ये 18 फैसले बदल देंगे गौतमबुद्ध नगर के किसानों, युवाओं और ग्रामीणों की तकदीर : दशकों से लटकी थीं मांगें, कई साल से किसान थे आंदोलित, योगी आदित्यनाथ ने निकाला समाधान

दशकों से लटकी थीं मांगें, कई साल से किसान थे आंदोलित, योगी आदित्यनाथ ने निकाला समाधान
UPT | Noida News

Oct 22, 2024 21:48

गौतमबुद्ध नगर के किसानों, युवाओं और खेतिहर मजदूरों के लिए बहुत बड़ी खबर है। जिले के तीनों विकास प्राधिकरणों (नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना अथॉरिटी) से प्रभावित हजारों किसानों की समस्याओं का समाधान सरकार ने तलाश लिया है...

Oct 22, 2024 21:48

Short Highlights
  • गौतमबुद्ध नगर के किसान तीनों प्राधिकरणों के खिलाफ कर रहे थे आंदोलन
  • विधानसभा चुनाव से पहले योगी आदित्यनाथ ने हाई-पावर कमेटी बनाई थी
  • 64.7% मुआवजा, आबादी का प्लॉट और लीजबैक का समाधान निकाला गया
  • ग्रामीण विकास तेज होगा, तीनों प्राधिकरण सालाना 450 करोड़ खर्च करेंगे
  • तीन क्षेत्रीय विकास समिति और तीन कौशल विकास समिति का गठन होगा
  • गांवों के भूमिहीन परिवारों के लिए रोजगार के अवसर मुहैया करवाए जाएंगे
Noida News : गौतमबुद्ध नगर के किसानों, युवाओं और खेतिहर मजदूरों के लिए बहुत बड़ी खबर है। जिले के तीनों विकास प्राधिकरणों (नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना अथॉरिटी) से प्रभावित हजारों किसानों की समस्याओं का समाधान सरकार ने तलाश लिया है। जिले किसानों ने 28 मांगें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने रखी थीं। सीएम ने समाधान तलाश करने के लिए विधानसभा चुनाव से पहले रेवेन्यू बोर्ड के चेयरमैन की अध्यक्षता में हाई-पावर कमिटी का गठन किया था। मंगलवार को हाई-पावर कमेटी की सिफारिशों को सार्वजानिक कर दिया गया है। इसके बाद किसानों ने आंदोलन स्थगित कर दिया है। अब नोएडा और ग्रेटर नोएडा के किसानों को अतिरिक्त 64.7% मुआवजा, आबादी का प्लॉट और लीजबैक की जमीन मिलेगी। तीनों प्राधिकरणों के गांवों में विकास तेज होगा। तीनों प्राधिकरण सालाना 450 करोड़ रुपए ग्रामीण विकास पर खर्च करेंगे। तीन क्षेत्रीय विकास समिति और तीन कौशल विकास समिति का गठन किया जाएगा। ये समितियां गांवों और युवाओं के लिए काम करेंगी। गांवों के भूमिहीन परिवारों के लिए रोजगार के अवसर मुहैया करवाए जाएंगे।

सिफारिश नंबर-1: किसानों की आबादी तय होगी
समिति ने सबसे पहले नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से ग्रामीण आबादी को तय करने की सिफारिश की है। दोनों प्राधिकरण अपने-अपने गांवों में ग्रामीण आबादी 30 जून, 2011 के अनुसार तय करेंगे। मतलब, उस दिन जिस किसान की आबादी जहां थी, वहां मानी जाएगी। उस दिन की सैटेलाईट इमेज देखी जाएंगी। मौके पर जाकर सर्वे किया जाएगा। यह काम 2 माह में पूरा करना होगा। 



