गाजियाबाद में जिला जज को बर्खास्त करने की मांग व लाठीचार्ज के विरोध में वकीलों का आंदोलन तेजी पकड़ रहा है। सोमवार को गाजियाबाद के वकीलों ने हापुड़ रोड पर विरोधस्वरूप जाम लगा दिया।
जज को बर्खास्त करने की मांग पर अड़े वकील : हापुड़ रोड पर लगाया जाम, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 22 जिलों में व्यापक विरोध
Nov 11, 2024 23:34
Nov 11, 2024 23:34
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 22 जिलों के वकीलों की एकजुटता और प्रतिदिन दो घंटे सड़क जाम करने का निर्णय
गुरुवार को हुई पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 22 जिलों के वकीलों की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि वे अपने अपने जिलों में प्रतिदिन दो घंटे के लिए एक सड़क जाम करेंगे। इसी निर्णय का पालन करते हुए सोमवार को गाजियाबाद के वकीलों ने हापुड़ रोड पर जाम लगाया। ट्रैफिक पुलिस ने स्थिति को संभालने के लिए हापुड़ चुंगी, पुराने बस अड्डे, और नए बस अड्डे से यातायात को डायवर्ट कर दिया है। कविनगर की सर्विस रोड को भी वकीलों द्वारा ब्लॉक कर दिया गया, जिसके कारण कई स्थानों पर जाम की स्थिति बनी रही।
कचहरी परिसर में लगातार जारी है धरना प्रदर्शन
वकीलों का यह आंदोलन केवल सड़क पर जाम लगाने तक ही सीमित नहीं है। कचहरी परिसर में भी वकीलों का धरना प्रदर्शन लगातार जारी है। बार एसोसिएशन ने इस आंदोलन को और तेज करने के लिए व्यापारियों, उद्यमियों और आसपास के जिलों की बार एसोसिएशनों से समर्थन मांगा है। दीवाली की छुट्टियों के बाद जब कोर्ट 4 नवंबर को फिर से खुली, तब से वकील हड़ताल पर चले गए और कचहरी में धरना दे रहे हैं।
लाठीचार्ज के खिलाफ कार्रवाई की मांग
वकील जिला जज के बर्खास्तगी और लाठीचार्ज करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग पर अड़े हुए हैं। इसको लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 22 जिलों के वकीलों की 8 नवंबर को एक बैठक हुई थी, जिसमें यह फैसला लिया गया कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक सभी जिलों में वकीलों की हड़ताल जारी रहेगी।
आंदोलन को और व्यापक बनाने की योजना, 16 नवंबर को महत्वपूर्ण बैठक का निर्णय
वकीलों ने आंदोलन को और अधिक सशक्त बनाने के लिए 16 नवंबर को एक बड़ी बैठक आयोजित करने का निर्णय लिया है। इस बैठक में हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और पूरे उत्तर प्रदेश के वकीलों के शामिल होने की संभावना है। बार सचिव अमित नेहरा के अनुसार, इस महत्वपूर्ण बैठक में बड़ी संख्या में वकीलों के एकत्रित होने की संभावना है। बैठक के आयोजन की सूचना जिलाधिकारी को भी भेज दी गई है ताकि प्रशासनिक स्तर पर भी इसके प्रति सजगता बनी रहे।
आंदोलन के निर्णय गाजियाबाद से होंगे संचालित
8 नवंबर की बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि हाइकोर्ट बेंच केंद्रीय संघर्ष समिति पश्चिमी उत्तर प्रदेश के चेयरमैन के सभी अधिकार वर्तमान में बार एसोसिएशन गाजियाबाद को दिए जाएंगे। इससे यह सुनिश्चित हुआ कि वकीलों के आंदोलन से जुड़े सभी प्रमुख निर्णय अब गाजियाबाद से ही संचालित किए जाएंगे। यह एकजुटता पश्चिमी उत्तर प्रदेश के वकीलों के बीच संगठनात्मक शक्ति को मजबूत करने के उद्देश्य से की गई है।
बैठक में इन जिलों के वकील शामिल हुए
इस बैठक में तीन घंटे से अधिक समय तक विचार-विमर्श चला और इसमें गाजियाबाद, बुलंदशहर, अलीगढ़, आगरा, हापुड़, मुजफ्फरनगर, मेरठ, सहारनपुर, अमरोहा, गौतमबुद्धनगर, मुरादाबाद समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 22 जिलों के वकील मौजूद रहे। इस एकजुटता से वकीलों का आंदोलन और अधिक व्यापक और प्रभावी होने की उम्मीद है।
यातायात डायवर्जन और जाम से शहर के सामान्य जनजीवन पर असर
वकीलों द्वारा सड़क जाम करने की रणनीति से गाजियाबाद में यातायात व्यवस्था पूरी तरह से बाधित हो गई है। ट्रैफिक पुलिस के एडीसीपी पीयूष कुमार सिंह ने जानकारी दी कि वाहनों को हापुड़ चुंगी, पुराने बस अड्डे, और नए बस अड्डे से वैकल्पिक मार्गों पर डायवर्ट किया गया है। कविनगर वाली सर्विस रोड पर भी वकीलों ने ब्लॉक कर दिया, जिससे वाहनों की आवाजाही पर असर पड़ा। इस प्रकार के जाम और ट्रैफिक डायवर्जन से जनता को भारी असुविधा हो रही है, और शहर में कई स्थानों पर यातायात जाम की स्थिति बनी हुई है।
संघर्ष के प्रति वकीलों की एकजुटता और संगठन की ताकत
वकीलों का यह आंदोलन उनकी एकता और संघर्ष के प्रति उनके दृढ़ संकल्प को दर्शाता है। उनका कहना है कि वे अपनी मांगों के प्रति अडिग हैं और जब तक न्याय नहीं मिलता, तब तक वे विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे। लाठीचार्ज की घटना ने वकीलों को आक्रोशित कर दिया है और वे इसे न्यायिक प्रणाली और उनके संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ हमला मानते हैं। इस प्रकार के आंदोलन से वकीलों का उद्देश्य अपने साथियों को न्याय दिलाना और भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकना है।
आगे की रणनीति
इस आंदोलन के चलते प्रशासन के लिए एक चुनौती उत्पन्न हो गई है। वकीलों की एकजुटता, 16 नवंबर की बैठक की तैयारियां, और हर दिन दो घंटे के सड़क जाम के निर्णय ने आंदोलन को मजबूती दी है। यह साफ है कि यह संघर्ष अभी और लंबा चल सकता है, और इसका असर न केवल गाजियाबाद बल्कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों पर भी पड़ेगा।
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