आषाढ़ अमावस्या के दिन स्नान और दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इससे सभी तरह के पाप नष्ट हो जाते हैं। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, आषाढ़ अमावस्या के दिन पितृ लोक से पूर्वज धरती पर आते हैं और अपने वंशजों से तृप्त होने की आशा करते हैं।
Ashadha Amavasya 2024: पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए आषाढ़ अमावस्या पर करें इन चीजों का दान
Jul 02, 2024 13:33
Jul 02, 2024 13:33
- आषाढ़ मास की अमावस्या इस बाद 5 जुलाई को
- भगवान विष्णु और पितरों को समर्पित है अमावस्या
- अमावस्या के दिन पितरों की तृप्ति, पिंडदान, श्राद्ध कर्म
कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि के अगले दिन अमावस्या
हर माह कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि के अगले दिन अमावस्या होती है। आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को आषाढ़ी अमावस्या भी कहते हैं। आषाढ़ अमावस्या के दिन स्नान और दान करने से पुण्य प्राप्ति होती है। इससे सभी प्रकार के पापों का नाश होता है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, आषाढ अमावस्या के दिन पितृ लोक से पितर पृथ्वी पर आते हैं और उम्मीद करते हैं कि उनको अपने वंश से तृप्त मिल जाए। इस कारण से अमावस्या का दिन पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध कर्म के लिए है।
आषाढ़ अमावस्या पर इन चीजों का दान
पितरों को प्रसन्न करने के लिए आषाढ़ अमावस्या पर श्रद्धा अनुसार गरीब को अन्न और धन का दान करें। शास्त्र के अनुसार, अमावस्या पर इन चीजों का दान करने से पूर्वजों की कृपा प्राप्त होती है। इसके अलावा गेहूं और चावल दान कर सकते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से पितरों के साथ सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है।
भूमि दान को महादान मानते हैं
नाराज पितरों को प्रसन्न करने के लिए अमावस्या के दिन पूजा-अर्चना करने के बाद भूमि दान करें। शास्त्रों में भूमि दान को महादान मानते हैं। भूमि दान करने से पापों से छुटकारा मिलता है। इसके अलावा आंवला, घी, दूध और दही समेत विशेष चीजों कर दान कर सकते हैं। इन चीजों का दान करने से आर्थिक तंगी दूर होती है और धन लाभ के योग बनते हैं।
आषाढ़ अमावस्या की तिथि और दान का शुभ मुहूर्त
पंचांग के मुताबिक, आषाढ़ माह की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 05 जुलाई 2024 को सुबह 04.57 मिनट पर शुरू होगी। जो कि दूसरे दिन यानी 06 जुलाई को प्रातः 04.26 मिनट तक रहेगी। ऐसे में आषाढ़ अमावस्या 5 जुलाई 2024 को मनाई जाएगी। ब्रह्म मुहूर्त तड़के 04.08 से 04.48 तक है। पितरों को खुश करने के लिए श्राद्ध कर्म करना चाहते हैं तो आषाढ़ अमावस्या के दिन प्रातः 11:00 बजे से लेकर दोपहर 02:30 बजे के बीच करे। पितरों के लिए जल से तर्पण दें। इसे लिए कुश, काले तिल, सफेद फूल और जल से पितरों के लिए तर्पण देना चाहिए।
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