भगवान के गौ.चारण आरंभ करने से ही यह तिथि गोपाष्टमी पर्व के रूप में बडी श्रद्धाभाव से मनाई जाती है।
गोपाष्टमी 2024 : श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर में गाय की पूजा कर आरती उतारी
Nov 09, 2024 14:27
Nov 09, 2024 14:27
- गोपाष्टमी का पर्व श्रद्धाभाव से मनाया
- महंत नारायण गिरी ने गौशाला में की पूजा
- गाय-बछड़ों की सेवा में जुटे मंदिर के कर्मचारी
सनातन धर्म में गाय को माता का दर्जा
महाराजश्री ने कहा कि सनातन धर्म में गोपाष्टमी का बहुत अधिक महत्व है। सनातन धर्म में गाय को माता का दर्जा दिया गया है। इसका कारण यह है कि गाय हमारी उसी प्रकार देखभाल करती है, जिस प्रकार एक गाय करती है। उसका दूध तो अमृत समान होता है। गाय का गोबर भी बहुत उपयोगी है और उसमें नकारात्मक प्रवृत्तियों को दूर करने के साथ बीमारी फैलाने वाले जीव-जंतु तक को दूर करने की क्षमता है। इसी कारण प्राचीन समय में घर की सफाई के दौरान गोबर का प्रयोग किया जाता था।
गौ-माता की पूजा.अर्चना करने से हर कष्ट दूर
गोपाष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण व बछडे समेत गौ-माता की पूजा.अर्चना करने से हर कष्ट दूर होता है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। भगवान श्रीकृष्ण छह वर्ष की उम्र में जब पहली बार गाय चराने गए थे तो माता यशोदा ने उनके कहने पर उनके साथ सभी गायों का भी श्रृंगार किया था और उनकी पूजा-अर्चना की थी। भगवान श्रीकृष्ण जब पहली बार गाय चराने वन को गए तो उस दिन कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी थी।
भगवान के गौ.चारण आरंभ करने से
भगवान के गौ.चारण आरंभ करने से ही यह तिथि गोपाष्टमी पर्व के रूप में बडी श्रद्धाभाव से मनाई जाती है। मंदिर के पुजारियों व श्री दूधेश्वर वेद विद्या पीठ के आचार्यो ने गौशाला की गायों व बछडों को स्नान कराकर उनका श्रृंगार किया। धूप, दीप, अक्षत, रोली, गुड, मिठाई, जल आदि से गो माता की विधिवत रूप से पूजा-अर्चना की। गायों की सेवा करने के लिए श्रद्धालुओं का तांता भी लगा रहा। शहर भर से गायों की सेवा करने के लिए श्रद्धालु मंदिर पहुंचे।
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