बहुजन समाज पार्टी का वोट प्रतिशत पिछले कई चुनावों से गिर रहा है। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस, सपा, रालोद सहित कई दलों का गठबंधन रहा था। इसमें बसपा...
Lok Sabha election : टिकट वितरण में जाति और धर्म साधने के प्रयास में बसपा, पश्चिम में खेलेगी सोशल इंजीनियरिंग का दाव
Mar 09, 2024 10:34
Mar 09, 2024 10:34
- राजनीतिक समीकरण के लिहाज से रणनीति तैयार कर रही बसपा
- 2007 के विधानसभा चुनाव में फिट बैठा था सोशल इंजीनियरिंग दाव
- भाजपा और सपा का राजनैतिक गणित बिगाड़ सकती है बसपा
2007 में सोशल इंजीनियरिंग के बूते सरकार
बसपा ने साल 2007 के विधानसभा चुनाव में सोशल इंजीनियरिंग के बूते उत्तर प्रदेश में सरकार बनाई थी। जिसमें मायावती मुख्यमंत्री बनीं थी। बसपा की सोशल इंजीनियरिंग के बल पर प्रदेश में मायावती को पूर्ण बहुमत मिला था।
राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि बसपा के सोशल इंजीनियरिंग से अन्य सियासी दलों का चुनावी गणित गड़बड़ा सकता है। लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने से पहले बसपा अपने प्रत्याशियों के नामों की सूची जारी कर सकती है। बसपा की इंडिया गठबंधन से करीबी बढ़ने की चर्चाएं भी सुर्खियों में हैं।
सियासी जानकारों की माने तो आचार संहिता लागू होने पर राजनीतिक हलके से चौंकाने वाली जानकारी सामने आ सकती है। आंकड़ों के अनुसार, बहुजन समाज पार्टी का वोट प्रतिशत पिछले कई चुनावों से गिर रहा है। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस, सपा, रालोद सहित कई दलों का गठबंधन रहा था। इसमें बसपा भी शामिल रही थी। 2019 में बसपपा को यूपी में मात्र 10 सीटें हासिल हुई थीं।
इसके बाद 2022 के विधानसभा चुनाव में बसपा की करारी हार हुई थी। बसपपा के गिरते वोट बैंक के लिए मायावती की काडर वोट बैंक दलितों से दूरी को जिम्मेदार ठहराया जा रहा था। चर्चा थी कि बसपा के कुछ सांसद असमंजस के चलते दूसरे दलों के संपर्क में हैं।
बसपा ने नए सिरे से बनाई रणनीति
गिरते वोट बैंक और पार्टी के हालात को देखकर बसपा हाईकमान ने नए सिरे से अपनी रणनीति बनाई है। इन विपरीत हालात में बसपा सुप्रीमो मायावती अब लोकसभा चुनाव को लेकर गंभीर हैं। इसी को ध्यान में रखकर अब बसपा अपने पुराने एजेंडे पर लौट रही है। अब फिर से सोशल इंजीनियरिंग के माध्यम से लोकसभा चुनाव 2024 में उतरने की तैयारी में है।
इन सीटों पर प्रत्याशी चयन में सोशल इंजीनियरिंग का सहारा
लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले बसपा प्रत्याशियों के नामों की सूची जारी कर सकती है। पश्चिम उप्र में बिजनौर, मेरठ, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, बागपत और कैराना लोकसभा सीटों पर प्रत्याशियों के चयन में सोशल इंजीनियरिंग का ध्यान रखा जाएगा। पश्चिम यूपी के कोर्डिनेटर और बसपा राष्ट्रीय महासचिव बाबू मुनकाद अली का कहना है कि सोशल इंजीनियरिंग बसपा की प्राथमिकता है। बसपा सभी जाति धर्म की पार्टी है। उप्र की अधिकतर लोकसभा सीटों के प्रत्याशियों का चयन हो गया है। शीघ्र ही प्रत्याशियों के नामों की पहली सूची जारी की जाएगी।
Also Read
23 Nov 2024 12:34 AM
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में आयोजित मंत्री परिषद की बैठक में नोएडा और ग्रेटर नोएडा के बीच मेट्रो रेल सेवा के विस्तार का महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। और पढ़ें