संभल की ऐतिहासिक धरोहरों में शामिल सौधन किले जीर्णोद्धार होने वाला है। यह किला 1645 ई. में मुगल शासक शाहजहां के शासनकाल में बना था। यह किला अपनी अनोखी नक्काशी और शाही स्थापत्य शैली के लिए प्रसिद्ध है...
शाहजहां के शासनकाल में बना था सौधन किला : हर साल लगने वाले मेले के लिए प्रसिद्ध है ये जगह, अब हालत खराब
Jan 05, 2025 22:04
Jan 05, 2025 22:04
किले पर होगी अवैध कब्जे हटाने की कार्रवाई
संभल के सौंधन किले पर अवैध कब्जे हटाने की कार्रवाई की जाएगी। यह किला करीब 15 बीघा जमीन में फैला हुआ है और 1645 ई. में मुगल शासक शाहजहां के शासनकाल में बनाया गया था। किले की जमीन पर 50 से अधिक मकान बने हुए हैं, जिनमें 200 से ज्यादा लोग रह रहे हैं। जिला प्रशासन ने इन अवैध कब्जों को हटाने की तैयारी शुरू कर दी है। डीएम डॉ. राजेंद्र पैंसिया ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि ऐतिहासिक धरोहर पर कब्जा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। किले का निरीक्षण करते हुए डीएम ने ASI अधिकारियों को किले की सुरक्षा और संरक्षण के निर्देश दिए। उन्होंने किले के मुख्य गेट के पास स्थित प्राचीन मस्जिद और कुएं का भी जायजा लिया।
किले को हिंदू राजा ने जीत लिया था
डीएम डॉ. राजेंद्र पैंसिया के मुताबिक, वर्तमान में संभल में छह ऐतिहासिक धरोहरें एएसआई के संरक्षण में हैं, जिनमें बेरनी, गुमथल, सरथल, जामा मस्जिद, फिरोजपुर का किला और सौंधन का किला शामिल हैं। सौंधन किले का सिर्फ एक गेट बचा है, जो अब जर्जर स्थिति में है। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस किले, मस्जिद और कुएं का निर्माण मुग़ल सम्राट शाहजहां के शासनकाल में 1645 ई. में हुआ था। बाद में इसे एक हिंदू राजा ने जीत लिया था। यहां हर साल एक मेला लगता है। इस किले के पास स्थित कुएं का निरीक्षण करने के लिए डीएम डॉ. पैंसिया और एसपी कृष्ण कुमार विश्नोई ने किले का दौरा किया।
जानिए इसकी खासियत
सौंधन मोहम्मदपुर का किला, जो तहसील क्षेत्र के एक ऐतिहासिक स्थल के रूप में जाना जाता है, मुग़ल शासक शाहजहां के शासनकाल में 1645 ई. में निर्मित हुआ था। यह किला, मस्जिद और कुआं संभल की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। किला अपनी अनोखी नक्काशी और शाही स्थापत्य शैली के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें बारीक नक्काशी और मजबूत संरचनात्मक डिज़ाइन का प्रयोग किया गया था, जो इसे उस समय की स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण बनाता है। इस किले के पास स्थित मस्जिद भी विशेष महत्व रखती है और इसे आक्रमण या युद्ध के समय संभल से अधिक सुरक्षित स्थान माना जाता था। यह किला प्रशासनिक और सैन्य दृष्टि से महत्वपूर्ण होने के साथ-साथ कारवां के व्यापारियों के लिए भी एक सुरक्षित विश्राम स्थल था।
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