दशहरा 2024 : धृति योग और श्रवण नक्षत्र में 30 साल बाद मनेगा दशहरा, जानें विजयदशमी और अपराजिता पूजन के खास मुहूर्त

धृति योग और श्रवण नक्षत्र में 30 साल बाद मनेगा दशहरा, जानें विजयदशमी और अपराजिता पूजन के खास मुहूर्त
UPT | दशहरा 2024, विजया दशमी पूजन और शुभ मूहूर्त।

Oct 11, 2024 11:26

दोपहर अभिजीत योग में प्रारम्भ करें राम पूजन का विजयोत्सव त्यौहार। इसमें विजयी राम का चित्र तो रख ही सकते है अथवा धरती पर हल्दी व आटे से भी प्रतीक चित्र बना कर नवरात्रों में बौए हुए जौ जिन्हें नौरते बोलते है सर्वप्रथम भगवान श्रीराम को तिलक करके उनके दांय कान में सुशोभित करें।

Oct 11, 2024 11:26

Short Highlights
  • इस बार 12 अक्टूबर को नवमी और दशमी तिथि एक ही दिन
  • नवरात्र में देवी प्रतिमा विसर्जन दोपहर 12 बजे तक रहेगा
  • इसे बाद धृति योग में मनाया जाएगा दशहरा 2024 
Dussehra 2043, Dussehra Puja Vidhi, Dussehra Muhurat : इस बाद 12 अक्टूबर दिन शनिवार नवमी तिथि व दशमी तिथि एक साथ होने से 12 अक्टूबर को दोपहर 11:00 बजे तक नवरात्रि का पूजन, विसर्जन करने के बाद 12:00 बजे के बाद धृति योग व श्रवण नक्षत्र में विजयदशमी, दशहरा, जया, विजया, अपराजिता पूजन के योग हैं। इस बार धृति योग और श्रवण नक्षत्र में दशहरा 30 साल बाद लग रहा है। 

ये है नवमी और दशहरा पूजन का शुरू मुहूर्त , नवमी पूजन व नवरात्रि विसर्जन मुहूर्त

शुभ मुहूर्त प्रातः 07:47 से 09:13 तक
अशुभ निषेध राहू काल प्रात: 09:14 से 10:40 तक 



दशहरा पूजन मुहूर्त 
अभिजित मुहूर्त  -      11:44   12:30 तक 
लाभामृत योग  -  01:34   03:00 तक

​पंडित भारत भूषण के अनुसार वैसे तो सूर्योदय के समय जो तिथि होती है ज्योतिषीय दृष्टि से पूरे दिन वो ही तिथि मानी जाती है। इस वर्ष 12 अक्टूबर को सूर्योदनी तिथि नवमी तिथि है जो 11:00 तक रहेगी और दशमी तिथि 11:00 बजे से प्रारंभ हो रही है, विजय दशमी की पूजा दोपहर 12:00 बजे के लगभग अभिजीत योग में की जाती है. इस प्रकार विजय दशमी और दशहरा 12 अक्टूबर को ही मनाया जायेगा तथा अपराजिता देवी का पूजा संध्या समय किया जायेगा और रावण दहन इत्यादि का संध्या पश्चात रात्रि में किया जायेगा। 
इस प्रकार दशमी तिथि दशहरे पर जिसमें विजयी राम के पूजा के साथ आयुध, अस्त्र शस्त्र की पूजन का भी विशेष महत्व हो जाता है। नवरात्र समाप्ति के बाद सरस्वती विसर्जन एवं अन्य पूजन सामग्री के विसर्जन का समय भी दोपहर 12:00 बजे तक होता है। इस प्रकार विजयदशमी को हर्ष व उल्लास पूर्वक बुराई पर अच्छाई के रूप में खासतौर से मनाया जायेगा।  

ऐसे करें अपराजिता पूजन 
गऊधूलि संध्या के समय शाम 5 बजकर 32 मिनट से शाम 6 बजकर 17 मिनट के मध्य एक थाली जैसे पात्र में बीच में ऊपर की और अपराजिता देवी लिखें अथवा उनका भित्ती चित्र लाल रोली से अनामिका उंगली से बनाये तथा उनके दांयी ओर जया देवी और बांयी ओर विजया देवी उल्लेखित करें। अपने घर से पश्चिम की और अपनी कालौनी, मौहल्ला, ग्राम जैसी भी स्थिति हो पार करके किसी भी मंदिर में हल्दी, चावल, फूल, धूप, दीप से पश्चिम की और मुख करके निम्न मंत्रों से पूजन करें “ऊँ अपराजितायै नमः, ऊँ जयायै नमः, ऊँ विजयायै नमः” तथा अपने शुभ कार्यो में सफलता व विजय का वरदान मांगे तथा पात्र वही छोड आयें। इस प्रकार पूरे वर्ष अशुभताओं पर शुभताओं को विजय के कामों की सफलताओं सहित योग बनाते है।

विजयदशमी पर निम्न करें विशेष 
दोपहर 11:58 से 12:37 
- दोपहर अभिजीत योग में प्रारम्भ करें राम पूजन का विजयोत्सव त्यौहार। इसमें विजयी राम का चित्र तो रख ही सकते है अथवा धरती पर हल्दी व आटे से भी प्रतीक चित्र बना कर नवरात्रों में बौए हुए जौ जिन्हें नौरते बोलते है सर्वप्रथम भगवान श्रीराम को तिलक करके उनके दांय कान में सुशोभित करें।
- श्रीराम के चरणों में आटे की बनी लोई 10 की संख्या में रखें जो 10 महाविद्याओं का प्रतीक है ही, दशानन के दस शीशों का भी प्रतीक है। दसों दिशाओं को पूज्ति करने के लिए इन दसों आटों की लोई पर हल्दी का तिलक आदि से शोभित कर नौरते रखें।
- पूजन पश्चात भगवान श्रीराम की विजयगाथा तथा विजयदशमी के महत्व का वर्णन पूरे परिवार के सम्मुख करें।   
-  तत्पश्चात् लेखा-बहीयों का पूजन करते हुए हिसाब किताब मोटेतौर पर परख लें तथा प्रमुख दैनिक उपयोग में आने वाली वस्तुओं के बाजार भाव भी लिखें। इस प्रक्रिया से बढ़ती महंगाई के अनुरूप आपकी आय बढने के योग भी बन सकेंगे।
- पूरे परिवार के सदस्यों को हाथों की कलाईयों में शुभ कलावा बांध कर तिलक से सुशोभित करें।
- अस्त्र, शस्त्र व वाहन इत्यादि पूजन के पश्चात् बूंदी के लड्डू व दही का भोग अन्य मिष्ठान ऋतु फलों के साथ लगायें तथा घर का प्रमुख व्यक्ति दही में लड्डू भिगो कर सभी को प्रसाद आर्शीवाद के रूप में वितरण करें तथा अशुभताओं पर शुभताओं की विजय पर एक दूसरे को शुभकामनायें दें।
- संध्या समय अपराजिता, जया, विजया देवीयों का ध्यान पूजन अवश्य करें ताकि पा सकें विजय नकारात्मक ऊर्जाओं पर और संचार कर सकें जीवन में सकारात्मक ऊर्जाओं का।

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