सोनभद्र जिले में ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते प्रकोप से बचने के लिए बड़ी योजना तैयार की जा रही है। जहां हानिकारक गैस कार्बन डाइऑक्साइड को नियंत्रित करने के लिए एनटीपीसी विंध्याचल सोनभद्र और सिंगरौली के बॉर्डर पर कार्बन कैप्चर प्लांट स्थापित करेगा।
एनटीपीसी का ग्लोबल वार्मिंग से निपटने का प्लान : कैप्चर प्लांट में कार्बन डाइऑक्साइड को किया जाएगा परिवर्तित, एश भी जाएगी विदेश
Feb 23, 2024 17:28
Feb 23, 2024 17:28
यह है पूरी प्लानिंग
सोनभद्र और एमपी सिंगरौली के बॉर्डर पर स्थित एनटीपीसी विंध्याचल पावर प्लांट बिजली का सर्वाधिक उत्पादन करने वाली पावर परियोजना है। इस परियोजना के तहत पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्बन कैप्चर प्लांट की स्थापना की जा रही है। जहां बिजली उत्पादन से निकलने वाली हानिकारक उत्सर्जित कार्बन डाइऑक्साइड गैस को मेथेनॉल में परिवर्तित किया जाएगा। इस मेथेनॉल गैस का प्रयोग पावर प्लांट के बॉयलर में किया जाएगा। परियोजना के कार्यकारी निदेशक ई. सत्यफनी कुमार ने बताया कि मेथेनॉल के प्रयोग से कार्बन के उत्पादन को कम करके ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से निपटने का प्रयास किया जाएगा। इसके साथ ही विंध्याचल थर्मल पावर प्लांट बिजली उत्पादन में निकली राख (एश) को विदेशों में भी सप्लाई करने का प्रयास कर रहा है। उत्पादित राख को समुद्र के रास्ते दुबई भेजने की योजना पर भी कार्य किया जा रहा है।
कार्बन कैप्चर प्लांट में बनेगी मेथेनॉल
सोनभद्र जिले की सीमा से सटे हुए विंध्याचल पावर प्लांट के कार्यकारी निदेशक ई. सत्यफणी कुमार ने प्रेस वार्ता के दौरान बताया कि एनटीपीसी विंध्याचल पावर प्लांट सर्वाधिक सस्ती बिजली, लगभग डेढ़ रुपया प्रति यूनिट के हिसाब से उत्पादन करता है। उन्होंने कहा कि परियोजना में एक कार्बन कैप्चर प्लांट की स्थापना की जा रही है। इस प्लांट की स्थापना करने वाला विंध्याचल पावर प्लांट देश का पहला पावर संयंत्र है। यह कार्बन कैप्चर तीन स्टेज में काम करेगा। इसकी शुरुआत एक वर्ष पहले हो चुकी है, जहां 20 टन CO2 प्रतिदिन प्लांट द्वारा कैप्चर की जा रही है। इसी के तहत हाईड्रोजन प्लांट की मदद से प्रतिदिन 10 टन मेथेनॉल उत्पादित किया जाएगा। उत्पादित मेथेनॉल का प्रयोग पावर प्लांट के बॉयलर में किया जा सकता है। इसके अन्य उपयोग भी शामिल हैं। दुनियाभर में ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिए कार्बन डाइऑक्साइड के उत्पादन को रोकने का प्रयास किया जा रहा है। पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कार्बन डाइऑक्साइड से मेथेनॉल बनाना एक सही कार्य है।
प्लांट से निकलने वाली राख का होगा समाधान
विंध्याचल पावर प्लांट के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर ई. सत्यफनी कुमार ने बताया कि रिहंद जलाशय के आसपास लगभग 20,000 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है। यहां पर बिजली उत्पादन के बाद निकलने वाली राख के डिस्पोजल की बहुत बड़ी समस्या है। इसके लिए हम प्रयास कर रहे हैं कि इसके तहत हम समुद्र के रास्ते से इस एश या राख को दुबई भेजने की कोशिश करेंगे, जहां से डिमांड भी आई है। इससे हम राख के डिस्पोजल का सही प्रयोग कर पाएंगे।
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