Ghaziabad News : लोनी विधायक ने सीपी के बाद अपर मुख्य सचिव गृह को भी लपेटा

लोनी विधायक ने सीपी के बाद अपर मुख्य सचिव गृह को भी लपेटा
UPT | लोनी विधायक नंदकिशोर गुर्जर

Jun 11, 2024 09:29

मामले में अब विधायक की तल्खी पुलिस कमिश्नर से बढ़ कर शासन में बैठे अपर मुख्य सचिव (गृह) और मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव तक जा पहुंची है।

Jun 11, 2024 09:29

Short Highlights
  • सपा-बसपा सरकार के कार्यकाल की विधायक ने की तारीफ
  • लोनी विधायक नंद किशोर गुर्जर के विवादित बोल से मामला सुर्खियों में 
  • भाजपा सरकार में पुलिस-प्रशासन द्वारा अपमानित करने का आरोप
Ghaziabad news : गनर हटाए जाने के मुद्दे पर लोनी विधायक नंदकिशोर गुर्जर के तेवर कुछ कम होने का नाम नहीं ले रहे। इस मामले में अब विधायक की तल्खी पुलिस कमिश्नर से बढ़ कर शासन में बैठे अपर मुख्य सचिव (गृह) और मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव तक जा पहुंची है। विधायक ने इन अधिकारियों को संबोधित करते हुए एक पत्र फिर जारी किया, जिसमें सवाल पूछा कि अगर यह प्रकरण सपा और बसपा की सरकार में हुआ होता तो क्या आपके पुलिस कमिश्नर और आपके खिलाफ निलंबन की कार्रवाई या फिर नौकरी से हाथ धोने की कार्रवाई ना हुई होती? लिखा कि यह भाजपा की उदारवादी नीतियों का परिणाम है जो पुलिस-प्रशासन द्वारा जनप्रतिनिधियों को अपमानित किया जा रहा है। 
लोनी विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल पत्र में किया है, उससे प्रतीत होता है कि उन्होंने भाजपा सरकार से ज्यादा सपा और बसपा की सरकार में जनप्रतिनिधियों को अधिक सम्मान मिलने की ओर इशारा किया है। उनका आशय है कि भाजपा सरकार में पुलिस-प्रशासन द्वारा जनप्रतिनिधियों का अपमान किया जा रहा है और अगर यही अपमान सपा और बसपा की सरकार में हुआ होता तो नौकरशाहों को न सिर्फ निलंबन की कार्रवाई झेलनी पड़ती, बल्कि उन्हें नौकरी से भी हाथ धोना पड़ सकता था। यही वजह है कि उन्होंने अपर मुख्य सचिव गृह और मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव से सवाल दाग कर इसका जवाब मांगा है। विधायक का कहना है कि अनुशासनहीनता की हद पार करने वाले पुलिस कमिश्नर पर कार्रवाई तो दूर अब तक उनके द्वारा खेद भी व्यक्त नहीं किया गया।

लिखा धन्यवाद और अभिनंदन पत्र, पर सवाल किए कर्ई
यूं तो विधायक जी ने शासन के अधिकारियों को संबोधित करते हुए धन्यवाद और अभिनंदन पत्र लिखा। लेकिन इस पत्र में उन्होंने सरकारी तंत्र पर कई सवाल खड़े कर दिए। लिखा कि शनिवार को पुलिस कमिश्नर ने दो गनर उनके आवास पर भेजे। जिन्हें हर दो घंटे में लोकेशन देने को कहा गया। धन्यवाद दिया कि आपकी कृपा से हटाए गए गनर तीन महीने बाद पुलिस कमिश्नर ने मेरे आवास पर भेजे और उन्हें शाम 6 बजे वापस बुला लिया गया। विधायक ने सवाल दागा कि क्या पूरे प्रदेश में इसी तरह से सुरक्षा हो रही है? आपके आवास पर भी सुरक्षाकर्मी लोकेशन भेजकर अपने घर चले जाते हैं क्या? विधायक ने आशा व्यक्त की कि पूरा प्रकरण मुख्यमंत्री के संज्ञान में आने के बाद ही यह कृपा हुई होगी।

प्रदेश में हार का ठीकरा अधिकारियों पर फोड़ा
लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में हुई भाजपा की हार का ठीकरा एक बार फिर विधायक ने अधिकारियों पर फोड़ा है। उन्होंने लिखा कि जब पुलिस-प्रशासन द्वारा जनप्रतिनिधियों को अपमानित किया जा रहा है तो आम जनता का क्या हाल होगा? पुलिस के निकम्मेपन, अवैध उगाही और बेलगाम होने के कारण पार्टी की प्रदेश में हार हुई है। गौर करने की बात यह है कि भाजपा विधायक ने उस पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं जिसका विभाग खुद प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ के पास है।

वाई श्रेणी सुरक्षा की मांग को शासन ने किया खारिज
सूत्रों की मानें तो पूर्व में लोनी विधायक ने अपने लिए वाई श्रेणी सुरक्षा की मांग की थी। लेकिन उनकी इस मांग को शासन द्वारा खारिज कर दिया गया। विधायक का तर्क है कि उन्हें देश और विदेश से कई बार धमकियां मिल चुकी हैं, उनपर जानलेवा हमला भी हो चुका है, ऐसे में उन्हें वाई श्रेणी सुरक्षा दी जाए। विधायक की इस मांग को शासन में भेजा गया, लेकिन वहां खारिज कर दी गई। खुद को मिली धमकियों के चलते ही विधायक अतिरिक्त गनर दिए जाने की मांग पर अड़े हैं और अतिरिक्त गनर हटाए जाने पर उन्होंने अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है।  

समझिए क्या है लड़ाई?
नियम के तहत किसी भी विधायक को एक पदेन के साथ एक अतिरिक्त गनर दिए जाने का प्रावधान है। जनप्रतिनिधि को यह दोनों गनर शासन की ओर से निशुल्क मुहैया कराए जाते हैं। लेकिन विधायक जी खुद की जान को खतरा बताकर इन दो गनर के अलावा भी मौखिक रूप से लिए गए कई अतिरिक्त गनर लेकर चलते थे। सूत्र बताते हैं कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर शासन द्वारा प्रदेश के सभी जिलों में सुरक्षाकर्मियों को लेकर एक पत्र जारी किया गया। जिसमें मौखिक रूप से चल रहे सुरक्षाकर्मियों को तत्काल वापस लेकर रिपोर्ट भेजने को कहा गया। जिसके बाद सभी जिलों के पुलिस प्रमखों ने आदेश के अनुपालन में तमाम लोगों के मौखिक रूप से लिए गए गनर वापस कर लिए। इनमें जनप्रतिनिधि भी शामिल हैं। मौखिक रूप से लिए गए गनर हटाए जाने से विधायक जी नाराज हैं। जबकि पुलिस कह चुकी है कि शासन के आदेश के अनुपालन में विधायक जी को दो गनर दिए जाने का आदेश यथावत है।

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