Meerut Lok Sabha Election 2024 : मेरठ हापुड़ लोकसभा सीट : मुस्लिम और गुर्जर मतदाता हुए एकजुट तो रामायण के राम के लिए भारी पड़ेगी रावण की ससुराल

मेरठ हापुड़ लोकसभा सीट : मुस्लिम और गुर्जर मतदाता हुए एकजुट तो रामायण के राम के लिए भारी पड़ेगी रावण की ससुराल
UPT | मेरठ हापुड़ लोकसभा सीट

Apr 02, 2024 15:04

विधायक अतुल प्रधान के लोकसभा प्रत्याशी बनने के बाद अब मेरठ हापुड लोकसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी रामायण के राम के लिए रावण की ससुराल (मेरठ) को जीतना भारी पड़ सकता है। वरिष्ठ राजनीतिक...

Apr 02, 2024 15:04

Short Highlights
  • गठबंधन ने अतुल प्रधान को टिकट देकर चला गुर्जर दांव
  • मेरठ हापुड़ लोकसभा में करीब छह लाख मुस्लिम मतदाता
  • एक लाख गुर्जर वोट भी लोकसभा चुनाव में होंगे निर्णायक साबित
Meerut Loksabha chunav : मेरठ हापुड लोकसभा सीट पर इस बार मुकाबल फिर से रोचक हो गया है। हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले इस बार लोकसभा चुनाव 2024 में मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में नहीं है। ऐसे में मुस्लिम मतदाताओं के बीच उहापोह की स्थिति है। लेकिन समाजवादी पार्टी ने ऐन मौके पर टिकट बदलकर सरधना से विधायक अतुल प्रधान को मेरठ हापुड लोकसभा चुनाव में उतार दिया है। विधायक अतुल प्रधान के लोकसभा प्रत्याशी बनने के बाद अब मेरठ हापुड लोकसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी रामायण के राम के लिए रावण की ससुराल (मेरठ) को जीतना भारी पड़ सकता है। 
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक डॉ. मनोज का कहना है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत का अंतर मात्र पांच हजार वोटों तक सिमटकर रह गया था। उनका कहना है कि इस बार हालांकि इस बार मुस्लिम प्रत्याशी किसी दल ने नहीं खड़ा किया है। लेकिन कांग्रेस और सपा गठबंधन की ओर कहीं मुस्लिम मतदाता गया तो भाजपा के लिए मेरठ में चौथी बार जीत मुश्किल पड़ सकती है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को जीत बचाए रखने की चुनौती है। वहीं अतुल प्रधान पर जो भरोसा सपा प्रमुख अखिलेश ने किया है उस भरोसे को कायम रखने के लिए कांग्रेस-सपा गठबंधन के लिए जीतोड़ मेहनत करनी होगी। 

जातिगत हिसाब से छांटकर प्रत्याशी उतारे
मेरठ हापुड लोकसभा सीट पर दलों ने जातिगत हिसाब से छांटकर प्रत्याशी उतारे हैं। भाजपा ने हालांकि इस बार अपने पुराने सांसद पर भरोसा नहीं किया है। जबकि सपा ने गुर्जर कार्ड खेला है। सपा को उम्मीद है कि अतुल प्रधान मुस्लिम मतदाताओं में सेंधमारी में सफल होंगे। अगर ऐसा हुआ तो भाजपा के लिए ये काफी मुश्किल पैदा करने वाला होगा। भाजपा ध्रुवीकरण के प्रयास में जुटी है। वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजीव शर्मा के अनुसार, इस बार सभी राजनीतिक दल ध्रुवीकरण के प्रयास में हैं। चुनाव इस बार मेरठ हापुड लोकसभा सीट पर मोदी विरोध और मोदी के समर्थन पर है। 

इसलिए महत्वपूर्ण है मेरठ लोकसभा सीट 
उन्होंने कहा कि भाजपा के अरूण गोविल, वैश्य, ब्राह्मण, ठाकुर, अतिपिछड़ों आदि के सहारे चुनावी मैदान में हैं। सपा प्रत्याशी अतुल प्रधान अब गुर्जर, मुस्लिम और पिछड़ों के सहारे चुनाव जीतने की कोशिश करेंगे। बसपा ने इस बार 2007 वाले अपने पुराने फार्मूले सोशल इंजीयरिंग के बूते मैदान में है। बसपा ने त्यागी समाज के देवव्रत त्यागी को टिकट देकर अगड़े वोटों में सेंधमारी की कोशिश की है। बसपा प्रत्याशी देवव्रत त्यागी का दावा है कि त्यागी समाज के साथ दूसरी बिरादरी पूरी तरह से मोदी के खिलाफ है। मुस्लिम और दलित वर्ग गठबंधन उनके साथ है। उन्हें यह दर्शाने में कोई संकोच नहीं कि वो बड़े अंतर से जीत दर्ज कर सकेंगे। 

2014 में भाजपा एक लाख वोटों के अंतर से जीती थी
मेरठ में कुल पांच विधानसभा हैं। जिसमें से इस समय मेरठ शहर, मेरठ किठौर, सिवालखास सपा के पास हैं। जबकि दो विधानसभा क्षेत्र मेरठ कैंट और मेरठ दक्षिण भाजपा के पास है। 2014 में सभी पांच विधानसभाओं से भाजपा के राजेंद्र अग्रवाल एक लाख वोटों के अंतर से जीते थे। जिसमें मुस्लिम को छोड़कर सारी बिरादरी ने भाजपा पर भरोसा किया था। जबकि दलित वर्ग में जाटव को छोड़कर बाकी अन्य लोगों ने भाजपा को वोट किया था। लेकिन 2019 में समीकरण बदल गए।

भाजपा को मेरठ हापुड़ सीट की जीत हाशिए पर
2019 में भाजपा प्रत्याशी अपनी जीत का अंतर नहीं बढ़ा पाए। यह भी कहा जाता है कि भाजपा को मेरठ हापुड सीट की जीत हाशिए पर मिली। सपा विधायक अतुल प्रधान को टिकट मिलने से सपाइयों में उत्साह है वहीं गुर्जर समाज ने भी अतुल प्रधान के टिकट मिलने पर मिठाइयां बांटी हैं। फलावदा के रामरतन गुर्जर की मानें तो अतुल प्रधान के मैदान में आने से खेल कुछ अलग ही रहने वाला है। लोकसभा चुनाव में इस बार गठबंधन प्रत्याशी अगर गुर्जर, दलित और मुस्लिम समाज को साधने में सफल रहे तो चुनावी नतीजे चौकाने वाले हो सकते हैं। 

ये है मेरठ हापुड़ लोकसभा सीट पर वोटों का गणित 
राजनीतिक विश्लेषक सीपी शर्मा का कहना है कि मेरठ-हापुड़ लोकसभा सीट पर करीब 2.50 लाख वैश्य मतदाता हैं। ठाकुर मतदाताओं की संख्या करीब 65 हजार, ब्राह्मण मतदाता करीब 1.70 लाख, जाट मतदाता करीब 1.25 लाख, गुर्जर मतदाता करीब एक लाख, मुस्लिम मतदाता करीब छह लाख, दलित मतदाता करीब 3.10 लाख, पंजाबी मतदाता 52 हजार, पिछड़े व अन्य करीब पांच मतदाता है। मेरठ हापुड लोकसभा सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 34,44,000 लाख है। इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 18,26,000 लाख और महिला मतदाताओं की संख्या 16,18,000 लाख है। 

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