नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने नोएडा प्राधिकरण के पूर्व डीजीएम श्रीपाल भाटी और सीईओ को 8 नवंबर को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया है। अथॉरिटी द्वारा पर्यावरण मानकों की लगातार अनदेखी पर नाराजगी...
नोएडा अथॉरिटी पर एनजीटी का सख्त रूख : पूर्व डीजीएम श्रीपाल भाटी तलब, झूठे हलफनामे पर होगी सुनवाई
Oct 24, 2024 23:29
Oct 24, 2024 23:29
झूठे सबूत से छुपाई गई सच्चाई
इस पूरे मामले की जड़ें तब सामने आईं जब नोएडा प्राधिकरण ने सड़क किनारे हरित क्षेत्रों में बिछाई गई टाइलों की समस्या को हल करने का दावा किया था। हालांकि, जांच में पता चला कि अधिकारियों ने कुछ चुनिंदा स्थानों से मात्र 5-10 टाइलें हटाकर फोटो खिंचवाए और उसे अदालत में प्रमाण के रूप में प्रस्तुत किया। वास्तविकता यह थी कि इन इलाकों में हजारों टाइलें नियमों के खिलाफ बिछाई गई थीं, जिनका हटाया जाना आवश्यक था।
फर्जी हलफनामे से गुमराह करने का प्रयास
आवेदक के वकील, आकाश वशिष्ठ ने इस मामले में कई स्थानों के फोटोग्राफिक सबूत पेश किए, जिनमें नोएडा गोल्फ कोर्स, होजरी कॉम्प्लेक्स और अन्य सेक्टरों में टाइल लगाने की तस्वीरें शामिल थीं। इन सबूतों ने साफ किया कि नोएडा प्राधिकरण ने एनजीटी के सामने गलत जानकारी दी और नियमों का उल्लंघन करते हुए टाइल बिछाने का काम जारी रखा।
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एनजीटी का कड़ा रुख
न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और डॉ. अफरोज अहमद की अगुवाई में एनजीटी बेंच ने नोएडा अथॉरिटी द्वारा दिए गए झूठे हलफनामे को गंभीरता से लेते हुए कहा कि इस प्रकार के फर्जी दस्तावेजों के आधार पर न्यायिक आदेश प्राप्त करना न्यायिक प्रक्रिया का उल्लंघन है। एनजीटी ने पिछले कुछ महीनों में सीईओ को पहले भी तलब किया था, लेकिन अब तक अथॉरिटी के रवैये में कोई बदलाव नहीं दिखा है।
जलभराव और पर्यावरणीय नुकसान की चिंता
नोएडा में हरित क्षेत्रों में 5-6 मीटर तक टाइलें बिछाने का काम न सिर्फ वर्षा जल के अवशोषण में रुकावट डाल रहा है, बल्कि इससे जलभराव की गंभीर समस्या भी पैदा हो रही है। इसके बावजूद, नोएडा प्राधिकरण बार-बार झूठे तथ्य पेश कर अदालत को गुमराह करता रहा है।
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8 नवंबर को होगी सुनवाई
अब एनजीटी ने नोएडा अथॉरिटी के सीईओ और पूर्व डीजीएम श्रीपाल भाटी को व्यक्तिगत रूप से पेश होकर इस मामले पर स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया है। यदि इस सुनवाई में अथॉरिटी द्वारा संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया, तो सख्त कार्रवाई की जा सकती है। वहीं, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को भी 10 दिनों के भीतर अपने जवाब दाखिल करने का आदेश दिया गया है।
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