सपा नेताओं की संभल यात्रा स्थगित : डीजीपी से बातचीत के बाद रोका गया दौरा, सर्वेक्षण विवाद में पुलिस ने दिया जांच का भरोसा

डीजीपी से बातचीत के बाद रोका गया दौरा, सर्वेक्षण विवाद में पुलिस ने दिया जांच का भरोसा
UPT | संभल हिंसा

Nov 26, 2024 23:01

सपा नेता पांडेय ने आगे बताया कि पुलिस महानिदेशक(डीजीपी) ने उन्हें अगले तीन दिनों तक संभल न जाने की सलाह दी है और उसके बाद यात्रा पर जाने की अनुमति दी जाएगी।

Nov 26, 2024 23:01

Sambhal News : समाजवादी पार्टी की प्रस्तावित संभल यात्रा को सपा पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के निर्देश पर स्थगित कर दिया गया है। यह यात्रा संभल शाही जामा मस्जिद परिसर में हाल ही में हुए हिंसक घटनाक्रम की जांच और जानकारी हासिल करने के लिए बनाई गई थी। ये दौरा डीजीपी से बातचीत के बाद रोक स्थगित कर दिया गया। डीजीपी ने उन्हें मामले की निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया।

पुलिस ने दिया जांच का आश्वासन
पार्टी ने इस हिंसा की सच्चाई जानने के लिए एक टीम गठित की थी, जिसमें सपा नेता माता प्रसाद पांडेय को नेतृत्व सौंपा गया था। माता प्रसाद पांडेय ने मंगलवार को एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार से बातचीत के बाद यह यात्रा स्थगित करने का निर्णय लिया गया। उन्होंने कहा कि हमें जानकारी मिली कि जिन लोगों की इस मामले में कोई भागीदारी नहीं थी, उनके खिलाफ भी पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर दी है। इस संदर्भ में पुलिस ने उन्हें मामले की निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया। 

डीजीपी ने दी ना जाने की सलाह
पांडेय ने आगे बताया कि पुलिस महानिदेशक(डीजीपी) ने उन्हें अगले तीन दिनों तक संभल न जाने की सलाह दी है और उसके बाद यात्रा पर जाने की अनुमति दी जाएगी। इसके साथ ही, संभल जिला प्रशासन ने 30 नवंबर तक बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक लगा दी है और निषेधाज्ञा लागू कर दी है। 



एक्स पर पोस्ट कर दी थी दौरे की जानकारी
समाजवादी पार्टी ने इससे पहले सोमवार को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल, जिसमें माता प्रसाद पांडेय, लाल बिहारी यादव और जावेद अली जैसे प्रमुख नेता शामिल थे, मंगलवार को संभल जाने वाले थे। यह प्रतिनिधिमंडल सर्वेक्षण के दौरान हुई हिंसा की सच्चाई जानने के लिए वहां जाने वाले थे।

सर्वेक्षण के दौरान हुई झड़प
रविवार को मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण के दौरान हुई झड़प में चार लोगों की जान चली गई थी और कई पुलिसकर्मी घायल हुए थे। स्थानीय अदालत में दायर एक याचिका में दावा किया गया था कि मस्जिद की जगह पहले एक मंदिर था, जिसे मुगलों ने तोड़कर मस्जिद बनवाया।

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