मौके पर पहुंचे ग्रामीणों ने मिलकर गुलदार को भगाने का प्रयास किया। गुलदार कुछ ही दूरी पर स्थित बाजरे के खेत में चला गया। इसके बाद सभी किसान अपने-अपने घर लौट आए। अगले दिन सुबह बाजरे के खेत में एक आधा खाया हुआ गौवंश का शव मिला...
Bijnor News : गुलदार के आतंक से ग्रामीण परेशान, गांव में कोई नहीं सुरक्षित
Jun 14, 2024 22:36
Jun 14, 2024 22:36
ग्रामीणों की त्वरित प्रतिक्रिया
मौके पर पहुंचे ग्रामीणों ने मिलकर गुलदार को भगाने का प्रयास किया। गुलदार कुछ ही दूरी पर स्थित बाजरे के खेत में चला गया। इसके बाद सभी किसान अपने-अपने घर लौट आए। अगले दिन सुबह बाजरे के खेत में एक आधा खाया हुआ गौवंश का शव मिला। किसानों ने बताया कि पास के खेत में दो गौवंश चर रहे थे, जिनमें से एक को गुलदार ने मार दिया।
दूसरी रात का खौफनाक मंजर
गुरुवार की रात को भी गुलदार ने फिर उसी बाजरे के खेत में आकर अपनी दहशत दिखाई। ग्रामीणों ने उसे फिर से देखा और उनकी दहशत और भी बढ़ गई। गुलदार की इस गतिविधि ने गांव में भय का माहौल पैदा कर दिया है।
वन विभाग से सहायता की मांग
ग्रामीणों ने वन विभाग से तुरंत इस समस्या का समाधान करने की मांग की है। विनीत कुमार, पुनीत कुमार, नितिन, राजीव कुमार, गौरव चौहान, प्रसून चौहान और अन्य ग्रामीणों ने एक साथ आकर इसकी शिकायत वन विभाग से की और जल्द से जल्द गुलदार को पकड़कर किसानों को राहत देने की अपील की है। ग्रामीणों का कहना है कि गुलदार की उपस्थिति से उनके जीवन और पशुओं की सुरक्षा खतरे में है।
गुलदार के आतंक का कारण और समाधान
गुलदार का गांव में आना और पशुओं को मारना संकेत देता है कि जंगलों में भोजन की कमी या पर्यावरण का नुकसान हुआ है, जिसके चलते गुलदार मानव बस्तियों की ओर आ रहे हैं। इस समस्या से निपटने के लिए वन विभाग को तुरंत कार्रवाई करते हुए गुलदार को पकड़ने के लिए एक विशेषज्ञ टीम भेजनी चाहिए। साथ ही, ग्रामीणों को भी जागरूक किया जाना चाहिए कि वे गुलदार के साथ कैसे व्यवहार करें और खुद को सुरक्षित रखें। वन विभाग द्वारा स्थापित एक आपातकालीन हेल्पलाइन भी ग्रामीणों की मदद कर सकती है।
ग्रामीणों की सुरक्षा
गुलदार के खतरे को देखते हुए ग्रामीणों को रात के समय सतर्क रहने की सलाह दी जाती है। खेतों में अकेले काम करने से बचें और समूह में काम करें। बच्चों और पालतू जानवरों को सुरक्षित स्थान पर रखें। रात के समय टॉर्च और अन्य रोशनी उपकरण साथ रखें ताकि अंधेरे में किसी भी गतिविधि को पहचाना जा सके।
पिछले घटनाक्रम और वन्यजीवों का संरक्षण
धामपुर और उसके आस-पास के क्षेत्र वन्यजीवों की गतिविधियों के लिए जाने जाते हैं। पहले भी ऐसे मामले सामने आए हैं जब वन्यजीवों ने ग्रामीण इलाकों में प्रवेश किया है। इससे न केवल मानव जीवन को खतरा होता है बल्कि वन्यजीवों की भी सुरक्षा प्रभावित होती है। वन्यजीव संरक्षण के लिए स्थानीय समुदायों का सहयोग महत्वपूर्ण है।
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