गाजियाबाद लोकसभा : अपने गढ़ में लगातार चौथी जीत को लेकर भाजपा तैयार, अब तक सिर्फ एक ही महिला जीत सकी हैं चुनाव, सपा बसपा के हाथ अब तक खाली

अपने गढ़ में लगातार चौथी जीत को लेकर भाजपा तैयार, अब तक सिर्फ एक ही महिला जीत सकी हैं चुनाव, सपा बसपा के हाथ अब तक खाली
UPT | Ghaziabad Lok Sabha

Apr 14, 2024 19:30

पूरे देश के साथ-साथ उत्तर प्रदेश में लोकसभा 2024 के चुनाव होने जा रहे हैं। इस चुनाव में मतदाता अपने सांसद को चुनने के लिए वोट करेगी। देश के साथ-साथ प्रदेश में भी 19 अप्रैल से शुरू होकर चुनाव 1 जून को खत्म होगा। चुनावों के परिणाम 4 जून को आएंगे। इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश टाइम्स प्रदेश हर लोकसभा सीट के मिजाज और इतिहास को आप तक पहुंचाने की कोशिश कर रही है। इस अंक में पढ़ें गाजियाबाद लोकसभा क्षेत्र के बारे में...

Apr 14, 2024 19:30

Short Highlights
  • गाजियाबाद लोकसभा सीट 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आया था।
  • गाजियाबाद लोकसभा सीट में कुल पांच विधानसभा की सीटें आती हैं।
Ghaziabad Lok Sabha constituency : दिल्ली से सटे एनसीआर रीजन में आने वाले गाजियाबाद लोकसभा सीट उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में से काफी अहम स्थान रखता है। गाजियाबाद प्रदेश में औद्योगिक क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। हालांकि इस लोकसभा सीट का गठन 2008 के परिसीमन के बाद हुआ था।परिसीमन से पहले गाजियाबाद हापुड़ लोकसभा सीट का हिस्सा हुआ करता था। इसके बाद अब तक सीट पर तीन चुनाव हो चुके हैं। तीनों ही चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने इस सीट से जीत दर्ज की थी। जातिगत समीकरण की बात करें तो गाजियाबाद लोकसभा सीट पर मुस्लिम 15.2 %, ब्राह्मण 14%, त्यागी 5.8, ठाकुर 11.8%, जाट 11%, वैश्य 8.6%, वहीं जाटव 15.2 % हैं। इसके अलावा पंजाबी सिख 2.6% हैं। साथ ही गुर्जर 3.4% और यादव 3.2 % हैं। इसके अलावा बाकी अन्य जातियां हैं। वहीं गाजियाबाद लोकसभा सीट पूरे उत्तर प्रदेश में मतदाताओं की संख्या के लिहाज से सबसे बड़ा संसदीय क्षेत्र है। 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के हिसाब से गाजियाबाद लोकसभा में तकरीबन 2 करोड़ 72 लाख 89 हजार 78 मतदाता हैं। गाजियाबाद लोक सभा सीट के अंतर्गत कुल पांच विधानसभा की सीटें आती हैं। इनमें सभी सीटों पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है।

गाजियाबाद लोकसभा सीट हालांकि 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आया लेकिन इससे पहले गाजियाबाद हापुड़ लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता था। हापुड़ लोकसभा सीट की बात करें तो 1952 में इस सीट पर पहली बार लोकसभा के चुनाव हुए थे। लेकिन हापुड़ लोकसभा क्षेत्र को अपना पहला सांसद 1957 के चुनाव में मिला। इस चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार कृष्ण चंद्र शर्मा ने इस सीट से जीत हासिल की थी। वहीं 1962 के चुनाव में कांग्रेस के ही कमल चौधरी को इस सीट से जीत मिली थी। अगले चुनाव में कांग्रेस ने इस सीट को अपने पास से खो दिया। 1967 के चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार प्रकाश वीर शास्त्री को गाजियाबाद लोकसभा क्षेत्र से सफलता मिली थी। लेकिन अगले ही चुनाव में कांग्रेस ने वापसी करते हुए इस सीट को फिर से जीत लिया। 1971 के चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार बुद्ध प्रिया मौर्य ने इस सीट को हथिया लिया था। वहीं 1977 के चुनाव में जनता पार्टी के कुंवर मोहम्मद अली खान और 1980 के चुनाव में जनता पार्टी (सेक्युलर) के केदारनाथ सिंह को जीत मिली थी। लेकिन 1984 के चुनाव में इंदिरा गांधी की मौत के बाद कांग्रेस के पक्ष में पूरे देश में एक लहर थी। जिसका फायदा कांग्रेस के उम्मीदवार केदारनाथ सिंह को मिला और उन्होंने इस चुनाव में जीत हासिल की। 1989 के चुनाव में जनता दल के कृष्ण चंद त्यागी इस सीट से सांसद बने। लेकिन अगले पांच चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने इस सीट को किसी को नहीं जितने दिया। भारतीय जनता पार्टी के रमेश चंद तोमर ने लगातार चार चुनाव में जीत हासिल की। इसके बाद 2004 के चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी का रथ रोकते हुए इस सीट को फिर से कब्जा लिया। 2004 के चुनाव में सुरेंद्र प्रकाश गोयल ने कांग्रेस के टिकट पर इस सीट से बाजी मारी थी। लेकिन 2008 के परिसीमन में हापुड़ लोकसभा क्षेत्र को खत्म कर दिया गया। इसके बाद इस सीट का कुछ हिस्सा गाजियाबाद लोकसभा क्षेत्र में गया तो कुछ हिस्सा मेरठ लोकसभा क्षेत्र में जोड़ दिया गया। साल 2009 में गाजियाबाद लोकसभा सीट पर पहली बार चुनाव हुए इस चुनाव में भाजपा के दिग्गज नेता राजनाथ सिंह ने चुनाव लड़ा था और उन्हें जीत भी हासिल हुई थी। राजनाथ सिंह ने कांग्रेस के सुरेंद्र प्रकाश गोयल को चुनाव में हराया था। वहीं अगला चुनाव 2014 में हुआ। 2014 में भारतीय जनता पार्टी ने गाजियाबाद लोकसभा सीट से जनरल वीके सिंह को मैदान में उतारा था। वहीं कांग्रेस ने अभिनेता राज बब्बर को इस सीट से टिकट दिया था लेकिन जनरल वीके सिंह ने राज बब्बर को इस चुनाव में 5 लाख से ज्यादा मतों से चुनाव में हराया था। रिटायर्ड जनरल वीके सिंह का जीत का सिलसिला अगले चुनाव में भी जारी रहा इस चुनाव में भी भाजपा ने वीके सिंह पर भरोसा जताया और गाजियाबाद लोकसभा सीट से टिकट दिया। साथ ही 2019 के चुनाव में इस बार समाजवादी पार्टी ने सुरेश बंसल को इस सीट से मैदान में उतारा था लेकिन नतीजे में कोई अंतर नहीं आया। इस चुनाव में भी वीके सिंह ने सुरेश बंसल को तकरीबन 5 लाख वोटो से चुनाव में हरा दिया था।

