प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने नोएडा अथॉरिटी के पूर्व अध्यक्ष और सीईओ मोहिंदर सिंह के ठिकानों पर बुधवार को छापामारी की है। एजेंसी ने...
मोहिंदर सिंह से ईडी ने तीन साल पहले की थी पूछताछ : छानबीन में बेनामी प्रॉपर्टी सामने आई, जल्दी हो सकती है गिरफ़्तारी
Sep 19, 2024 01:11
Sep 19, 2024 01:11
ईडी ने तीन साल पहले छह अफ़सरों से पूछताछ की थी
इस रियल एस्टेट समूह पर सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने और लगभग 3,000 करोड़ रुपये की घर खरीदारों की राशि को हेरफेर करके अन्यत्र भेजने का आरोप है। इस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हो रही थी। आम्रपाली समूह के निदेशक मंडल को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गिरफ़्तार करके जेल भेजा गया था। पूर्व आईएएस अधिकारी मोहिंदर सिंह के अलावा, एजेंसी ने नोएडा अथॉरिटी के पूर्व ओएसडी मनोज राय और यशपाल त्यागी को भी समन भेजा था। साथ ही, ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के तीन जीएम स्तर के अधिकारियों और नोएडा अथॉरिटी के एक एजीएम रैंक के अधिकारी को भी तलब किया गया था। इन सभी के बयान उस वक्त एजेंसी के जांच अधिकारी द्वारा दर्ज किए गए थे। हालांकि, अभी तक जांच एजेंसी ने इन अफ़सरों को इन मामलों में आरोपी नहीं बनाया था।
बिल्डरों पर हज़ारों करोड़ रुपये बकाया थे, वसूल नहीं करने दिए
अपने बयानों में अधिकारियों ने कथित तौर पर दावा किया था कि मोहिंदर सिंह ने अम्रपाली समूह के प्रमोटरों को भूमि अधिग्रहण में मदद की थी। जबकि, समूह ने 4,000 करोड़ रुपये की बकाया राशि विकास प्राधिकरणों को नहीं चुकाई थी। आपको बता दें कि साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने एजेंसी को अम्रपाली समूह और उसके निदेशकों के खिलाफ मनी-लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू करने का निर्देश दिया था। यह आरोप था कि समूह ने घर खरीदारों के लगभग 3,000 करोड़ रुपये की राशि को शेल कंपनियों में डायवर्ट किया। सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी एक फॉरेंसिक ऑडिट पर आधारित थी, जो आम्रपाली समूह की कंपनियों से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने करवाया था।
ईडी ने मोहिंदर सिंह के बेटे की बेनामी संपत्ति पता लगाई
उस समय के सीईओ और नोएडा तथा ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका की जांच की जा रही है, क्योंकि उन्होंने अम्रपाली समूह और सुपरटेक समूह की कंपनियों को अवैध रूप से भूमि आवंटित की थी। इन अधिकारियों ने उस समय भी पट्टे को रद्द नहीं किया, जब अम्रपाली समूह के निदेशकों ने जमीन को विभिन्न बैंकों के पास गिरवी रख दिया, जबकि 4,000 करोड़ रुपये की बकाया राशि दोनों अथॉरिटी की थी। कुछ अधिकारियों, जिन्होंने मोहिंदर सिंह के अधीन काम किया था, ने अपने बयानों में दावा किया है कि उन्हें सिंह द्वारा अम्रपाली समूह की फाइल को बकाया वसूली के लिए प्रस्तुत न करने का निर्देश दिया गया था। ईडी की मनी ट्रेल में बेनामी कंपनियों का पता चला है, जिनमें से कुछ पूर्व आईएएस अधिकारी के बेटे द्वारा नियंत्रित की जा रही थीं, ताकि 'अपराध की आय' को हेरफेर किया जा सके।
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