यमुना नदी के किनारे बने फार्म हाउस, जो एक समय में आकर्षण का केंद्र थे, अब कानूनी और पर्यावरणीय चिंताओं का स्रोत बन गए हैं। यहां एक बार पहुंचने आपको तमाम ब्रोकर मिल जाएंगे, जो अपने लुभावने ऑफर से आपको ऐसे-ऐसे ऑफर बताएंगे कि मन ललचा जाए।
मात्र 55 लाख में नोएडा में फार्म हाउस! : दलालों के लुभावने ऑफर से सावधान, वरना लुट जाएंगे आप
Jun 22, 2024 16:39
Jun 22, 2024 16:39
- दलालों के लुभावने ऑफर से सावधान
- फॉर्म हाउस के नाम पर हो सकती है धोखाधड़ी
- बाढ़ की जमीन का भू-माफिया कर रहे दुरुपयोग
जान लीजिए क्या है सच्चाई?
सेक्टर-135 में, यमुना के किनारे स्थित ये फार्म हाउस पहली नजर में आकर्षक लगते हैं। गैबल छत, कांच की खिड़कियां, सुंदर लॉन और स्विमिंग पूल के साथ, ये संपत्तियां लक्जरी जीवनशैली का प्रतीक बन गई हैं। रियल एस्टेट दलाल इन्हें 55 लाख रुपये में एक बीघा जमीन के साथ बेच रहे हैं, जिसमें जल्द रजिस्ट्री का वादा भी शामिल है। ये फार्म हाउस पूल पार्टियों, शादियों और अन्य समारोहों के लिए लोकप्रिय स्थल बन गए हैं। लेकिन इस आकर्षक परिदृश्य के पीछे एक गंभीर समस्या छिपी है। गौतमबुद्ध नगर के डीएम मनीष कुमार वर्मा के अनुसार, ये अधिकांश फार्म हाउस अवैध हैं और बाढ़ के मैदानों पर बने हुए हैं। 2023 में, जब यमुना का जल स्तर रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचा, तब ये क्षेत्र जलमग्न हो गए थे। यह घटना इन निर्माणों के खतरों को उजागर करती है।
भू-माफिया कर रहे दुरुपयोग
पर्यावरणविदों का मानना है कि बाढ़ के मैदानों में किए गए ये निर्माण प्राकृतिक जल प्रवाह को बाधित करते हैं, जो भविष्य में और अधिक बाढ़ का कारण बन सकता है। नोएडा प्राधिकरण ने इस भूमि को मूल रूप से कृषि उद्देश्यों के लिए अधिसूचित किया था, लेकिन भू माफिया के कारण इसका दुरुपयोग हो रहा है। इस मुद्दे की जटिलता को समझना महत्वपूर्ण है। 1990 के दशक के अंत में, स्थानीय किसानों ने अपनी जमीन दलालों को बेच दी, जिन्होंने इसे दिल्ली के धनी वर्ग के लिए आकर्षक गंतव्य के रूप में प्रचारित किया। समय के साथ, ये संपत्तियां विलासिता के प्रतीक बन गईं, लेकिन कानूनी दृष्टि से अवैध रहीं।
जारी हो चुके हैं कानूनी नोटिस
प्रशासन ने इन अवैध निर्माणों के खिलाफ कानूनी नोटिस जारी किए हैं, लेकिन तत्काल कार्रवाई संभव नहीं है। समस्या के पुराने होने के कारण, सामाजिक और आर्थिक कारकों को भी ध्यान में रखना पड़ रहा है। कुछ फार्म हाउस मालिकों ने 2023 की बाढ़ से हुए नुकसान के लिए मुआवजे की मांग करते हुए राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) का दरवाजा खटखटाया है, जो इस मुद्दे को और जटिल बनाता है। नोएडा के वकील प्रमेंद्र भाटी का कहना है कि यह अवैधता विभिन्न सरकारों के काल में जारी रही है और प्रशासन की मिलीभगत के बिना संभव नहीं थी। यह आरोप प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाता है और भ्रष्टाचार के मुद्दे को सामने लाता है।
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