सिफारिश नंबर-2: अतिक्रमण का समाधान होगा
समिति ने कहा है कि भविष्य में भूमि अर्जन के दृष्टिगत अतिक्रमण को सीमित और नियंत्रित करने की जरूरत है। विकास प्राधिकरण सर्वे करके ग्रामीण आबादी स्थल तय करें। पैरिफेरल बाउण्ड्री चिन्हित की जाए। यह कार्यवाही 3 माह के अन्दर पूरी की जाए। सर्वे और सत्यापन करने के लिए प्राधिकरण चरणबद्ध तरीके से टीम गठित करेंगे। अगले 6 माह के अन्दर आबादी तय करने की कार्यवाही की जाए। यदि प्राधिकरण को राजस्व विभाग से कर्मियों की आवश्यकता है तो राजस्व परिषद या मेरठ की मण्डलायुक्त से अनुरोध कर सकते हैं। प्राधिकरण कंसल्टेंट और सुयोग्य सेवानिवृत्त कार्मिकों की सेवाएं लेने पर विचार कर सकता है। सर्वे में जिलाधिकारी प्राधिकरणों को सहयोग करेंगे। इस समस्या का हमेशा के लिए समाधान करने की बात समिति ने कही है।

सिफारिश नंबर-3: अतिक्रमण के मामले डी-लिंक होंगे
ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरण 5/6/7 प्रतिशत आबादी के प्रकरणों में अतिक्रमण के मामले को अलग करके बाकी किसानों को आबादी भूखण्ड आवंटित कर रहे हैं। नोएडा प्राधिकरण के लगभग 2,482 प्रकरणों में किसानों ने अतिक्रमण कर रखा है। 3,588 मामलों में अन्य कारणों से 5 प्रतिशत भूखंडों का आवंटन नहीं किया जा रहा है। किसान लगातार यह मांग उठा रहे हैं कि उनकी खेत-खलिहान की भूमि पर प्राधिकरण ने कब्जा कर लिया है। उसके सापेक्ष 5 प्रतिशत आबादी मिलने चाहिए। इसलिये समिति ने यह मत दिया है कि नोएडा प्राधिकरण, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण की तरह अतिक्रमण से जुड़े मामलों को को अलग कर दे। इसके बाद बहुत बडी संख्या में किसानों की 5 प्रतिशत आबादी भूखण्ड की समस्या का समाधान हो जाएगा। 

सिफारिश नंबर-4: आबादी भूखंड नहीं तो पैसा दें
समिति ने सिफारिश की कि प्राधिकरण 2482+3588 प्रकरणों में अतिक्रमण को डी-लिंक करवाए। किसानों के 5 प्रतिशत आबादी भूखंड दें। अगर नोएडा अथॉरिटी के पास जमीन नहीं है तो समतुल्य धनराशि दी जाए। यह कार्यवाही 2 माह के अन्दर पूरी की जाए। मुख्य कार्यपालक अधिकारी इस कार्यवाही की स्वयं निगरानी करेंगे। यह सुनिश्चित करेंगे कि यह कार्यवाही 2 माह के अन्दर प्रत्येक दशा में पूर्ण हो जाए। हालांकि, जमीन की बजाय मूल्य निर्धारण कैसे किया जाएगा, इस बारे में समिति ने कोई राय नहीं दी है।

सिफारिश नंबर-5: आबादी भूखंड की लीजडीड करें
समिति के सामने किसानों ने यह बात रखी थी कि जिन किसानों को नोएडा अथॉरिटी ने आबादी भूखंड आवंटित कर दिए हैं, उनके नाम अब तक लीजडीड नहीं की गई हैं। इस पर समिति ने सिफारिश की है कि जिन किसानों को आबादी भूखंड आवंटित कर दिए गए और उनकी लीज डीड नहीं की गई हैं, यह कार्यवाही 2 माह के अन्दर पूर्ण कर ली जाए।

सिफारिश नंबर-6: ग्रेटर नोएडा में आबादी भूखंड 6 महीने में दें
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने वर्ष 1997 के बाद 107 ग्रामों की 12,211 हेक्टेयर भूमि अर्जित की है। इससे कुल 29,365 प्रभावित कृषक थे, जिसमें से 16,051 कृषकों को 5/6 प्रतिशत विकसित आबादी भूखंड आवंटित कर दिए गए हैं। अभी 4,147 किसानों को आवंटन किया जाना बाकी है। प्राधिकरण ने किसानों की भूमि को अधिग्रहीत करके कब्जा ले लिया है। उनकी भूमि पर विकास कार्य करके शहर बसाया जा चुका है। यह चिन्ताजनक है कि अभी तक बमुश्किल 20 प्रतिशत किसानों को ही 5/6 प्रतिशत आबादी भूखण्ड मिल पाये हैं। समिति ने सिफारिश की है कि मुख्य कार्यपालक अधिकारी चरणबद्ध तरीके से आवश्यक टीमों का गठन करें। गांवों में कैम्प लगाकर बाकी 4,147 कृषकों की पात्रता निर्धारित करवाएं। यह काम अधिकतम 6 माह के अन्दर पूरा करके भूखण्ड आवंटन की कार्यवाही करें।

