मुरादाबाद में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर एक विवादास्पद बयान सामने आया है। समाजवादी पार्टी की सांसद रुचि वीरा ने पुलिस द्वारा किए गए एनकाउंटर और सरकार की बुलडोजर नीति पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
सपा सांसद रुचि वीरा का विवादास्पद बयान : अतीक के बेटे का एनकाउंटर करने वालों का सम्मान बताया शर्मनाक, बुल्डोजर नीति पर भी उठाए सवाल
Aug 15, 2024 21:35
Aug 15, 2024 21:35
एनकाउंटर करने वालों का सम्मान बताया शर्मनाक
रुचि वीरा ने मीडिया से बातचीत में कहा, "यह अत्यंत दुखद है कि हमारे देश में कानून व्यवस्था की स्थिति इतनी बिगड़ गई है कि पुलिस को एनकाउंटर जैसे कदम उठाने पड़ रहे हैं। और फिर इन कार्रवाइयों के लिए उन्हें सम्मानित किया जा रहा है। यह लोकतंत्र के लिए शर्मनाक स्थिति है।" उन्होंने अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ की हत्या का भी जिक्र किया। सांसद ने कहा, "यह किसी से छिपा नहीं है कि अतीक और अशरफ की हत्या किन परिस्थितियों में हुई। सैकड़ों पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में उनकी हत्या कर दी गई। क्या यही हमारे लोकतंत्र का चेहरा है?"
बुलडोजर नीति पर भी उठाए सवाल
रुचि वीरा ने सरकार की बुल्डोजर नीति पर भी तीखी टिप्पणी की। उन्होंने कहा, "यह कैसा लोकतंत्र है जहां बुल्डोजर नीति से सरकार चलाई जा रही है? सरकार को समझ लेना चाहिए कि अब यह नीति नहीं चलेगी। लोग जागरूक हो रहे हैं और वे अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाएंगे।" सांसद ने यह भी कहा कि अगर पुलिसकर्मियों को किसी अच्छे काम के लिए सम्मानित किया जाता तो यह समझ में आता। लेकिन एनकाउंटर जैसी कार्रवाइयों के लिए सम्मान देना उचित नहीं है। उन्होंने कहा, "हम सभी जानते हैं कि एनकाउंटर किस तरह किए जाते हैं। यह न्यायिक प्रक्रिया का उल्लंघन है और इसे किसी भी तरह से प्रोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए।"
अतीक के बेटे का किया गया था एनकाउंटर
गौरतलब है कि 13 अप्रैल, 2023 को झांसी में अतीक अहमद के बेटे असद और शूटर मोहम्मद गुलाम को पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया था। इस एनकाउंटर में शामिल STF की टीम के 6 सदस्यों सहित कुल 17 पुलिस अधिकारियों को राष्ट्रपति का वीरता पदक दिया गया है। यह घटना उस समय हुई थी जब अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ पुलिस कस्टडी में थे। कुछ दिनों बाद, अतीक और अशरफ की भी हत्या कर दी गई थी। रुचि वीरा के इस बयान ने एक बार फिर कानून व्यवस्था, पुलिस कार्रवाई और सरकारी नीतियों पर बहस छेड़ दी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस विवाद पर सरकार और अन्य राजनीतिक दल क्या प्रतिक्रिया देते हैं।
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