संगोष्ठी ने जलवायु परिवर्तन और वनस्पति विज्ञान के क्षेत्र में नई दिशा की ओर अग्रसर होने की आवश्यकता को रेखांकित किया है, और वैज्ञानिक समुदाय को नए विचारों और नवाचारों
Meerut News : लेह लद्दाख में लहलहा रही ट्यूलिप लिली से सजता है अयोध्या का राम दरबार
Oct 17, 2024 22:38
Oct 17, 2024 22:38
- जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में वनस्पति विज्ञान की नई दिशा
- अफगानिस्तानी पौधों की वैरायटी भी अब भारत में संभव
- सीसीएसयू में वनस्पति सोसायटी द्वारा संगोष्ठी का आयोजन
फसलों पादपो को सक्षम बनाने की दिशा में होने वाले कार्यों
मुख्य अतिथि प्रोफेसर संजय कुमार ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के आघातों को सफलता पूर्वक सहकार अनुकूलन दिखाने वाले पादपों से संबंधित जींस को पहचान कर उसका उपयोग कर आवश्यक फसलों पादपो को सक्षम बनाने की दिशा में होने वाले कार्यों का वर्णन किया अधिक तथा अत्यल्प ताप से यह प्रभावित रखने वाली जीव प्रति ऑक्सीजन विघटनरोधक जिन पर्वतों की उच्च श्रृंखला में वायुदाब तथा ताप परिवर्तन के कारण वृक्ष रेखा में होने वाले परिवर्तनों को भी उपयोगी बनाने पर प्रकाश डाला।
अफगानिस्तान में पैदा होने वाली व भारत में अत्यधिक प्रयुक्त होने वाली रिंग का पौधा
उन्होंने बताया कि अफगानिस्तान में पैदा होने वाली व भारत में अत्यधिक प्रयुक्त होने वाली रिंग का पौधा नीदरलैंड से आयातित होने वाले ट्यूलिप के पौधे व इसी प्रकार से अन्य कई पादप उनके संस्थान कृषि अनुसंधान केंद्र के द्वारा भारत उच्च स्थलों में उगाने संभव कर लिए गए हैं। लेह में जहां कोई फूल नहीं आता था ट्यूलिप लिली आदि की अभूतपूर्व किस्में उगाकर करोड़ों रुपयों की आमदनी की जा रही है। यहां तक कि अयोध्या में राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर ट्यूलिप के अनेक ट्रक भेजे गए।
स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने भी अपने भाषण
स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने भी अपने भाषण में संस्थान के प्रति आभार व प्रोत्साहन व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में नेक्स्ट जेन रिमोट सेंसिंग अनुप्रयोगात्मक पारंपरिक वानस्पतिक ज्ञान को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। जो हमारे सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए आवश्यक है। प्रोफेसर संजय कुमार ने बताया कि उनके शोध के परिणामस्वरूप आज 56 स्टार्टअप विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रहे हैं, जिसने नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा दिया है।
देश में उन्नत विकसित स्ट्रेस रोधक किस्मों से परिपूर्ण
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर संगीता शुक्ला ने जैविक जिज्ञासाओं को लक्षित कर भविष्य में ऐसे कार्य करने पर बल देते हुए कहा कि देश में उन्नत विकसित स्ट्रेस रोधक किस्मों से परिपूर्ण कर आने वाले समय को पहचानने उसके अनुसार अनुकूलित फसलों औषधीय पादपों को इंडस्ट्री की सहायता से प्रचारित प्रचलित करने, जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्व वैज्ञानिकों यथा प्रोफेसर पुरी, प्रोफेसर मूर्ति ने इस विश्वविद्यालय में अपनी दूर दृष्टि से किस ज्ञान की नींव रखी व उस समय का उत्कृष्ट ज्ञान विद्यार्थियों तक पहुंचाया था उस समय के विद्यार्थी आज उच्च पदों पर अपनी वैज्ञानिक उपलब्धियों के कारण आसीन व विश्वविख्यात हैं। हमारे विद्यार्थियों को अपना लक्ष्य इस परिश्रम ज्ञान को ध्यान में रखकर लगन के साथ भारत को उन्नति के शिखर पर व स्वयं की उन्नति का पहुंचाने का होना चाहिए।
जलवायु परिवर्तन व्यापक बदलाव लाता है
कार्यक्रम संयोजक प्रोफेसर जितेंद्र सिंह ने कहा कि पौधों की जैविक प्रक्रियाओं और पारिस्थितिक तंत्रों की संरचना में जलवायु परिवर्तन व्यापक बदलाव लाता है। प्रोफेसर लवानिया ने बताया कि यह संस्था 1920 से कार्यरत है और विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।संगोष्ठी में लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से प्रोफेसर एस.के. सोपोरी और प्रोफेसर पी.के. गुप्ता को सम्मानित किया गया। इसके अलावा, सात अन्य वरिष्ठ वैज्ञानिकों और 10 सोसाइटी के वरिष्ठ सदस्यों को भी उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए पुरस्कार दिए गए। प्रोफेसर लवानिया ने सभी वैज्ञानिकों के साइटेशन पढ़ते हुए उनकी अद्वितीय उपलब्धियों पर प्रकाश डाला।संगोष्ठी के दौरान ऐब्स्ट्रैक्ट बुक का भी विमोचन किया गया, जिसमें प्रमुख शोध कार्यों का संकलन किया गया। ।लंच के बाद पांच वैज्ञानिक सत्रों का आयोजन किया गया, जिसमें 15 विश्व विख्यात वैज्ञानिकों ने अपने शोध कार्य प्रस्तुत किए।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन के बाद
सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन के बाद, कुलपति प्रोफेसर संगीता शुक्ला ने समारोह का समापन किया और सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद किया। इस संगोष्ठी ने जलवायु परिवर्तन और वनस्पति विज्ञान के क्षेत्र में नई दिशा की ओर अग्रसर होने की आवश्यकता को रेखांकित किया है, और वैज्ञानिक समुदाय को नए विचारों और नवाचारों के माध्यम से आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है। मंच का संचालन डॉक्टर ज्ञानिक शुक्ला ने किया कार्यक्रम में विश्वविद्यालय से प्रोफेसर भूपेंद्र सिंह राणा, प्रोफेसर विजय मलिक, प्रोफेसर शैलेंद्र सिंह, प्रोफेसर बिंदु शर्मा, डॉ. लक्ष्मण नागर, डॉ. नितिन गर्ग, डॉ. दिनेश पवार, डॉ. अश्वनी शर्मा, डॉ. अजय शुक्ला, डॉ. अमरदीप सिंह, डॉ. प्रदीप पवार व अन्य मौजूद रहे।
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