विधानसभा का गणित
गाजियाबाद लोकसभा सीट में कुल पांच विधानसभा की सीटें आती हैं। इनमें लोनी, मुरादनगर, साहिबाबाद, गाजियाबाद और ढोलना शामिल है। इन 5 सीटों में से सभी पांच सीटों पर 2022 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने जीत हासिल की थी। लोनी विधानसभा क्षेत्र से नंदकिशोर गुर्जर, मुरादनगर से अजीत पाल त्यागी, साथ ही साहिबाबाद से सुनील कुमार शर्मा विधायक है। इसके अलावा गाजियाबाद से अतुल गर्ग और ढोलना से धर्मेश सिंह तोमर को जीत हासिल हुई थी। नंदकिशोर गुर्जर ने रालोद के प्रत्याशी मदन भैया को चुनाव में हराया था। वहीं अजीत पाल त्यागी ने भी रालोद के ही प्रत्याशी सुरेंद्र कुमार मुन्नी को मुरादनगर सीट से हराया था। इसके अलावा साहिबाबाद से सुनील कुमार शर्मा ने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार अमरपाल शर्मा को चुनाव में मात दी थी। गाजियाबाद से अतुल गर्ग ने सपा के उम्मीदवार विशाल वर्मा को हराया था और ढोलना से धर्मेश सिंह तोमर ने भी समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी असलम अली को चुनाव में पटकनी दी थी। विधानसभा के हिसाब से देखे तो इस लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी बहुत मजबूत स्थिति में नजर आती है। अब यह देखना होगा कि क्या लगातार चौथी बार भारतीय जनता पार्टी जीत हासिल करेगी या उनको सपा या बसपा से हार का स्वाद चखना पड़ेगा।

भाजपा को मिलेगी लगातार चौथी जीत ?
इस लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने अतुल गर्ग को अपना उम्मीदवार बनाया है। अतुल गर्ग भाजपा के गाजियाबाद से वर्तमान विधायक हैं। राजनीति में इनका बहुत लंबा सफर रहा है। योगी सरकार में इनको मंत्री भी बनाया गया था। वहीं बहुजन समाज पार्टी की बात करें तो बहुजन समाज पार्टी ने ठाकुर नंदकिशोर पुंडीर को अपना उम्मीदवार बनाया है। बसपा ने पहले अंशय कालरा को उम्मीदवार बनाया था लेकिन बाद में उनका टिकट काटकर नंदकिशोर पुंडीर को दे दिया गया। कांग्रेस ने एक महिला को गाजियाबाद सीट से उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस-सपा गठबंधन में यह सीट कांग्रेस के खाते में गई है। कांग्रेस ने इस सीट से डॉली शर्मा को टिकट दिया है। डॉली शर्मा गाजियाबाद से मेयर का चुनाव लड़ चुकी हैं। लेकिन उनको इस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। इस बार देखना होगा कि क्या डॉली शर्मा मैदान फतेह कर पाएंगी या फिर से उन्हें हार का सामना करना पड़ेगा। अगर ऐसा होता है तो भाजपा लगातार चौथी जीत इस सीट से जीत जाएगी।

सिर्फ एक बार बनी महिला सांसद
गाजियाबाद लोकसभा सीट दिल्ली से लगा हुआ है और यह औद्योगिक क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। यहां का एक बड़ा हिस्सा नौकरी पेशा और व्यापारी है। लेकिन इस लोकसभा सीट से अब तक सिर्फ एक बार ही कोई महिला चुनकर संसद पहुंची हैं। 1962 के चुनाव में कांग्रेस की उम्मीदवार कमला चौधरी ने जीत हासिल की थी। उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी नसीम मोहम्मद को हराया था। उसके बाद से आज तक कोई भी महिला इस सीट का प्रतिनिधित्व नहीं कर पाई हैं। इस बार भी अब तक भारतीय जनता पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने अपने-अपने उम्मीदवार घोषित किए हैं और दोनों ही पार्टियों ने पुरुष उम्मीदवार को इस सीट से मैदान में उतारा है।

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