लोकतंत्र “कम्पलीट पैकेज” देता है जिसमें सामाजिक-राजनीतिक-आर्थिक, लोकतांत्रिक व्यवस्था, सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता मुख्य घटक होते है ।अगर मुल्क को प्रगति के रास्ते पर आगे ले जाना है और न्यायपूर्ण समाज की स्थापना करनी है
Meerut news : बांग्लादेश में हिंदुओं की रक्षा के लिए आगे आना बांग्लादेशी मुसलमानों का नैतिक कर्तव्य:शाहीन परवेज
Aug 21, 2024 17:47
Aug 21, 2024 17:47
- बांग्लादेश में हिंदुओं की रक्षा के लिए अल्लाह से इबादत की
- मुस्लिम महिला ने कहा इस्लाम में अल्पसंख्यकों की रक्षा करना नैतिक जिम्मेदारी
- बांग्लादेश में हिंसा के बीच अल्पसंख्यक अधिकारों के संरक्षण की जरूरत
घरों और व्यवसायों को नुकसान पहुंचाया गया
इस हिंसा में कई हिंदू मंदिरों, घरों और व्यवसायों को नुकसान पहुंचाया गया है। ये बातें मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्ष शाहीन परवेज ने कही। उन्होंने बांग्लादेश में हो रही हिंदुओं के खिलाफ हिंसा पर वहां के मुसलमानों से उनको बचाने की अपील की है। शाहीन परवेज ने कहा कि रिपोर्ट्स के अनुसार, अब तक लगभग हजारों लोग इस हिंसा में मारे गए हैं। जिनमें से अधिकांश हिंदू समुदाय से थे। यह हिंसा उस समय और भड़क उठी जब प्रधानमंत्री शेख हसीना ने पद से इस्तीफा दे दिया और देश छोड़ दिया।
हिंदू घरों और मंदिरों की रक्षा की पहल
इन सबके बीच कुछ ऐसे खबरें है जिनके हवाले से यह जानने को मिला कि हिंसक और नकारात्मक माहौल में कुछ स्थानों पर स्थानीय मुसलमानों,उलेमाओं,मदरसा छात्रों,छात्र कार्यकर्ताओं द्वारा हिंदू घरों और मंदिरों की रक्षा की पहल की है। कुछेक धार्मिक संगठनों द्वारा सामुदायिक सद्भाव बनाये रखने का निर्देश दिया जा रहा हैं और यह समझाया जा रहा कि यह विरोध आंदोलन किसी समुदाय विशेष के बजाय भ्रष्ट राजनेताओं और अधिकारियों के ख़िलाफ़ है।
हिंदुओं की जीवन की रक्षा के लिए आगे आए
शाहीन परवेज ने कहा कि अशांति के समय और पूरे विश्व की सतर्क निगाहों की बीच हिंदुओं की जीवन और सम्पति की रक्षा के लिए आगे आना बांग्लादेशी मुसलमानों का नैतिक कर्तव्य है। सरकार,अधिकारी और विरोध आंदोलन के नेता सद्भाव बनाए रखने के लिए बाध्य हैं। इस्लाम उन्हें अल्पसंख्यकों की रक्षा करने का कर्तव्य देता है। इसे एक आदर्श और कानून बनाया जाना चाहिए। धार्मिक नेताओं को मस्जिदों से यह घोषणा करने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए कि अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए स्थानीय पहल की जानी चाहिए।
बांग्लादेश में छात्रों के नेतृत्व वाले विरोध आंदोलन
बांग्लादेश में छात्रों के नेतृत्व वाले विरोध आंदोलन ने देश के भीतर गहरी निराशा और बदलाव की मांग को रेखांकित किया है। हालांकि राजनीतिक कुप्रबंधन, भ्रष्टाचार और आर्थिक अक्षमताओं ने इस अशांति को बढ़ावा दिया है। लेकिन इस वैश्विक युग में, यह आंदोलन अल्पसंख्यक अधिकारों की रक्षा और बहु-धार्मिक समाज में सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डालता है। उन्होंने कहा कि शिक्षाओं और सभी नागरिकों की नैतिक जिम्मेदारियों को अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के प्रयासों का मार्गदर्शन करना चाहिए। यह सुनिश्चित करते हुए कि आंदोलन का असली ध्यान प्रणालीगत भ्रष्टाचार को चुनौती देने और सभी के लिए अधिक न्यायसंगत समाज बनाने पर है ।
अधिकारों की क़ीमत पर मुल्क को आगे बढ़ाया जाय
लोकतंत्र एकआयामी नहीं हो सकता कि जिसमें केवल बहुसंख्यकों के हित में ही न्यायपूर्ण समाज की आकांक्षा हो और वंचित, कमजोर-अल्पसंख्यकों के अधिकारों की क़ीमत पर मुल्क को आगे बढ़ाया जाय। लोकतंत्र “कम्पलीट पैकेज” देता है जिसमें सामाजिक-राजनीतिक-आर्थिक, लोकतांत्रिक व्यवस्था, सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता मुख्य घटक होते है ।अगर मुल्क को प्रगति के रास्ते पर आगे ले जाना है और न्यायपूर्ण समाज की स्थापना करनी है तो ना केवल बांग्लादेश के समाज बल्कि संपूर्ण विश्व को ऐसे आधुनिक मूल्यों को आत्मसात् करना होगा जिसके केंद्र में “मनुष्यता” हो ना की धर्म, जाति, लिंग ,प्रजाति और क्षेत्र पर आधारित संकुचित दृष्टिकोण।
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