सिफारिश नंबर-7: ग्रेटर नोएडा 64.70% अतिरिक्त मुआवजा देगा
नोएडा प्राधिकरण ने वर्ष 2002 से 2013 के बीच किसानों से सीधे जमीन खरीदी है। इसके लिए 64.70 प्रतिशत अतिरिक्त मुआवजा दिया जा चुका है, जबकि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने बोर्ड के निर्णय के बावजूद 612 किसानों में से अभी तक 79 किसानों को ही 64.70 प्रतिशत अतिरिक्त मुआवजा दिया है। नोएडा और यमुना प्राधिकरण अपने किसानों को 64.70 प्रतिशत अतिरिक्त प्रतिकर दे रहे हैं। समिति ने सिफारिश की है कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने वर्ष 2002 से 2013 के मध्य जिन किसानों से सीधे जमीन खरीदी है, उन बाकी 533 किसानों को बोर्ड के निर्णय के मुताबिक 64.70 प्रतिशत अतिरिक्त मुआवजा दे। यह भुगतान 2 माह के अंदर कराया जाना चाहिए।

सिफारिश नंबर-8: नोएडा में लीजबैक की सीमा 1,000 वर्गमीटर हुई 
नोएडा प्राधिकरण ने आबादी विनियमितीकरण के लिए निर्धारित मौजूदा सीमा 450 वर्गमीटर से बढ़ाकर 1,000 वर्गमीटर करने का प्रस्ताव बोर्ड से अनुमोदित कराया है। समय-समय पर किसानों से समझौते किए हैं। लिहाजा, समिति ने सिफारिश की है कि यह प्रस्ताव प्राधिकरण के बोर्ड ने अनुमोदित कर दिया है और किसानों से समझौते किए हैं, ऐसे में आबादी की सीमा को 1,000 वर्गमीटर तक बढ़ाया जाए। यह किसानों के हित में आवश्यक और व्यावहारिक है। इसलिये लीजबैक की सीमा को 450 वर्गमीटर से बढ़ाकर 1,000 वर्गमीटर कर दिया जाए।

सिफारिश नंबर-9: नोएडा में 3,849 लीजबैक दो महीने में होंगी
नोएडा प्राधिकरण ने 3,849 मामलों में आबादी की जमीन की लीजबैक करने का प्रस्ताव प्राधिकरण बोर्ड से मंजूर कराया है, किन्तु अभी तक एक भी प्रकरण में किसान के पक्ष में लीज-डीड नहीं की गई है। समिति ने कहा है कि मुख्य कार्यपालक अधिकारी इन 3,849 किसानों के पक्ष में 2 माह के भीतर लीजडीड करवाएं।

सिफारिश नंबर-10: नोएडा में गांवों की पैरिफेरल बाउण्ड्री बनाएं
नोएडा प्राधिकरण के गांवों में अतिक्रमण है। ऐसे गांवों की आबादियों की पैरिफेरल बाउण्ड्री बनाएं। टीम लगाकर किसानों की निर्मित आबादियों और आनुषंगिक उपयोग के लिए प्रयोग की जा रही आबादियों को भौतिक रूप से सत्यापित करें। वर्तमान आबादी नियमावली के के प्रावधानों के मुताबिक 6 माह की सीमा के अन्दर सभी प्रकरणों को निस्तारित किया जाए।

सिफारिश नंबर-11: एसआईटी से क्लीनचिट वाले मामलों में लीजडीड करें
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के 1,451 प्रकरणों को एसआईटी ने सही पाया था। प्राधिकरण ने इन 1,451 प्रकरणों में से केवल 172 प्रकरणों में लीजडीड करवाई हैं। समिति ने अनुशंसा की है कि जिन प्रकरणों को एसआईटी ने सही पाया है, उन किसानों के नाम लीजडीड करें। इसके अलावा 834 प्रकरणों की सुनवाई प्राधिकरण ने पूरी कर ली है, उन मामलों से जुड़े किसानों की लीजडीड करें। मुख्य कार्यपालक अधिकारी गांवों में कैम्प लगाकर चरणबद्ध तरीके से कार्यवाही करवाएं। तीन माह के अन्दर सारी लीजडीड करवाई जाएं।

