अयोध्या की तर्ज पर मेरठ में होगा दीपोत्सव : हस्तिनापुर के द्रौपदी घाट पर 15 नवंबर को भव्य आयोजन, 5100 दीपों से सजेगा ऐतिहासिक स्थल

हस्तिनापुर के द्रौपदी घाट पर 15 नवंबर को भव्य आयोजन, 5100 दीपों से सजेगा ऐतिहासिक स्थल
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Oct 31, 2024 16:36

दीपोत्सव का यह कार्यक्रम जिला प्रशासन और पंचायत प्रशासन के सहयोग से किया जा रहा है। हस्तिनापुर और उसके आसपास के क्षेत्र से लोग इस आयोजन...

Oct 31, 2024 16:36

Meerut News : मेरठ से करीब 45 किलोमीटर दूर स्थित महाभारत कालीन हस्तिनापुर का द्रौपदी घाट एक बार फिर से ऐतिहासिक धरोहर को संजोते हुए भव्य दीपोत्सव का आयोजन करने जा रहा है। इस कार्यक्रम के तहत 15 नवंबर को घाट पर 5100 दीप जलाए जाएंगे, जिससे यह ऐतिहासिक स्थल एक भव्य और अलौकिक रूप में दिखाई देगा। नेचुरल साइंसेज ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं असिस्टेंट प्रोफेसर प्रियंक भारती ने लोकल-18 से बातचीत में जानकारी देते हुए बताया कि इस आयोजन को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं। इस आयोजन का उद्देश्य हस्तिनापुर की पौराणिक धरोहरों और सांस्कृतिक महत्व को पुनः जागृत करना है।

भव्य दीपोत्सव की तैयारियां
प्रियंक भारती ने बताया कि दीपोत्सव का यह कार्यक्रम जिला प्रशासन और पंचायत प्रशासन के सहयोग से किया जा रहा है। हस्तिनापुर और उसके आसपास के क्षेत्र से लोग इस आयोजन में भाग ले सकते हैं और धर्म लाभ उठा सकते हैं। यह आयोजन केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि ऐतिहासिक धरोहर के रूप में भी महत्व रखता है। भारती के अनुसार सभी तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। इस मौके पर कर्ण मंदिर के महंत शंकर देव और द्रौपदी घाट मंदिर की महंत वेगवती मां बूढ़ी गंगा की आरती करेंगे। इसके बाद दीप जलाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया जाएगा। पिछले वर्ष जहां 2100 दीप जलाए गए थे। वहीं इस बार इस संख्या को बढ़ाकर 5100 कर दिया गया है। हर साल दीपों की संख्या में वृद्धि की जा रही है और भविष्य में लाखों दीप जलाने का लक्ष्य है।

बूढ़ी गंगा का ऐतिहासिक महत्व
बूढ़ी गंगा हस्तिनापुर की ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहरों में से एक है। जिसका उल्लेख कई प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है। मान्यता है कि महाभारत काल में पांडव इसी बूढ़ी गंगा में स्नान कर पूजा-अर्चना करते थे। आज भी इस घाट का पौराणिक महत्व देखा जा सकता है। जब द्रौपदी घाट पर आते हैं तो यहां की बूढ़ी गंगा के रूप में यह स्थल हस्तिनापुर के गौरवशाली इतिहास को दर्शाता है। यही नहीं इस स्थल पर बने द्रौपदी मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा द्रौपदी की लाज बचाने की कहानी भी मूर्तियों के रूप में चित्रित है। यह मंदिर आज भी महाभारत कालीन उस ऐतिहासिक घटना को याद दिलाता है।

दीपोत्सव का उद्देश्य
यह कार्यक्रम न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि यह हस्तिनापुर की पौराणिक धरोहर को संरक्षित करने और लोगों को इसकी महत्वता से अवगत कराने का भी उद्देश्य रखता है। हस्तिनापुर का यह कार्यक्रम एक बार फिर से हमें हमारी पौराणिक संस्कृति और इतिहास से जोड़ने का काम करेगा।

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