सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के अंतर्गत कथा व्यास माधवाचार्य (महेश देव पांडेय) जी ने श्रीमद् भागवत पुराण में वर्णित कथा भक्तों को सुनाते हुए कहा कि -"11 वां अवतार मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम का हुआ…
Sonbhadra News : सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का हुआ समापन
May 23, 2024 19:06
May 23, 2024 19:06
- मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का सोनभद्र से रहा संबंध
- विंध्य पर्वत पर अवस्थित चुनार किले से भगवान श्री कृष्ण ने 16000 राजकुमारी को मुक्त कराया था
- श्रीमद् भागवत पुराण कथा के अंतिम दिन भक्तगणों ने हवन में दी आहुति
Sonbhadra News : रॉबर्ट्सगंज नगर के उत्तर मोहाल स्थित मां शीतला धाम के पास पुरोहित पंडित अनिल पांडेय के संयोजन, संगीतकार अरविंद पाठक, भोला उपाध्याय, गिरवर पांडेय, अनिल दुबे, उमेश जी के गायन, वादन में मुख्य यजमान मोतीलाल सोनी, ललिता देवी के नेतृत्व में चल रहे सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के अंतर्गत कथा व्यास माधवाचार्य (महेश देव पांडेय) जी ने श्रीमद् भागवत पुराण में वर्णित कथा भक्तों को सुनाते हुए कहा कि -"11 वा अवतार मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम का हुआ जिनका संबंध वर्तमान सोनभद्र से रहा है। वनागमन के समय विंध्य पर्वत को पार कर सोनभद्र के मार्ग से दक्षिण दिशा की ओर गए थे।
भगवान श्री कृष्णा ने चुनार किले में बंदी 16000 राजकुमारियों को मुक्त कराया था
मध्वाचार्य जी ने 12वें अवतार श्री कृष्ण के चरित्र एवं लीला का वर्णन करते हुए कहा कि- भगवान श्री कृष्णा ने चुनार किले में बंदी 16000 राजकुमारियों को मुक्त कराया था। इन राजकुमारी ने भगवान श्रीकृष्ण को अपना पति मान लिया, भगवान ने महारास का आयोजन किया। इसके लिए शरद पूर्णिमा की रात को यमुना नदी के तट पर गोपियों को मिलने के लिए कहा, सभी गोपियां सोलह श्रृंगार कर यमुना तट पर पहुंची श्रीकृष्ण की बांसुरी की धुन सुनकर सभी गोपियां अपना सुध-बुध खो बैठी एवं श्री कृष्ण के महारास में भाग लिया। ऐसा माना जाता है कि वृंदावन स्थित निधिवन ही वह स्थान है, जहां श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था यहां भगवान ने एक अद्भुत लीला दिखाई, जितनी गोपियां उतने ही श्रीकृष्ण के प्रतिरूप प्रकट हो गए। सभी गोपियों को उनके कृष्ण मिल गये और दिव्य नृत्य व प्रेमानंद शुरू हुआ।
भगवान श्री कृष्ण एवं रुक्मणी के विवाह प्रसंग पर चर्चा करते हुए कहा कि-" भगवान श्रीकृष्ण ने सभी राजाओं को हराकर विदर्भ की राजकुमारी रुक्मिणी को द्वारिका में लाकर उनका विधिपूर्वक पाणिग्रहण किया। कथा के साथ-साथ संगीतमय भजन, आरती हवन में प्रतिभा देवी, रीना गुप्ता, गुलाबी देवी, आशा देवी, माधुरी, अंजू,चंदन सोनी, सन्नू सोनी, सहित सभी भक्तों ने भाग लिया ।
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