मुरादाबाद के नागफनी थाना क्षेत्र में गौरी शंकर मंदिर को लेकर की गई शिकायत के बाद एसडीएम की टीम ने मौके पर पहुंचकर सफाई करवाई। मलबे में से खंडित मूर्तियां बरामद हुईं। शिकायतकर्ता सेवाराम ने इसे अपने पुश्तैनी मंदिर का दावा किया था।
संभल के बाद मुरादाबाद में खुदाई : सौ साल पुराने गौरी शंकर मंदिर में खंडित मूर्तियां मिलीं, दंगों में हो गई थी पुजारी की हत्या
Dec 30, 2024 20:31
Dec 30, 2024 20:31
शिकायत और आरोप
सेवाराम नामक व्यक्ति ने एक हिंदू संगठन के साथ मिलकर जिलाधिकारी (डीएम) और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) को एक शिकायती पत्र सौंपा। इसमें उन्होंने दावा किया कि नागफनी थाना क्षेत्र के झब्बू का नाला इलाके में स्थित मुस्लिम बस्ती में एक प्राचीन गौरी शंकर मंदिर मौजूद है। सेवाराम ने आरोप लगाया कि यह मंदिर उनके परदादा स्वर्गीय भीमसेन ने करीब 100 साल पहले बनवाया था, 1980 के मुरादाबाद दंगों के दौरान हालात बिगड़ने पर उनके परदादा की हत्या कर दी गई, जिससे उनका परिवार इस इलाके से पलायन कर गया और मुरादाबाद के लाइन पार क्षेत्र में बस गया। सेवाराम ने बताया कि वर्षों से उन्होंने मंदिर पर वापस जाने की कोशिश की, लेकिन हर बार मुस्लिम समुदाय के लोगों ने उन्हें डरा-धमका कर भगा दिया।
कड़ी सुरक्षा के बीच शुरू हुई खुदाई
जानकारी के मुताबिक झब्बू का नाला एरिया मुस्लिम बहुल है। आज सुबह प्रशासनिक अधिकारी पहुंचे तो करीब 11 बजे आसपास के लोग भी जुट गए। इसके बाद मिट्टी खोदकर बाहर निकाली जाने लगी। दोपहर करीब 12 बजे यहां एसडीएम सदर राम मोहन मीना, नगर निगम के सहायक अभियंता रईस अहमद, दो थाने की फोर्स पहुंच गई। जिलाधिकारी भी मंदिर पर आ गए।
पूजा की व्यवस्था की जाएगी
करीब 1.30 बजे मंदिर की दीवार पर हनुमान की प्रतिमा दिखने लगी। जमीन पर शिवलिंग का स्थान बना हुआ है, लेकिन शिवलिंग गायब है। पास में नंदी बैठे हैं। दीवार पर कुछ और भी प्रतिमाएं उभरी हैं, लेकिन वह खंडित हैं। अब यहां प्रतिमाओं को सुरक्षित करके उनकी पूजा की व्यवस्था की जाएगी। इस मंदिर को खोलने के लिए पिछले दिनों लोगों ने कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन भी किया। इसके बाद जिलाधिकारी अनुज ने मंदिर को लेकर एसडीएम राम मोहन मीना से रिपोर्ट मांगी थी। उपजिलाधिकारी ने 27 दिसंबर को मंदिर से जुड़े लोगों से जानकारी जुटाई। पाया गया कि मोहिनी नाम की किन्नर मंदिर की सफाई करती थी। कुछ दीवार अवैध रूप से बनाए जाने की बात सामने आई। जिससे मंदिर तक आना मुश्किल हो गया।
चल रहा है प्रतिमाओं के सफाई का कार्य
इसके बाद ही दीवार को तुड़वा दिया गया है। अब प्रतिमाओं की सफाई का काम चल रहा है। मौके पर भारी पुलिस बल भी मौजूद है। एसडीएम ने बताया कि ये मूर्तियां कितनी पुरानी हैं, ये अभी स्पष्ट नहीं है। लोगों की अलग-अलग राय सामने आई है। मंदिर की व्यवस्थाएं दुरुस्त कराने के बाद शासन को भी रिपोर्ट भेजी जाएगी।
सेवाराम बोले- परदादा की दंगे में हुई थी हत्या
सेवाराम के मुताबिक उनके परदादा भीमसेन ही मंदिर की देखभाल और पूजा पाठ भी करते थे। लेकिन 1980 के दंगे में दूसरे समुदाय के लोगों की भीड़ ने भीमसेन की हत्या कर दी। उनकी लाश भी नहीं मिली। बताया जाता है कि उन्मादी भीड़ ने पुजारी भीमसेन की हत्या करने के बाद उनकी लाश को आग में झोंक दिया था। इस घटना के बाद भीमसेन का बाकी बचा परिवार लाइनपार इलाके में आकर बस गया था। इसके बाद से मंदिर भी बंद हो गया। धीरे-धीरे मंदिर की मूर्तियां भी गायब हो गईं। सेवाराम ने डीएम से शिकायत की है कि जब भी वो इस मंदिर को खोलने जाते हैं तो दूसरे समुदाय के लोग मंदिर के कपाट नहीं खोलने देते। कपाट खोलने पर अंजाम भुगतने की धमकी दी जाती है।
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