Hanuman Jayanti 2024 : दुर्लभ त्रियोगों में हनुमान जयंती, पंचमुखी हनुमान पूजन विशेष शुभ फलदायी

दुर्लभ त्रियोगों में हनुमान जयंती, पंचमुखी हनुमान पूजन विशेष शुभ फलदायी
UPT | दुर्लभ त्रियोगों में हनुमान जयंती

Apr 19, 2024 10:05

संवत्सर के राजा शनिदेव ही हैं तथा हनुमान जयंती भी मंगलवार की है इस संयोग से शनिदेव आपके पाप दोषों से राहत प्रदान करने की सामर्थता ला पाते हैं। जिससे शनि की ढईया व साढ़े साती भी स्वत: ही कम...

Apr 19, 2024 10:05

Short Highlights
  • तीन योगों के संयोग में इस बार मनाई जाएगी हनुमान जयंती
  • चैत्र पूर्णिमा का प्रभाव शुभ से शुभतम होगा
  • मशीनरी व निर्माण क्षेत्र में बढ़ोत्तरी के शुभ योग बना रहे 
 Hanuman Jayanti  : इस बार हनुमान जयंती त्रियोगों में मनाई जाएगी। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसा संयोग सैकड़ों साल बाद लग रहा है। ज्योतिष वैज्ञानिक भारत ज्ञान भूषण के अनुसार पिछले दो सौ सालों में हनुमान जयंती पर ऐसा योग अभी तक तो लगा नहीं है।   

दुर्लभ तीन योगों के संयोग में त्रियोगी
हनुमान जयंती पर इस बार लग्न, नक्षत्र, वार तीनों समान हैं। जोकि भगवान हनुमान के जन्म पर रहे। ध्वांक्ष योग, वज्र योग, राज योग जैसे दुर्लभ तीन योगों के संयोग में त्रियोगी हैं। हनुमान जयंती इस बार मेष लग्न व चित्रा नक्षत्र में मंगलवारीय हनुमान जयंती के रूप में मनाई जाएगी। भारत ज्ञान भूषण के अनुसार हनुमान भगवान के जन्म कालीन संयोग लिए हुए,  सामर्थ्यशाली लाभ योग, पराक्रम सहित बनाए हुए अति विशेष है। भगवान हनुमान के गुरु, सूर्य देव  लग्न में गुरु देव के साथ उच्च के होकर विराजे हुए हैं। जिस कारण इस चैत्र पूर्णिमा का प्रभाव शुभ से शुभतम हो रहा है।  

निर्माण क्षेत्र में बढ़ोत्तरी के शुभ योग बना रहे
सूर्योदनी चैत्र पूर्णिमा पर लग्न में उच्च के सूर्य व गुरु तथा स्वराशि के शनि, मंगल के साथ युति बनाकर तकनीकी, मशीनरी व निर्माण क्षेत्र में बढ़ोत्तरी के शुभ योग बना रहे हैं। इसी के साथ शिक्षा में बाधा, अग्नि कांड, दुर्घटनाओं, संतान को परेशानी या गर्भपात के कुयोग भी बन रहे है। इनसे बचने के लिए इस मंगलवारीय हनुमान जयन्ती पर दक्षिणमुखी विशेषतः पंचमुखी हनुमान पूजन विशेष शुभ फलदायी हैं। 

संवत्सर के राजा शनिदेव 
ध्यान रहे इस संवत्सर के राजा शनिदेव ही हैं तथा हनुमान जयंती भी मंगलवार की है इस संयोग से शनिदेव आपके पाप दोषों से राहत प्रदान करने की सामर्थता ला पाते हैं। जिससे शनि की ढईया व साढ़े साती भी स्वत: ही कम कुप्रभावी हो जाती है।  

बैसाख स्नान, दान प्रारंभ   
चैत्र शुक्ल पूर्णिमा से बैसाख मास का स्नान प्रारम्भ हो जाता है। अतः सूर्य उदय से पहले उठ कर 'ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नमः' जप कर किया गया स्नान तथा पंखा, खरबूजा, फल, नया अनाज आदि का दान प्रातः प्रथम प्रहर 9:00 बजे से पूर्व कर लेने से स्कंन्धपुराण अनुसार आध्यात्मिक उत्थान के योग बना पाते हैं। 

हनुमान जयंती पर हनुमंत पूजन का शुभ मुहूर्त 
उपासना समय - प्रात:   9:03 से 10:41 तक                                            
लाभामृत योग - प्रात:   10:41 से 01:47 तक  
अभिजीत मुहूर्त – दोपहर  11:53 से 12:46 तक 

वर्ष में मनाई जाती हैं दो हनुमान जयन्ती 
वर्ष में दो हनुमान जयंती मनाई जाती है। दूसरी हनुमान जयंती दीपावली से एक दिन पहले कार्तिक अमावस कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को मनायी जाती है। क्योंकि राम रावण युद्ध में बिलकुल विपरीत परिस्थितियों में लंका विजय करके इस प्रकार लौटे थे। बजरंगबली कि उनका नए जन्म की तरह वानरों ने जन्मोत्सव की तरह महाउत्सव मनाया था। तब पुष्पक विमान से अगले दिन दीपावली पर अयोध्या पधारे थे। इस प्रकार अंजनी पुत्र के रूप में जन्म चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को तथा उनके बल, बुद्धि, शोर्य के साथ पुनः सुरक्षित लौट आना उनके पराक्रम का राम की सेवा के रूप में जन्म थाI इसलिए दोनों जन्मोत्सव का अपना अलग ही महत्व होता है।  

सूर्योदय पश्चात प्रातः पूजन विशेष 
दिनांक 23 अप्रैल दिन मंगलवार को सूर्योदनी चैत्र पूर्णिमा तिथि है। हनुमान जयन्ती पर हनुमान को केवल पुरूष वाचक पुष्प जैसे गेंदा हजारा गुलाब आदि के फूल चढाने से अत्यन्त बलशाली शुभताएं बढती है। स्त्रीवाचक फूल जैसे जूही, चमेली आदि नही चढ़ाने चाहिए। प्रसाद के रूप में चूरमा, केला, अमरूद का भोग चढ़ाना लाभकारी योग बनाता है। दोपहर तक कोई नमकीन चीज नहीं खानी चाहिए। प्रातः हनुमान को चोला चढायें, हनुमान मन्दिर में गाय के घी का दीप जलायें। सुबह चोला चढाने से जीवन में शुभतायें बढती है। और बहुत सारी आपदाओं से भी बचाता है। 

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