सिफारिश नंबर-12: लंबित लीजबैक के निर्णय 6 महीने में लेने होंगे
इनके अतिरिक्त ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अनेक प्रकरण ऐसे हैं, जिनमें अभी तक समग्र रूप से सर्वे की कार्यवाही पूरी नहीं हुई है। जिसकी वजह से लीजबैक के निर्णय नहीं लिए गए हैं। समिति ने कहा है कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ऐसे अवशेष गांवों में 6 माह के अन्दर टीम लगाकर सर्वेक्षण की कार्यवाही पूर्ण की जाए। इन प्रकरणों को समयबद्ध रूप से निस्तारित करने के लिए मुख्य कार्यपालक अधिकारी साप्ताहिक समीक्षा बैठक करें। औचक स्थलीय निरीक्षण करके कार्य की प्रगति की अद्यतन स्थिति का पता लगाया जाए।

सिफारिश नंबर-13: शिफ्टिंग के 211 प्रकरण का 6 माह में निस्तारण
समिति ने सिफारिश की है कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण शिफ्टिंग के 211 प्रकरणों पर ध्यान दे। यह काम 6 माह के अन्दर पूरा करें। सभी शिफ्टिंग के प्रकरणों की किसानों के नाम लीज-डीड करवाएं।

सिफारिश नंबर-14: 130 मीटर एक्सप्रेसवे की कनेक्टिविटी पर काम करें
ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के क्षेत्र में 130 मीटर चौड़ी रोड से कनेक्ट करने वाली 60 मीटर रोड है। यह रोड सैनी गांव और बादलपुर गांव की भूमि पर बनाई जानी है। दूसरी सड़क 130 मीटर एक्सप्रेसवे से दादरी रेलवे ओवर ब्रिज के बीच कनेक्टिी रोड के रूप में प्रस्तावित है। इनके निर्माण के लिए भूमि खरीदने का निर्णय प्राधिकरण बोर्ड ले चुका है। समिति की अनुशंसा है कि प्राधिकरण समयबद्ध तरीके से इन कनेक्टिविटी सुनिश्चित करे।

सिफारिश नंबर-15: भूमिहीन परिवारों को रोजगार मिलेंगे
भूमि के अर्जन से काफी परिवार भूमिहीन हुए हैं, जो समाज के अन्तिम छोर पर हैं। इनके आर्थिक उत्थान के लिए नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ऐसे सभी पुश्तैनी भूमिहीन परिवारों की संख्या का आंकलन करे। इन लोगों को प्राथमिकता के आधार पर शहर के वैडिंग जोन में आवंटन किया जाए। इससे न केवल पुश्तैनी भूमिहीन परिवारों का आर्थिक उत्थान होगा बल्कि रोजगार के साधन भी उपलब्ध होंगे। समिति ने सिफारिश की है कि दोनों प्राधिकरणों के क्षेत्रों के भूमिहीन पुश्तैनी परिवारों के लिए एक पृथक कार्ययोजना बनाई जाए। इन्हें प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना से जोड़कर वैंडिंग जोन में 40 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए।

सिफारिश नंबर-16: तीन क्षेत्रीय विकास समिति बनेंगी
प्राधिकरण के अधिसूचित गांवों और किसानों का क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान है। इसलिये गांवों के सुदृढ़ और सुनियोजित विकास के लिए समिति ने अनुशंसा की है कि जिलाधिकारी की अध्यक्षता में तीनों प्राधिकरण के अलग-अलग "क्षेत्रीय विकास समिति" का गठन किया जाए। प्राधिकरणों के अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी इस समिति के सदस्य सचिव रहेंगे। मुख्य विकास अधिकारी सदस्य रहेंगे। मण्डलायुक्त मेरठ दो क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों या समाजसेवी को बतौर सदस्य नामित करेंगे। प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी दो प्रतिष्ठित एनजीओ को बतौर सदस्य नामित करेंगे। कमेटी के गठन की कार्यवाही तीन माह में करनी पड़ेगी।

