आयोग का मानना है कि अभी भी बाल श्रम में लगे नाबालिग बच्चों को खतरनाक परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। ऐसी परिस्थितियां बच्चों के मनोवैज्ञानिक - सामाजिक विकास और समग्र कल्याण को बुरी तरह प्रभावित करती हैं।
उत्तर प्रदेश के सभी बूचड़खानों की होगी जांच : गाजियाबाद में 57 बच्चों की मुक्ति के बाद NCPCR सख्त
Jul 17, 2024 21:05
Jul 17, 2024 21:05
खतरनाक श्रम परिस्थितियों बच्चों के संपूर्ण विकास में बड़ी बाधा
गाजियाबाद में हुए इस खुलासे को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने खतरनाक श्रम परिस्थितियों में इतने सारे मासूमों की संलिप्तता को गंभीरता से लिया है। आयोग का मानना है कि अभी भी बाल श्रम में लगे नाबालिग बच्चों को खतरनाक परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। ऐसी परिस्थितियां बच्चों के मनोवैज्ञानिक - सामाजिक विकास और समग्र कल्याण को बुरी तरह प्रभावित करती हैं। इसलिए आयोग उत्तर प्रदेश में संचालित सभी बूचड़खानों का स्थलीय निरीक्षण कराने के लिए प्रतिबद्ध है। ताकि खतरनाक श्रम स्थितियों में बच्चों की संलिप्तता की किसी भी स्थिति का सत्यापन किया जा सके।
गाजियाबाद में 29 मई को मुक्त कराए गए थे बच्चे
बता दें कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने एक एनजीओ की पहल पर डासना स्थित यासीन कुरैशी के इंटरनेशनल एग्रो फूड्स नाम के स्लॉटर हाऊस पर छापा मारकर 29 मई, 2024 को 57 नाबालिग बच्चे मुक्त कराए थे। इन बच्चों में 31 लड़कियां और 26 लड़के शामिल थे। आयोग ने इस संबंध में 26 जून को उत्तर प्रदेश शासन को भी रिपोर्ट भेजी थी। उसी रिपोर्ट के आधार पर शासन ने सभी स्लॉटर हाऊसेस का स्थलीय निरीक्षण कराने का निर्णय लिया है।
बूचड़खाने के खिलाफ गंभीर धाराओं में दर्ज हुआ था मामला
नाबालिग बच्चों से श्रम कराने के मामले में इंटरनेशनल एग्रो फूड्स के खिलाफ बाल एवं किशोर श्रम ( निषेद्य और विनियमन) अधिनियम-1956 की धारा-3 और 14 और बंधुआ श्रम प्रणाली (उन्मूलन) अधिनियम - 1976 की धारा - 16 के तहत गाजियाबाद के मसूरी थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया था। 16 जुलाई को जारी शासनादेश में कहा गया है कि पूरे प्रदेश में संचालित स्लॉटर हाऊसेस का एक सप्ताह सप्ताह में स्थलीय निरीक्षण कर आख्या उपलब्ध करा दी जाए ताकि अगले एक सप्ताह में कार्यवाही से राष्ष्टीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को अवगत कराया जा सके।
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