Sawan Shivratri 2024 : श्रावणी शिवरात्रि शिव-पार्वती मिलन की रात्रि, ये है शिवरात्रि पर शिव अभिषेक के पूजन का शुभ मुहूर्त

श्रावणी शिवरात्रि शिव-पार्वती मिलन की रात्रि, ये है शिवरात्रि पर शिव अभिषेक के पूजन का शुभ मुहूर्त
UPT | श्रावणी शिवरात्रि 2024

Jul 30, 2024 09:00

त्रयोदशी तिथि एक अगस्त को अपरान्ह 3:31 पर प्रारम्भ होकर दो अगस्त को 3:29 पर समाप्त होगी। इसके बाद चतुर्दशी तिथि का प्रारम्भ अपरान्ह 3:30 पर हो रहा है

Jul 30, 2024 09:00

Short Highlights
  • चतुर्दशी तिथि 2 अगसत को 3.29 पर होगी समाप्त
  • शनिवार को पूर्ण रूप रात व्यापनी चतुर्दशी तिथि    
  • शिवरात्रि शिव अभिषेक पूजन व अर्चना 2 अगस्त को       
Sawan Shivratri 2024 : सावन की शिवरात्रि इस बार हर्षण योग, वज्र योग, आर्द्रा नक्षत्र, पुनर्वसु नक्षत्र में लग रही है। शिवरात्रि के दिन वणिज करण, विष्टि करण भी होगा। इस कारण से इस बार सावन की शिवरात्रि काफी शुभ होगी। सावन की शिवरात्रि में शिव को अभिषेक में जलपर्ण भी किया तो भी भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होंगे। 

जन्माष्टमी, नवरात्रि तथा शिवरात्रि पर रात्रि व्यापिनी तिथि मान्य 
पंड़ित भारत ज्ञान भूषण के अनुसार त्रयोदशी तिथि एक अगस्त को अपरान्ह 3:31 पर प्रारम्भ होकर दो अगस्त को 3:29 पर समाप्त होगी। इसके बाद चतुर्दशी तिथि का प्रारम्भ अपरान्ह 3:30 पर हो रहा है। इस प्रकार शनिवार को पूर्ण रूप से रात व्यापनी चतुर्दशी तिथि होगी। जो कि अगस्त को शाम को 3:53 बजे तक रहेगी। उन्होंने बताया कि जन्माष्टमी, नवरात्रि तथा शिवरात्रि इन पर्वों पर रात्रि व्यापिनी तिथि मान्य होती हैं।  ना कि पंचांगानुसार सूर्योदिनी तिथि क्योंकि शिवरात्रि रात्रिकालीन पर्व है अतः शिवरात्रि शिव अभिषेक पूजन व अर्चना 2 अगस्त को ही किया जाएगा। 

कुयोगों का शमन शिव उपासना से  
शिव उपासना से बहुत से ज्योतिषीय कुयोगों का भी शमन होता है। देवादिदेव भगवान शिव की महिमा अपार है, वे सभी जीवों का कष्ट हरने वाले जल्दी प्रसन्न होने वाले आशुतोष भगवान हैं। चाहे समस्या स्वास्थ्य संबंधी हो, चाहे आर्थिक, चाहे सामाजिक, चाहे चन्द्र, राहु, केतु, शनि आदि ग्रहों से संबंधित समस्या हो अथवा केमद्रुम योग, सकट योग, काल सर्प योग, पितृ दोष तथा चाहे सर्प श्राप के निवारण करने हो सभी श्रावण मास उस पर भी शिवरात्रि जैसा हर्षोल्लास पूर्ण शिव शक्ति का पर्व हो अर्थात शिव शक्ति की वैवाहिक वर्षगांठ का उत्सव हो तो ऐसे में भोले नाथ क्यों न प्रसन्न होंगे, हमारे थोडे़ से भी प्रयासों से।

भगवान शिव रौद्र रूप धारण करते है
ग्रीष्मकाल में विषपायी भगवान शिव रौद्र रूप धारण करते है तथा श्रावण मास के जल से शीतल शांत हो कल्याणकारी वरदायी शिव हो जाते है। भगवान शिव के रूद्रावतार बहुत ही शक्तिशाली होते है जिनमे से प्रमुख है ग्यारहवें रूद्रावतार सतोगुणी हनुमान तथा तमोगुणी अवतार भैरव देव। 

शिवरात्रि पर अभिषेक करने का शुभ मुहूर्त 
कांवड़ियों के लिए विशेष मुहूर्त 
अमृत काल -   प्रातः   03 से 06:00 बजे
भक्तों के लिए शिव-पूजन व जलाभिषेक का विशेष मुहूर्त 
चर योग –प्रातः   05:43 से  07:24 बजे 
लाभामृत योग -प्रातः 7:25 से  10:46 बजे    
 शुभ योग  दोपहर 12:27 से  02:08 बजे      
 चर योग –शाम 05:30 से  07:10 बजे
 लाभ योग - रात्रि 09:49 से  11:08 बजे
 शुभामृत योग -रात्रि   00:27 से  03:05 बजे 
त्रयोदशी चतुर्दशी सन्धिकाल समय सांय 6:46 (सूक्ष्म समय) में शिवरात्रि का पुण्य काल प्रारम्भ होता है। अभिषेक व पूजन का, चार प्रहर पूजा का प्रारम्भ इसी समय से है। त्रयोदशी जल दिन में तथा चतुर्दशी जल रात्रि में चढ़ेगा। 

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