Meerut News : हरियाणा में जल रही पराली से पश्चिम यूपी की हवा हुई जहरीली

हरियाणा में जल रही पराली से पश्चिम यूपी की हवा हुई जहरीली
UPT | खेतों में पराली जलाने

Oct 15, 2024 07:37

पराली पश्चिम उत्तर प्रदेश की आबोहवा खराब करने के बड़े कारणों में एक है। हरियाणा के खेतों से निकलने वाला पराली का धुआं हवा को जहरीला बनाने लगा है। पराली जलाने की सबसे ज्यादा मामले 15 अक्टूबर से 30 नवंबर के बीच होते हैं।

Oct 15, 2024 07:37

Short Highlights
  • इस बार भी दमघोंटू प्रदूषण के लिए रहिए तैयार
  • खोखले साबित हो रहे जीरो फॉर्म फायर दावे
  • अक्टूबर और नवंबर में पराली जलाने की घटनाएं
Meerut News : हर साल की तरह इस बार भी हरियाणा के खेतों में पराली जलाने का सिलसिला शुरू हो गया है। पराली जलने से निकलने वाला धुआं पश्चिम उत्तर प्रदेश की हवा को जहरीली बना रहा है। इस माह दिवाली और है। धान की कटाई शुरू हो चुकी है। ऐसे मौसम में पश्चिम उत्तर प्रदेश और दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की परत गहराने लगी है।

पराली पश्चिम उत्तर प्रदेश की आबोहवा खराब करने के बड़े कारणों में एक
पराली पश्चिम उत्तर प्रदेश की आबोहवा खराब करने के बड़े कारणों में एक है। हरियाणा के खेतों से निकलने वाला पराली का धुआं हवा को जहरीला बनाने लगा है। पराली जलाने की सबसे ज्यादा मामले 15 अक्टूबर से 30 नवंबर के बीच होते हैं। इसी दौरान दीपावली होती है अक्टूबर में हवा की गति बहुत धीमी होती है। पराली और दिवाली का धुआं दोनों ही वायु प्रदूषण की स्थिति को खतरनाक बनाते हैं। लगभग दो महीने लोग इस पराली के धुएं के चलते प्रदूषित हवा में सांस लेने को मजबूर होते हैं।
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग की रिपोर्ट बताती है कि एक टन पराली जलने से सैकड़ों किलो जहरीली गैसें और कण हवा में घुलते हैं, जो दिल्ली की सांसों को धीमा जहर दे रहे हैं।

तीन किलो पार्टीकुटे मैटर, दो किलो सल्फर 
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक एक मीट्रिक टन पराली जलाने से 3 किलो पार्टीकुलेट मैटर, दो किलो सल्फर डाई ऑक्साइड, 60 किलो कार्बन मोनो ऑक्साइड और 1460 किलो कार्बन डाइऑक्साइड निकलती है। रिपोर्ट के मुताबिक हरियाणा में हर साल धान के अवशेष के तौर पर लगभग 27 मिलियन टन पराली निकलती है। सेंटर फॉर साइंस एंड इनवायरमेंट में लम्बे समय से वायु प्रदूषण पर काम कर रहे मेरठ निवासी नवीन प्रधान कहते हैं कि अक्टूबर माह शुरू होते ही पराली जलाए जाने की घटनाएं बढ़ने लगी हैं। सेटेलाइट से प्राप्त चित्रों में तेजी से बढ़ते पराली जलाने को मामलों को साफ तौर पर देखा जा सकता है। उत्तर पश्चिमी हवाओं का चलना शुरू होगा। ऐसे में मेरठ और पूरे एनसीआर की हवा में पराली की धुआं भर जाएगा।

प्रदूषण में पराली का योगदान 30 प्रतिशत 
पराली जलाए जाने के समय प्रदूषण में पराली के धुएं की औसत हिस्सेदारी 30 प्रतिशत तक रहती है। इसके बाद प्रदूषण का दूसरा बड़ा कारण गाड़ियों का धुआं रहता है। समय रहते पराली जलाए जाने के मामलों में लगाम लगाने के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और निकटवर्ती क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को सख्त कदम उठाने होंगे। उन्हें किसानों को जागरूक करने के साथ ही हरियाणा और एनसीआर में आने वाले राजस्थान और उत्तर प्रदेश के हिस्सों में प्रशासन के साथ मिल कर काम करने की जरूरत है।

Also Read

मत्स्य पालकों की आय बढ़ाएगी सरकार, करना होगा आनलाइन आवेदन

15 Oct 2024 08:42 AM

गाजियाबाद Ghaziabad News : मत्स्य पालकों की आय बढ़ाएगी सरकार, करना होगा आनलाइन आवेदन

समिति में तीन सदस्य अनुसूचित जाति तथा छह महिला सदस्य होना आवश्यक है। समिति के सचिव की शैक्षिक योग्यता इण्टरमीडिएट होना आवश्यक है। कोई भी सदस्य एक ही समिति का सदस्य हो सकता है और पढ़ें