कार्तिक मास के शुक्लपक्ष में जो नवमी आती है, उसे अक्षयनवमी कहते हैं। उस दिन पीपल वृक्ष की जड़ के समीप देवताओं, पितरों का विधिपूर्वक तर्पण करें। सूर्यदेवता को अर्घ्य दें।
Ghaziabad News : अक्षय फल देने वाली अक्षय नवमी पर ऐसे करें आंवला के पेड़ की पूजा, बरसेगी लक्ष्मी की कृपा
Nov 09, 2024 23:14
Nov 09, 2024 23:14
- रविवार 10 नवंबर को है अक्षय नवमी (आंवला नवमी)
- आंवला नवमी पर आंवला के वृक्ष की पूजा का है विधान
- आंवला के पेड़ पर होता है सभी देवी और देवताओं का वास
आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन करने का विधान
पंड़ित बोल मोहन शाडिल्य के अनुसार आंवले के वृक्ष के नीचे ब्राम्हणों व साधक-भक्तों को भोजन कराके फिर स्वयं भोपजा करना चाहिए। घर में आंवलें का वृक्ष न हो तो गमले में आँवले का पौधा लगा के अथवा किसी पवित्र, धार्मिक स्थान, आश्रम आदि में भी वृक्ष के नीचे पूजन कर सकते है। कई आश्रमों में आँवले के वृक्ष लगे हुये हैं। इस पुण्यस्थलों में जाकर भी आप भजन-पूजन का मंगलकारी लाभ ले सकते हैं।
पितरों का विधिपूर्वक तर्पण
कार्तिक मास के शुक्लपक्ष में जो नवमी आती है, उसे अक्षयनवमी कहते हैं। उस दिन पीपल वृक्ष की जड़ के समीप देवताओं, पितरों का विधिपूर्वक तर्पण करें। सूर्यदेवता को अर्घ्य दें। तत्पश्च्यात ब्राह्मणों को मिष्ठान्न भोजन कराकर उन्हें दक्षिणा दे और स्वयं भोजन करे। इस प्रकार जो भक्तिपूर्वक अक्षय नवमी को जप, दान, ब्राह्मण पूजन और होम करता है, उसका वह सब कुछ अक्षय होता है, ऐसा ब्रह्माजी का कथन है।
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