोर्ट में इन अधिकारियों में से तीन अधिकारी रिटायर हो चुके हैं, जिनमें पूर्व सीईओ मोहिंदर सिंह का नाम भी शामिल है। ये सभी अधिकारी वर्ष 2010 से 2016 के बीच लोटस 300 प्रोजेक्ट से जुड़े रहे हैं, और इनके खिलाफ जांच चल रही है। अब ईडी उन अधिकारियों की मिलीभगत की जांच कर रही है जो इस भूमि के हस्तांतरण और 236 करोड़ रुपये के वितरण में संलिप्त रहे हो सकते हैं।
ईडी का अगला कदम
इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय के द्वारा संपत्तियों को जब्त करने के बाद, अब और गहन जांच की जा रही है। ईडी इस बात की जांच कर रही है कि होमबायर्स के निवेश से खरीदी गई संपत्तियों का उपयोग किस तरह किया गया और किस स्तर पर अधिकारियों की सहभागिता रही। एजेंसी का यह भी कहना है कि परियोजना के तहत विभिन्न कंपनियों के नाम पर किए गए वित्तीय लेन-देन का गहन विश्लेषण किया जा रहा है।
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