कौन हैं चंदन चौहान : रालोद ने बिजनौर से बनाया लोकसभा प्रत्याशी, सबसे कम उम्र में बने थे विधायक

रालोद ने बिजनौर से बनाया लोकसभा प्रत्याशी, सबसे कम उम्र में बने थे विधायक
UPT | बिजनौर लोकसभा सीट से रालोद प्रत्याशी चंदन चौहान

Mar 04, 2024 23:34

2017 में चंदन चौहान खतौली से सपा के टिकट पर चुनाव हारे थे। साल 2022 में सपा-रालोद गठबंधन ने रालोद के सिंबल पर मीरापुर से चुनाव लड़े और विधायक ....

Mar 04, 2024 23:34

Short Highlights
  • बिजनौर सीट पर रालोद ने चंदन चौहान को टिकट देकर खेला जाट—गुर्जर कार्ड
  • पिछले विधानसभा चुनाव में सपा रालोद गठबंधन से बने थे मीरापुर के विधायक 
  • पिता संजय सिंह चौहान रह चुके हैं बिजनौर लोकसभा सीट से सांसद 
Meerut News : भाजपा से गठबंधन होने के बाद रालोद ने आज अपने पत्ते खोल दिए। रालोद ने बागपत और बिजनौर सीट पर प्रत्याशी घोषित कर दिए। दोनों सीटों पर जिन नामों की घोषणा हुई वो काफी चौकाने वाले थे। बागपत से खाटी रालोद नेता डॉ. राजकुमार सांगवान को लोकसभा प्रत्याशी बनाया है। जबकि बिजनौर से चंदन चौहान को रालोद ने प्रत्याशी बनाया है। जयंत चौधरी ने बिजनौर लोकसभा सीट पर जाट-गुर्जर कार्ड खेला है। चौधरी जयंत के इस फैसले से कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर है। बिजनौर लोकसभा सीट पर जाट और गुर्जर समीकरण साधते हुए मीरापुर विधायक चंदन चौहान को प्रत्याशी बनाया है। चंदन ​चौहान के पिता स्वर्गीय संजय सिंह बिजनौर से सांसद रह चुके हैं।

कभी सपा के टिकट पर शुरू किया राजनैतिक सफर अब रालोद का सहारा
2017 में चंदन चौहान खतौली से सपा के टिकट पर चुनाव हारे थे। साल 2022 में सपा-रालोद गठबंधन ने रालोद के सिंबल पर मीरापुर से चुनाव लड़े और विधायक चुने गए। सपा-रालोद गठबंधन टूटा। लेकिन वह रालोद में रहे। पहले उनकी पत्नी यशिका चौहान को चुनाव लड़ाए जाने की चर्चा थी। लेकिन ऐन वक्त पर चंदन चौहान को लोकसभा का प्रत्याशी बनाया गया। रालोद ने उन्हें टिकट दे दिया। इससे चंदन चौहान के समर्थकों में खुशी है। 

गुर्जर और जाट वोट निर्णायक भूमिका में
बिजनौर लोकसभा सीट पर जाट और गुर्जर मतदाता निर्णायक भूमिका में होते हैं। भाजपा की पैठ वाले अति पिछड़ा वर्ग के साथ जाट और गुर्जर वोटर मिलकर मजबूत समीकरण के साथ चंदन चौहान चुनाव मैदान में उतारे गए हैं।

बाबा डिप्टी सीएम, पिता बिजनौर से सांसद
विधायक चंदन चौहान रालोद की युवा इकाई के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। उनके पिता स्वर्गीय संजय चौहान 2009 में बिजनौर लोकसभा सीट से सांसद रहे थे। तब रालोद ने भाजपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था। उनके बाबा स्व. नारायण सिंह प्रदेश के 1979 में उप मुख्यमंत्री रहे हैं। वह मोरना क्षेत्र से विधायक रहे थे। परिसीमन के बाद यह सीट मीरापुर बन गई।

विरासत में मिली राजनीति 
रालोद से विधायक चंदन चौहान को राजनीति विरासत में मिली है। उन्होंने जब से होश संभाला तब से दादा और पिता को राजनीति करते देख बड़े हुए। दादा जब 1979 में प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बने तो पश्चिम यूपी के लिए यह बड़ी बात थी। पहली बार पश्चिम यूपी का कोई नेता उपमुख्यमंत्री बना था। दादा की विरासत को पिता संजय चौहान ने बाखूबी संभाला। उन्होंने राजनैतिक विरासत को आगे बढ़ाते हुए पहले विधायकी जीती उसके बाद बिजनौर के सांसद बने। पिता की मृत्यु के बाद चंदन चौहान ने खानदानी राजनीतिेक विरासत को संभाला। जिन पर आज रालोद ने भरोसा कर बिजनौर का लोकसभा प्रत्याशी बनाया। 

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