गंगा दशहरा के पुनीत अवसर पर मिर्जापुर के प्रमुख गंगा घाटों पर भक्तों का जनसैलाब उमड़ पड़ा था। भक्त तड़के चार बजे भोर से ही खासकर महिलाएं परिवार और बच्चो के साथ गंगा स्नान करने घर से निकल पड़ी थी।
Mirzapur News : गंगा दशहरा के अवसर पर घाटों पर भक्तों का उमड़ा जनसैलाब, जानिए गंगा स्नान दान और पूजन का विशेष महत्व
Jun 17, 2024 02:23
Jun 17, 2024 02:23
गंगा में बारह डुबकी लगाकर स्नान करने का प्रावधान
आज के दिन ही धरती पर गंगा मैया का अवतरण हुआ था, तब से लेकर आज तक भक्त इसको गंगा दशहरा पर्व के रूप में मनाते है आज के दिन गंगा में बारह डुबकी लगाकर स्नान करने का प्रावधान बताया गया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार अपने पूर्वजों को शाप-मुक्त करने के लिए राजा भगीरथ की तपस्यासे अभिभूत होकर देवाधिदेव महादेव ने गंगा को धरती पर भेजा था। भीषण ग्रीष्म ऋतु में गंगा का धरती पर अवतरण ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को हुआ था। इस उपलक्ष्य में सनातन धर्मी इसे गंगा दशहरा का पर्व अत्यंत आस्था के साथ मनाते है। आज के दिन गंगा-स्नान, पूजन एवं दान का विशेष महत्व बताया गया है। इससे दस पाप नष्ट होते हैं और दसों दिशाओं से दैवीक कृपा प्राप्त होती है।
हर-हर गंगे का जाप करना चाहिए
ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष के दशमी तिथि गंगा दशहरा के अवसर पर हस्त नक्षत्र में स्नान का योग उत्तम है। इस दिन मध्याह्न 12 बजकर 56 मिनट तक हस्त नक्षत्र है। अतः ब्रह्म मुहूर्त से लेकर इस समय तक गंगा स्नान, पूजन एवं दान उत्तम और अधिक फलदायी है। आज के दिन घर से स्नान के लिए निकलते ही 'हर-हर गंगे का मानसिक जाप करना चाहिए। साथ ही इस दिन गंगा में 12 डुबकी अवश्य लगानी चाहिए। गंगा स्नान में तीन पांच, सात और बारह डुबकी विधान है जो धर्मग्रन्थों में रचित है। यह ग्रीष्म ऋतु है इसलिए 12 डुबकी श्रेष्ठ है। इसके अलावा बहते हुए जल में जिस दिशा से जल प्रवाहित हो रहा हो, उसी दिशा में मुंह करके स्नान करना चाहिए। सम्पूर्ण भारत वर्ष में नदियों को मां का दर्जा दिया गया है, अलग अलग नदियों को भिन्न भिन्न नाम है। इसलिए मां की ओर उन्मुख होना श्रेष्ठ माना गया है। बहते हुए जल की धारा का सीधा स्पर्श आज्ञा चक्र पर होता है। जो बौद्धिक क्षमता की वृद्धि में सहायक सिद्ध होता है। गंगा दशहरा के दिन गंगा में डुबकी लगाने के पश्चात यथा संभव कोशिश करनी चाहिए कि शरीर पर ही जल सूख जाए। उसे पोछना नहीं चाहिए। गंगा का पानी अमृत माना गया है, गर्मी ऋतु में मानव के शरीर में भिन्न भिन्न प्रकार के फुंसी दाना या कुष्ठ रोग हो जाता है जो गंगा का जल व्यक्ति को निरोग होने में सहायक होता है, गंगा का पवित्र अमृत जल शरीर के रोम-रोम से शरीर के सूक्ष्म द्वार से अंदर जाए, इसलिए जल का शरीर पर ही सूखना उत्तम है।
इन दस चीजों को मिलाकर करना चाहिए पूजन
दशमी तिथि होने की वजह से गंगा तट पर पूजन करना चाहिए। संभव हो तो फल, फूल, दूब, दीप, दुग्ध, घी, दही, मिष्ठान और द्रव्य मिलाकर दस की संख्या हो जाए। धर्मग्रन्थों में दस बार गंगा-स्तोत्र पाठ करने का विधान माना गया है। इससे जीवन संग्राम में संघर्ष करने की ऊर्जा और प्रेरणा मिलती है। जो स्तोत्र नहीं पढ़ सकते उन्हें कम से कम दस बार 'ऊँ नमः शिवाय शुभं शुभं कुरु कुरु शिवाय नमः ऊँ' का जप करना चाहिए। गायत्री मंत्र का जप करना फलित माना गया है। चूंकि दशमी तिथि को गायत्री जयंती है, अतः भगवान भास्कर को जल अर्पित कर उनका जप करना लाभदायी है। सूर्य को अर्घ्य देने का सर्वाधिक फलदायी समय जब तक सूर्य की लालिमा प्रज्वलित रहे, गंगा दशहरा चूंकि राजा भगीरथ द्वारा लोकहित में की गई कठिन तपस्या का फल स्वरूप माना जाता है। जिसे हम पर्व के रूप में मनाते है, अतः इस दिवस को प्रत्येक व्यक्ति को लोकहित में कार्य का संकल्प लेना चाहिए। दशहरा के दिन दान का विधान है। सत्पात्र को दिया गया दान ही पुण्य तथा यश को प्रदान करता है। दान में वस्तु से ज्यादा श्रेष्ठ दान आत्मबल का दान माना गया है।
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