Paris Olympics : पारुल चौधरी फाइनल में जगह बनाने में रहीं नाकाम, 5000 मीटर दौड़ में पदक से चूकीं

पारुल चौधरी फाइनल में जगह बनाने में रहीं नाकाम, 5000 मीटर दौड़ में पदक से चूकीं
UPT | Parul Chaudhary

Aug 03, 2024 11:57

पेरिस ओलंपिक में शुक्रवार का दिन मेरठ के खिलाड़ियों के लिए एक और निराशाजनक दिन रहा। इस दिन की सबसे बड़ी उम्मीद, 5000 मीटर दौड़ में उड़न परी पारुल चौधरी की पदक जीतने...

Aug 03, 2024 11:57

Meerut News : पेरिस ओलंपिक में शुक्रवार का दिन मेरठ के खिलाड़ियों के लिए एक और निराशाजनक दिन रहा। इस दिन की सबसे बड़ी उम्मीद, 5000 मीटर दौड़ में उड़न परी पारुल चौधरी की पदक जीतने की संभावना को उस समय झटका लगा जब उन्होंने दौड़ में 14वां स्थान प्राप्त किया। पारुल चौधरी ने 15:10.68 सेकंड में अपनी दौड़ पूरी की। देर शाम हुए इस मुकाबले में पारुल चौधरी ने अपनी पहली हीट में मैदान पर अच्छा प्रदर्शन किया। शुरुआती दौर में वे शीर्ष 10 में शामिल थीं। लेकिन जैसे-जैसे दौड़ आगे बढ़ी, उनका प्रदर्शन गिरता गया। अंततः वे अपने सर्वश्रेष्ठ समय 15:10.38 से भी पीछे रह गईं और 14वें स्थान पर पहुंच गईं।

रविवार को 3000 मीटर स्टीपल चेस में लेगीं हिस्सा
पेरिस ओलंपिक के नियमों के अनुसार फाइनल राउंड के लिए प्रत्येक हीट से केवल पहले आठ खिलाड़ियों को ही चुना गया। पहली हीट में पारुल चौधरी के अलावा आठ खिलाड़ियों ने फाइनल के लिए क्वालीफाई किया। दूसरी हीट में भी आठ खिलाड़ियों ने फाइनल के लिए क्वालीफाई किया। इस प्रकार पारुल चौधरी फाइनल में जगह बनाने में असफल रहीं। इसके बाद अब पारुल चौधरी के पास रविवार को 3000 मीटर स्टीपल चेस में पदक जीतने का अंतिम अवसर होगा। यह उनके लिए पदक प्राप्त करने का आखिरी मौका होगा और इस प्रतियोगिता पर उनकी नजरें टिकी हैं। वहीं भाला फेंक में देश के नंबर एक खिलाड़ी अनु रानी 7 अगस्त को अपना पहला मुकाबला खेलने के लिए तैयार हैं। अनु रानी की भी प्रतियोगिता पर नजरें टिकी हैं और उनके प्रदर्शन की भी सबको प्रतीक्षा है।

एशियन गेम्स में दिखा था शानदार प्रदर्शन
पारुल चौधरी एथलेटिक्स की ट्रैक एंड फील्ड इवेंट्स में भारत की प्रमुख एथलीटों में से एक हैं। देश की पदक की सबसे बड़ी उम्मीद के रूप में उभरी हैं। एशियन गेम्स 2024 में उनके शानदार प्रदर्शन ने देशवासियों को स्वर्णिम उम्मीदें दीं। लेकिन अब उनका सबसे बड़ा चुनौतीपूर्ण इवेंट 3000 मीटर स्टीपलचेज बन गया है। एशियन गेम्स में पारुल चौधरी ने 3000 मीटर स्टीपलचेज में रजत पदक जीतकर अपनी ताकत और क्षमता का प्रदर्शन किया था। इसके अलावा उनके पिछले सफल प्रयासों ने उनकी स्थिति को और मजबूत किया है। एशियन गेम्स के बाद पारुल ने अमेरिका में आयोजित प्रतियोगिता और भारत के राष्ट्रीय खेलों में स्वर्ण पदक हासिल किए। जिससे उनकी लय बनी रही। उनकी इन उपलब्धियों ने उन्हें देश के ट्रैक एंड फील्ड इवेंट्स में एक प्रमुख खिलाड़ी बना दिया है।

3000 मीटर स्टीपलचेज में पदक की आखिरी उम्मीद
हालांकि पेरिस ओलंपिक में उनका प्रदर्शन अपेक्षित स्तर पर नहीं था, लेकिन यह तय नहीं करता कि उनकी प्रतिभा और मेहनत कम हो गई है। उनकी हाल की उपलब्धियों ने यह साबित किया है कि वह अभी भी अपनी सर्वश्रेष्ठ फॉर्म में हैं। अब पारुल चौधरी 3000 मीटर स्टीपलचेज में पदक की आखिरी उम्मीद के साथ मैदान में उतरेंगी। उनकी मेहनत, संघर्ष और समर्पण ने उन्हें इस स्थान तक पहुँचाया है, और उन्हें इस इवेंट में भी उत्कृष्टता की उम्मीद है। उनकी पूरी तैयारी और पूर्व के प्रदर्शन को देखते हुए, देशवासियों को उम्मीद है कि पारुल चौधरी एक बार फिर से अपनी चमकदार लय को प्रदर्शित करेंगी और एथलेटिक्स में भारत की साख को बनाए रखेंगी। 

पारुल ने किया संघर्षो का सामना
पारुल के जीवन की कहानी संघर्ष और दृढ़ता की मिसाल है। पारुल एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। इस समय वह पेरिस ओलंपिक में नई पहचान बनाने में लगी हुईं हैं। पारुल का जन्म मेरठ के एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। उनके माता-पिता कृष्‍णपाल सिंह और अन्य परिवार के सदस्य खेल के प्रति उनके जुनून का समर्थन करने के लिए हमेशा तत्पर रहे। पारुल ने खेल के क्षेत्र में अपनी यात्रा की शुरुआत अपनी बड़ी बहन प्रीति के साथ गांव में खेलना शुरू करके की। उनके पिता ने उन्हें स्कूल की दौड़ प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। गांव की टूटी-फूटी सड़कों पर लगातार अभ्यास करने के बाद पारुल ने कोच गौरव त्यागी की सलाह पर स्टेडियम में अभ्यास शुरू किया। रोजाना सुबह पांच बजे वह अपने पिता के साथ मुख्य मार्ग तक पहुँचती थीं और वहाँ से टेम्पो या अन्य वाहनों के माध्यम से स्टेडियम जाती थीं। यह उनकी समर्पण और मेहनत का प्रमाण था।

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