सिफारिश नंबर-17: ग्रामीण विकास का बजट 150 करोड़ रुपये सालाना
समिति ने माना है कि प्राधिकरणों द्वारा गांवों के विकास के लिए आवंटित बजट पर्याप्त नहीं है, जिसे बढाकर कम से कम 150 करोड़ रुपये प्रति वर्ष किया जाए। जिससे सुनियोजित तरीके से कार्य योजना बनाकर गांवों में समय की आवश्यकता के अनुसार विकास कार्य कराए जाएं। समय-समय पर सीएसआर का लाभ गांवों को दिलवाया जाए।

सिफारिश नंबर-18: युवाओं के लिए स्किल डेवलपमेंट कमेटी बनेंगी
समिति ने ग्रामीण विकास और युवाओं के हितों में एक और बड़ी सिफ़ारिश की है। तीनों विकास प्राधिकरणों में अलग-अलग 'स्किल डेवलपमेंट कमेटी' का गठन किया जाएगा। इन समितियों के अध्यक्ष जिलाधिकारी रहेंगे। प्राधिकरणों के अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी सचिव होंगे। जिला उद्योग केंद्र के उपायुक्त, उप श्रमायुक्त और जिला सेवायोजन अधिकारी इस समिति में सदस्य रहेंगे। मेरठ के मंडलायुक्त एमएसएमई और बड़े उद्योगों के दो-दो प्रतिनिधियों को बतौर सदस्य इस समिति में नामित करेंगे। जिलाधिकारी आईटीआई और पॉलिटेक्निक स्कूल के प्रधानाचार्य को बतौर सदस्य नामित करेंगे। हाई-पावर कमिटी ने सिफ़ारिश की है कि इस समिति का गठन अगले तीन महीने में कर लिया जाए। तीनों विकास प्राधिकरण अपने-अपने क्षेत्रों में चल रहे उद्योगों का सर्वे करेंगे। पुश्तैनी किसान परिवारों के युवाओं की स्किल मैपिंग करवाई जाएगी। उन्हें योग्यता के आधार पर इसके लिए 'डेवलपमेंट एंड ट्रेनिंग प्रोग्राम' से जोड़ा जाएगा। इसके लिए डेवलपमेंट के लिए बजट की व्यवस्था विकास प्राधिकरण करेंगे। यह बजट 25 करोड़ रुपये से कम नहीं होना चाहिए। ये समितियां कौशल विकास मिशन, मुख्यमंत्री एप्रेंटिस एंड इंटर्नशिप स्कीम और सीएसआर के माध्यम से भी युवाओं को लाभ उपलब्ध करवाएगी।

समिति ने किसानों की 10 मांग ख़ारिज कर दीं
1. पांच और छह प्रतिशत आबादी भूखंड का क्षेत्रफल बढ़ाकर दस प्रतिशत करने की मांग
2. वर्ष 1997 से वर्ष 2002 के मध्य भूमि अर्जन के मामलों में 64.7% अतिरिक्त मुआवज़ा देने की मांग
3. न्यूनतम आबादी भूखंड की सीमा 40 वर्गमीटर से बढ़ाकर 120 वर्गमीटर करने की मांग
4. आबादी भूखंड का अधिकतम क्षेत्रफल 2,500 वर्गमीटर से बढ़ाकर 5,000 वर्गमीटर करने की मांग
5. पुश्तैनी और ग़ैर पुश्तैनी के अंतर को समाप्त करने की मांग
6. किसानों से सीधे जमीन खरीद के मामलों में भूमि अर्जन अधिनियम-2013 को लागू करने की मांग
7. सर्किल रेट बढ़ाने की मांग
8. आबादी भूखंडों में व्यावसायिक गतिविधियां चलाने की मांग
9. आबादी भूखंडों पर बनने वाले भवनों की ऊंचाई 15 मीटर से बढ़ाकर 25 मीटर करने की मांग
10. यूपीएसआईडीए से प्राप्त की गई भूमि के किसानों को आबादी भूखंड देने की मांग

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