Meerut News : पैतृक संपत्ति से जुड़े विवाद हमेशा के लिए होंगे खत्म, अदालतों से मिलेगी मुक्ति

पैतृक संपत्ति से जुड़े विवाद हमेशा के लिए होंगे खत्म, अदालतों से मिलेगी मुक्ति
UPT | मेरठ।

Jul 17, 2024 03:03

इस पर 30 प्रतिशत की छूट के बाद भी करीब 50 लाख रुपए का स्टांप देना ही होगा। यहीं कारण है कि भारी भरकम स्टांप डयूटी की वजह से पैतृक संपत्ति के विवाद खत्म नहीं होते।

Jul 17, 2024 03:03

Short Highlights
  • स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग इस पर काम कर रहा 
  • स्टांप एवं पंजीयन के नियम 45 व 48 में बदलाव पर विचार 
  • पैतृक संपत्ति के बंटवारे की प्रक्रिया काफी जटिल 
Meerut News : प्रदेश में पैतृक संपत्ति से जुड़े विवादों को हमेशा के लिए खत्म करने की तैयारी चल रही है। लोगों की सहूलियत और कचहरी की भागदौड़ से बचाने के लिए स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग इस पर काम कर रहा है। सब कुछ ठीक रहा और स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग का प्रस्ताव पास हुआ तो एक लाख से अधिक संपत्ति विवाद एक झटके में खत्म हो जाएंगे।

रजिस्ट्री शुल्क में केवल 30 प्रतिशत की छूट
पैतृक संपत्ति के सुविधाजनक और न्यूनतम शुल्क में बंटवारे के लिए स्टांप एवं पंजीयन के नियम 45 व 48 में बदलाव पर विचार हो रहा है। इसके तहत चार या इससे अधिक की पीढियों की स्वामित्व वाली संपत्ति के सर्किल रेट घटाकर स्टांप शुल्क को न्यूनतम या फिक्स करने की तैयारी है। वर्तमान में पैतृक संपत्ति के बंटवारे के मामले में बाजार दर पर रजिस्ट्री शुल्क में केवल 30 प्रतिशत की छूट मिलती है। यानी किसी पैतृक संपत्ति की कीमत सर्किल रेट के हिसाब से दस करोड़ रुपए है तो बाजार पर रजिस्ट्री कराने पर 70 लाख रुपए का स्टांप लगेगा। इस पर 30 प्रतिशत की छूट के बाद भी करीब 50 लाख रुपए का स्टांप देना ही होगा। यहीं कारण है कि भारी भरकम स्टांप डयूटी की वजह से पैतृक संपत्ति के विवाद खत्म नहीं होते।

पैतृक संपत्ति के बंटवारे की प्रक्रिया आसान करने की तैयारी
पैतृक संपत्ति के बंटवारे की प्रक्रिया काफी जटिल है। तहसील स्तर पर वरासत रजिस्टर बनवाना एक बड़ी  चुनौती है। वरासत रजिस्टर बनवाने के दौरान सभी साझेदारों का एक साथ आना मुश्किल रहता है। आ भी गए तो अधिकारी का उपलब्ध होना जरूरी नहीं है। वरासत में नाम दर्ज कराने में काफी समय लगता है। इसके बाद भारी भरकम स्टांप शुल्क के कारण आपस में विवाद इसलिए हो जाते हैं कि कौन इसे अदा करेगा। 90 प्रतिशत मामलों में संपत्ति का उपयोग न करने वाले या बाहर रहने वाले साझेदार इसी आधार पर स्टांप शुल्क अदा करने से मना करते हैं। मामला अदालत जाने के बाद सिविल से जुड़े विवाद खत्म होने में दशकों लग जाते हैं। 

गिफ्ट डीड की तरह न्यूनतम शुल्क पर विचार
पैतृक संपत्ति विवाद से जुड़े सारे झंझट खत्म कर गिफ्ट डीड की तरह न्यूनतम शुल्क निर्धारित करने पर शासन विचार कर रहा है। इसके तहत पैतृक संपत्ति से जुड़े लोग एक साथ रजिस्ट्री आफिस आएंगे। शपथपत्र के साथ मामूली शुल्क भरेंगे। कैबिनेट में प्रस्ताव पास होने के बाद महज दस मिनट में पैतृक संपत्ति के विवाद खत्म होंगे। गौरतलब है कि गिफ्ट डीड के अंतर्गत महज पांच हजार रुपए में रक्त संबंधों में संपत्ति दान करने का ऐतिहासिक फैसला राज्य सरकार ने लिया था।

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