ग्रेटर नोएडा में वीवो कंपनी का सबसे बड़ा प्लांट होगा। यह ग्रेटर नोएडा के लिए काफी अच्छी खबर है। अभी तक गौतमबुद्ध नगर में सबसे बड़ा प्लांट सैमसंग मोबाइल कंपनी का है, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री ...
Greater Noida News : ग्रेटर नोएडा में बनेगा वीवो कंपनी का सबसे बड़ा प्लांट, 3000 करोड़ रुपये से ज्यादा का होगा निवेश
Jun 19, 2024 14:36
Jun 19, 2024 14:36
ग्रेटर नोएडा में 170 एकड़ में बनेगी कंपनी
इससे पहले वीवो ने संभावित संयुक्त उद्यम (Joint venture) के बारे में टाटा समूह, मुरुगप्पा समूह और भारतीय अनुबंध निर्माता डिक्सन टेक्नोलॉजीज के साथ चर्चा की थी। लेकिन दाम पर असहमति के कारण बातचीत रुक गई। अब वीवो भारत में नए साझेदार की तलाश कर रही है। हाल ही में, कंपनी ने अपनी लीज्ड विनिर्माण सुविधा को छोड़ दिया, जिसकी वार्षिक क्षमता 40 मिलियन डिवाइस थी। इस संयंत्र को अब माइक्रोमैक्स इंफॉर्मेटिक्स की विनिर्माण इकाई भगवती एंटरप्राइजेज ने अधिग्रहित कर लिया है। वीवो की नई सुविधा ग्रेटर नोएडा में 170 एकड़ में फैली हुई है और इसकी वार्षिक विनिर्माण क्षमता 120 मिलियन यूनिट है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, टाटा समूह वीवो में हिस्सेदारी हासिल करने के लिए बातचीत कर रहा है। बातचीत फिलहाल मूल्यांकन को अंतिम रूप देने पर केंद्रित है।
भारत-चीन संयुक्त उद्यम
भारत सरकार भारतीय और चीनी कंपनियों के बीच संयुक्त उद्यम को इस शर्त के साथ मंजूरी दे सकती है कि भारतीय साझेदार के पास स्थानीय इकाई में कम से कम 51 प्रतिशत की बहुमत हिस्सेदारी हो। 2020 में, भारत-चीन सीमा पर तनाव के बीच, सरकार ने कड़े नियम लागू किए, जिसके तहत भारत के साथ सीमा साझा करने वाले पड़ोसी देशों की कंपनियों को निवेश करने से पहले सरकार से मंजूरी लेनी होगी। इस नीति ने कई संभावित परियोजनाओं में देरी की थी। हालांकि, सरकार के दृष्टिकोण में बदलाव दिखाई देता है, क्योंकि अब यह भारत के हितों की रक्षा सुनिश्चित करते हुए इन सहयोगी उपक्रमों को सुविधाजनक बनाने की इच्छा दिखाती है।
ईडी की जांच के दायरे में है वीवो
चीनी स्मार्टफोन निर्माता कंपनी भी सरकार की नियामक जांच के दायरे में है। वीवो वर्तमान में धन शोधन निवारण अधिनियम (Prevention of Money Laundering Act) के तहत एक मामले के संबंध में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच के दायरे में है। ईडी ने आरोप लगाया है कि वीवो ने भारत सरकार के साथ धोखाधड़ी की हो सकती है, जिसके कारण जांच एजेंसी ने 3 फरवरी 2022 को मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया। ईडी ने आरोप लगाया है कि भारत में करों के भुगतान से बचने के लिए वीवो ने अवैध रूप से 62,476 करोड़ रुपये चीन को भेजे थे।
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